Tuesday, November 1, 2011

अन्दर की बात


मेरे पास भी विवरण हैं संजोये हुए
मेरे प्रयास और जो मैंने संघर्ष किए
सराहनीय कुछ भी नहीं मिला लेकिन
राजनेताओं के प्रगति के रिपोर्ताज़ सा
लिखने और कहने को बहुत कुछ है
किन्तु अन्दर की बात मुझे ज्ञात है
फिर भी जब तुलना करने लगता हूँ
थोडा बहुत आश्वस्त सा हो जाता हूँ
इस बात का होने लगता है फख्र मुझे
ईमानदारी से निभाया जो मिला मुझे
कहीं अन्दर से कम सा तो लगता है
पर ज़िन्दगी में कहाँ सब मिलता है

1 comment:

narendra pant said...

"इस बात का होने लगता है फख्र मुझे
ईमानदारी से निभाया जो मिला मुझे
कहीं अन्दर से कम सा तो लगता है
पर ज़िन्दगी में कहाँ सब मिलता है "

bahut accha laga padhkar .. satya vachan.

Narendra pant
http://enomem.blogspot.com/