Friday, December 24, 2010

Happy New Year

Yet another new year is arriving
Like every year, year after year
We also wish good to everyone
Especially to those near and dear
Our complements and greetings
May remain another ‘lip service’
But it infuses the hope and spirit
Of togetherness and others’ care
Friendships too getting renewed
Of well being throughout the year
Exchange words of hope and joy
Once again say Happy New Year

Wednesday, December 22, 2010

Cold Weather

Many think of snow fall
The ‘white Xmas’ too
Waiting to enjoy them
In joyous winter chills
Fully draped in woolens
Cozy and comfortable
Playing around in joy
With plenty to spend for!
I think of the miseries of
People shivering with
And struggling to survive
In this biting cold weather
For them it’s a curse
Thrust on them by God
With no or few means
Awaiting spring season
Hoping to arrive soon!

रोना

डाक्टर साहब के पास गए थे
दिल का रोना लेकर जब अपने
बड़ी उम्मीद के साथ जो हम
डाक्टर तो बड़ा मवाली निकला
खून तो निकाल ही डाला था
न मालुम क्या क्या जांच को
फिर कई और विशेष जांच कर
दस तरह की दवाएं भी लिख दी
अब हम बिल का रोना रो रहे थे
दिलासा देते डाक्टर ने कहा था
ये भी तो देखो हमारा सुझाव
लगभग खाने की सब चीज़ बंद
अब खर्च बस दवा व इलाज का
फिर भी बिल का रोना रोते हो!

Tuesday, December 21, 2010

एकतरफा

उसकी एक झलक ने कभी
दुनियां आबाद की थी मेरी
सोते जागते बस वही चेहरा
दिखाई देने लगता था मुझे
एकतरफा ही सही लेकिन
मुझे तो एहसास था उसका
आज अचानक फिर वो चेहरा
मेरे समक्ष रूबरू मौजूद था
वक़्त ने उम्रदराज़ कर दिया
पर मुझे सब याद आता था
मेरी मुस्कराहट के राज का
उसने कारण जानना चाहा
मैं आज भी शर्मा गया था

Monday, December 20, 2010

चूक

सबको ये समझना ही होगा
अपने लिए जो नहीं मिला
वो दूसरों को तो मिल पाए
हमारा अपराध भाव घटेगा
चाहे अपनी ही दृष्टि में सही
हम आश्वस्त तो रहेंगे
हमने प्रयास तो किया था
जिनसे हमें अपेक्षा रही थी
वे तो ये कर नहीं पाए
पर हमसे वही करने में
कही कोई चूक न हो जाये

शाब्दिक

अब कर दो बंद ये सब तुम्हारी
सहानुभूति एवं इसका प्रदर्शन
वास्तव में भी तो यह है मात्र
एक सांकेतिक और शाब्दिक सी
कहीं किसी रोज़ ज़ब भी होगा
आभास हमारी पीड़ा का तुम्हें
तब ही फिर तुम बतलाना हमें
छोड़कर इन खोखले वादों को
घावों पर मलहम न भी सही
नमक छिड़कना बंद करो अब
अपनी राजनीति प्रदर्शन त्याग
हमें हमारे हाल पर तो रहने दो

Thursday, December 16, 2010

वाक़यात

अश्क बन के आज थे बहने लगे
इश्क में जो संजोये सारे ज़ज्बात
आंसुओं से ज़ख्म धुलने थे लगे
मेरे दिल के अब वो दिन ओ रात
संभलने की मेरी कोशिशों पर
वक़्त चलता ही रहा था साथ साथ
वक़्त ने धुंधले किये थे सब मेरे
सारे गम और ज़ख्म मेरे एक साथ
लम्हा लम्हा पास आती ही गई
फिर ख़ुशी की अब नई थी वारदात
फिर से थे अब याद आने भी लगे
ख्वाब से वो मेरे सारे वाक़यात

Wheel of Misfortune

The simians are back
And the minions too
Simians aping around
In every possible way
Minions serving masters
Their own brutal ways
Amidst suffer the people
Have none other way
The wheel of misfortune
Has come again in sway
Common man is tortured
Every new different day
Yet they retain with them
Hopes’ even a small ray
Fighting in their utmost
Come whatever it may

Tuesday, December 14, 2010

New Empire Building

New Empire Building
The ‘isms’ of the globe fading
Political systems synergizing
Once again is now everyone
Focused on climate changing
Thanks to the over utilization
Resources on earth finishing
Call to save the Earth is now
Louder than earlier sounding
It’s time now to work together
Song! All nations are singing
Protect or perish your Earth
Is the only option remaining
The hawks though are active
Still for own gains are working
Powerful nations still looking
For the ‘new Empire building’

लम्हे

लम्हे
भुला देना चाहता हूँ मैं
उन क़फासत के लम्हों को
जो अब तक भी हावी हैं
जेहन में भी काबिज़ मेरे
फिर से नई रुत आयेगी
एक नए मेहताब के साथ
गुल ओ गुलज़ार रोशन होंगे
एक नई सुबह के साथ
मैं भी तब कोशिश करूँगा
एक और नई शुरुआत की
घड़ियाँ ख़त्म हो जाएँगी
इस लम्बे एक इंतजार की

Monday, December 13, 2010

बदस्तूर

बदस्तूर
फिर से वही पुरानी वारदातें
अनचाही सी खबरें आज भी
कुछ मारे गए कुछ घायल
कई बलात्कार और लूटपाट
कुछ और भ्रष्टाचार, कदाचार
शब्दों में भर रोकने के उपाय
धमाके और नये-नये खुद्कुश
व्यभिचारियों के नये तरीके
शोषण ग्रस्त समाज, परिवार
बच्चों, स्त्रियों पर ज़ुल्म के
नये नये पुराने से समाचार
कुछ नहीं बदलता है यहाँ
बस कुछ तारीख, स्थान, नाम
बाकी सब कुछ है बदस्तूर

दूर से

दूर से
शोख अंदाज़ पे उनके तो हम
पहले ही ज़माने से फ़िदा हैं
अब तो उनकी आहट भी हमें
संगीतमय सी सुनाई देती है
उस पर उनकी वो मुस्कराहट
दिलकश अदाएं अदाकारी भी
हमें बस दीवाना बना देती हैं
कोई शमाँ तो नहीं फिर भी
हमें परवाना बना जाती हैं
जलती शमाँ के आगे न जाने
कितने जल जाते परवाने हैं
पर हम तो वो परवाने हैं
जो दूर से नज़ारा करते हैं

दूर से

दूर से
शोख अंदाज़ पे उनके तो हम
पहले ही ज़माने से फ़िदा हैं
अब तो उनकी आहट भी हमें
संगीतमय सी सुनाई देती है
उस पर उनकी वो मुस्कराहट
दिलकश अदाएं अदाकारी भी
हमें बस दीवाना बना देती हैं
कोई शमाँ तो नहीं फिर भी
हमें परवाना बना जाती हैं
जलती शमाँ के आगे न जाने
कितने जल जाते परवाने हैं
पर हम तो वो परवाने हैं
जो दूर से नज़ारा करते हैं

Saturday, December 11, 2010

अलबत्ता

अलबत्ता
तब मैं चाहे यदा कदा सही
कर दिया करती थी तुमसे
अपनी अपेक्षाओं का बखान
अब मैं दोहराना नहीं चाहती
तब के मेरे उस व्यव्हार को
तुम समझ नहीं पाओगे इसे
मैं तुम्हें दोष भी नहीं देती
पर समझाना भी नहीं चाहती
मैं जानती हूँ यह भी अलबत्ता
तुम कभी समझ नहीं पाओगे
फिर भी दोषारोपण नहीं करती

Friday, December 10, 2010

Blessings

Blessings
Unknown powers showering
Their blessings on all of us
We are unaware and unknown
From where and why it is for
For what good deed of ours!
We think a bit and forget it
Finding it bit too complicated
And a bit mind boggling too
Get busy with our daily ways
In own typical ways of ours!
Enlightenment comes to some
Never everyone’s cup of tea
We do get what we deserved
Sooner some time or later too
Whatever destiny, deeds ours!

Thursday, December 9, 2010

व्याप्त

व्याप्त
भूल जाना चाहता था मैं
पुरानी जिन आवाजों को
वो अब भी बुलाती हैं मुझे
पंचम सुर में पुकारतीं हैं
मानो पूछती हुई मुझसे
कहाँ तक कोशिश करोगे;
कितनी दूर भागोगे?
हम तो अचल हैं हमेशा
व्याप्त मन मस्तिष्क में तेरे
जितना भुलाना चाहोगे
हमें ही तो याद करोगे!

Banana Republics

Banana Republics
Snatching power to become ruler
By any of the hooks and crooks
Who cares about the citizen here?
They anyways like the gimmicks
Patriotism and nation building is
Far away from their favorite flicks
What people feel, think or suffer
Has nothing to do with their tricks
Only purpose sounds fascinating
To the politicians, their side kicks
Make merry become rich overnight
In most of these banana republics!

Wednesday, December 8, 2010

Comparative Contentment

When its going tough to bear with the adversities; leave them to the fate! Of course do what you can and must, without any sense of overbearing with the efforts. My experience in lif tells me that things workoutand improve with the patience and time. So what! If one didn't get the course of events or happennings in the most desired ways!

Life teaches us a very important lesson of comparative contentment! If I am relatively better of in sime or most areas as compared with many or most people, I am bound to be contented that I have done well (or better)in life. But the comparative contentment tells you that comparatively more contententd; in spite of all the adversities and shortfall of expected results of your effots and circumstance!

One who shall be more contented; shall lead a happy and peaceful lie!

Monday, December 6, 2010

गिला

जिनसे सीखी थी वफ़ा हमने
उन्हीं ने है अब मुंह मोड़ लिया
दर्द का ही सही पर हमने तो
उन्हीं से है रिश्ता जोड़ लिया
पास वो न भी हुए तो क्या
उनकी यादें आस-पास तो हैं
हमने हमदम के इशारे पे
कहीं का भी रुख न किया
अब भी जीता हूँ बहुत खूब
मैंने किसी से गिला न किया
वक़्त की दरिया में बहकर
समंदर का दीदार कर लिया

Saturday, December 4, 2010

अक्षरशः

अक्षरशः
हाँ मैंने भी फैसला लिया है
हर बात अक्षरशः नहीं मानती
एक गुल गुलशन में देख
मैं उसे गुलज़ार नहीं मानती
तुम जिसे ज़रूरी मानते हो
मैं तो उसे फ़िज़ूल हूँ मानती
मेरी ज़रूरत सिर्फ तुम नहीं हो
मैं तुम्हारी सोच नहीं मानती
मैं विद्रोही अभी नहीं बनूँगी
तुम्हारी हर बात नहीं मानती
मखमल का ही सही, परन्तु
मैं वो पैबंद बनना नहीं चाहती
तुम्हें अगर है इनकार तो कहो
मैं हर बात आभार नहीं मानती

Wednesday, December 1, 2010

Reassurance

In your words and thoughts
I find the vital reassurance
When dark clouds overpower
The path of the shining sun
I look at you and the fate
For solutions that may be
Content, intent and extent
When just confuse me around
I seek the solace with you
And your advise dear to me
I may be at loss momentarily
But I regain my inner strength
With all your words of wisdom
I feel once again reassured