Saturday, May 23, 2015

परिणामस्वरूप

चमकता दमकता
था वो रश्मि-पुंज
सघन आवरण में
धूमिल हो चला है
देखते ही देखते
अँधेरे में है अब
वही रश्मि पुंज
परिणामस्वरूप
भाव बन गए हैं
अब नकारात्मक
बनें भी क्यों नहीं
अब यहाँ प्रकाश भी
मुँह छुपा रहा है
व्यव्हार के कारण
अपने दर्पयुक्त
किसी की नहीं मानता
वक़्त यहाँ

Tuesday, May 19, 2015

Inhibitions

In the silent ways
Or with the noise
Everyone walking
With the nature
Its natural ways
Without inhibitions
Not often but always
Coming to humans
They always behave
In unnatural ways
Even in silent ways
People albeit
Find their ways
Either ways
With inhibitions


Tuesday, May 12, 2015

कृतज्ञता ज्ञापन

तुम खा लो
सोचो मत मेरी
मैं तो यूँ भी
जीती हूँ
तुम्हारे लिए
शायद
निभाया होगा
कुछ ऐसा ही कर्तव्य
मेरी माँ ने भी
मेरी ख़ातिर
ये रिश्ते ऐसे ही हैं
जन्म-जन्मान्तर से
कल तुम भी
ऐसा ही कर
कर लेना कुछ ऐसा
कृतज्ञता ज्ञापन हेतु !

Monday, May 4, 2015

उम्र भर की उम्मीदें

चन्द लम्हे ही जीने को यहाँ काफ़ी हैं
ज़िन्दगी की साँसें ये कम नहीं होंगी
उम्र भर की उम्मीदें सँजोई हैं अपनी
बस एक पल में ये ख़त्म नहीं होंगी
ज़ज़्बा है तो आजमा लेना तुम भी
ये हिम्मतें हमारी ख़त्म नहीं होंगी
फिर ज़ख़्म कोई ताज़ा दे देना तुम
कोशिशें पुरानी कामयाब नहीं होंगी
हम को आता है हुनर इस सफर का
क़िस्मत को अपनी राहें बदलनी होंगी