न जाने कितने अरमां हैं न जाने कितनी उलझनें हैं
कभी हम सही तो कभी हमारे साथ ज़माना आता है
हम अब भी यहाँ कुछ चुनिंदा वज़हों से ही जी रहे हैं
कुछ और आये न आये हमें साथ निभाना आता है
With a numerous ambitions and complications
Sometimes me or sometimes world accompanies
We are yet living with a few select reasons
If nothing else I know to be good companions
Wednesday, November 30, 2011
आज/Today
कल तुम्हें होगा फख्र कि तुमने मोहब्बत की हमसे
आज तो बस तुम्हें इसी एक एहसास की ज़रूरत है
Tomorrow you shall be proud that you loved me
Today you might just have need to realize this
आज तो बस तुम्हें इसी एक एहसास की ज़रूरत है
Tomorrow you shall be proud that you loved me
Today you might just have need to realize this
Tuesday, November 29, 2011
हालत/State
अब उनसे क्या कहें अपनी हालत का सबब
जब हम खुद ही दावे से भी कह नहीं सकते
अगर होगा हुनर तो वो खुद पहचान जायेंगे
हम अपनी जुबान से तो कुछ कह नहीं सकते
How do I narrate the state I am in
When I am not sure myself of this
If he has the talent will find out
It's impossible for me to narrate
जब हम खुद ही दावे से भी कह नहीं सकते
अगर होगा हुनर तो वो खुद पहचान जायेंगे
हम अपनी जुबान से तो कुछ कह नहीं सकते
How do I narrate the state I am in
When I am not sure myself of this
If he has the talent will find out
It's impossible for me to narrate
Submerged
In search of comforts
And the select companions
She lost out the deal
Of seeking happiness
Now in retrospect
She kept wondering
If this all was any worth
Then with a feeble smile
Her face had glowed up
She got what she went after
Yet the essence got submerged
Between the choices she made
Those were unpredictable anyways
There is no better way now
But to remain contented
With whatever was the course
And all her achievements
There was no denial then
Life has its own logic and course!
And the select companions
She lost out the deal
Of seeking happiness
Now in retrospect
She kept wondering
If this all was any worth
Then with a feeble smile
Her face had glowed up
She got what she went after
Yet the essence got submerged
Between the choices she made
Those were unpredictable anyways
There is no better way now
But to remain contented
With whatever was the course
And all her achievements
There was no denial then
Life has its own logic and course!
ज़िन्दगी
बड़ी अज़ीब ओ ग़रीब होती है ये ज़िन्दगी
मुझे हर रंग में फिर भी भाती थी ज़िन्दगी
कभी कहीं कभी कहीं छकाती थी ज़िन्दगी
फिर भी रोज़ नए पाठ पढ़ाती थी ज़िन्दगी
छोटी छोटी बातों पर चहकती थी ज़िन्दगी
बड़ी बड़ी बातों से हमें सताती थी ज़िन्दगी
रोज़ नए नए तरीकों से डराती थी ज़िन्दगी
फिर भी मुझसे कभी नहीं रूठी थी ज़िन्दगी
मुझे उदास देख हँसाना चाहती थी ज़िन्दगी
मुझे हँसाने चली थी पर रुला गई ज़िन्दगी
मुझे हर रंग में फिर भी भाती थी ज़िन्दगी
कभी कहीं कभी कहीं छकाती थी ज़िन्दगी
फिर भी रोज़ नए पाठ पढ़ाती थी ज़िन्दगी
छोटी छोटी बातों पर चहकती थी ज़िन्दगी
बड़ी बड़ी बातों से हमें सताती थी ज़िन्दगी
रोज़ नए नए तरीकों से डराती थी ज़िन्दगी
फिर भी मुझसे कभी नहीं रूठी थी ज़िन्दगी
मुझे उदास देख हँसाना चाहती थी ज़िन्दगी
मुझे हँसाने चली थी पर रुला गई ज़िन्दगी
दामन
अमन चैन अब तारीख़ बन चुके
ये बात करने वाले परेशान हैं सारे
कौन कौन किसका है खिदमतदार
एक चौमिसरा से लगते हैं ये सारे
बेख़ौफ़ घूमते हैं खौफ के रहनुमा
हैं बड़े खौफज़दा बाशिंदे यहाँ सारे
अब किसके दर जा करें शिक़ायत
दागदार हो गए हैं यहाँ दामन सारे
Peace and serenity are now history
Those talking of this are worried
Who is serving whose interest here
This all sounds more like a quartet
Those patronizing terror move freely
The inhabitants are all terrorized
To whom shall we go and seek help
Everyone's apron here are speckled
ये बात करने वाले परेशान हैं सारे
कौन कौन किसका है खिदमतदार
एक चौमिसरा से लगते हैं ये सारे
बेख़ौफ़ घूमते हैं खौफ के रहनुमा
हैं बड़े खौफज़दा बाशिंदे यहाँ सारे
अब किसके दर जा करें शिक़ायत
दागदार हो गए हैं यहाँ दामन सारे
Peace and serenity are now history
Those talking of this are worried
Who is serving whose interest here
This all sounds more like a quartet
Those patronizing terror move freely
The inhabitants are all terrorized
To whom shall we go and seek help
Everyone's apron here are speckled
Monday, November 28, 2011
Yet..
अरमान सब खो चुके बस एक महक बाक़ी है
उजाले के इंतज़ार में हैं रात अभी भी बाक़ी है
Aspirations are lost yet their fragrances remain
Awaiting the lights yet the darkness still around
उजाले के इंतज़ार में हैं रात अभी भी बाक़ी है
Aspirations are lost yet their fragrances remain
Awaiting the lights yet the darkness still around
Sunday, November 27, 2011
व्यथित
कितना व्याकुल अब मनुज यहाँ
जीवन पथ के ऊँचे अरमान लिए
चेहरे की सब रंगत उड़ी उड़ी सी
हर पल चिंता का सा भाव लिए
मस्तिष्क है तनाव से भरा हुआ
तन में जग भर का क्लेश लिए
ईर्ष्यालु बना है व्यक्तित्व सदा
मन में मन भर का बोझ लिए
बड़े का भान जतलाता है पर
छोटा सा व्यथित ह्रदय लिए
जीवन पथ के ऊँचे अरमान लिए
चेहरे की सब रंगत उड़ी उड़ी सी
हर पल चिंता का सा भाव लिए
मस्तिष्क है तनाव से भरा हुआ
तन में जग भर का क्लेश लिए
ईर्ष्यालु बना है व्यक्तित्व सदा
मन में मन भर का बोझ लिए
बड़े का भान जतलाता है पर
छोटा सा व्यथित ह्रदय लिए
Friday, November 25, 2011
दूरियाँ
दूरियाँ महज़ एक अहसास भर है
लेकिन मन घूमता आज भी वहीँ है
जिस साज से सुनाई देता था संगीत
ज़िन्दगी का साज आज भी वही है
लेकिन मन घूमता आज भी वहीँ है
जिस साज से सुनाई देता था संगीत
ज़िन्दगी का साज आज भी वही है
Open Book
हमसे छुपाने की कोशिश में सिर्फ़ वक़्त बर्बाद होगा
हम तो तुम्हारी नज़रों की भाषा से ही समझ जाते हैं
हमसे मत पूछो हमको छुपाने की आदत नहीं कोई
हम वो ख़ुली क़िताब हैं जिसे सब लोग पढ़ सकते हैं
Don't waste time in hiding things from me
I can understand the language of the eyes
Don't ask questions for I never hide things
I am that open book that any one can read!
हम तो तुम्हारी नज़रों की भाषा से ही समझ जाते हैं
हमसे मत पूछो हमको छुपाने की आदत नहीं कोई
हम वो ख़ुली क़िताब हैं जिसे सब लोग पढ़ सकते हैं
Don't waste time in hiding things from me
I can understand the language of the eyes
Don't ask questions for I never hide things
I am that open book that any one can read!
Thursday, November 24, 2011
Twinkle
Look at stars they look beautiful
Everyone admires their twinkling
Many wish they could reach them
But their height and the distance
Make it inaccessible unreachable
Yet they can be admired, emulated
Making good things make twinkle
What sure are within our outreach
Making the others admire us too
All within our will and convictions
Everyone admires their twinkling
Many wish they could reach them
But their height and the distance
Make it inaccessible unreachable
Yet they can be admired, emulated
Making good things make twinkle
What sure are within our outreach
Making the others admire us too
All within our will and convictions
Monday, November 21, 2011
परिवर्तन
तुम्हारे व्यव्हार से उलट सही
सराहने का तुम्हारा शुक्रिया
वह भी अप्रत्याशित रूप में
किन्तु मुझे आभास तो है
तुम व तुम्हारे मन्तव्य का
वैसे भी यह झलक रहा है
तुम्हारे शरीर की भाषा में
तुम्हारा यह उत्परिवर्तन
भविष्य का संकेत दे रहा है
तुम्हारे विगत से मिलता
मैं तथापि आशावान रहूँगा
तुम्हारी सोच में परिवर्तन को
सराहने का तुम्हारा शुक्रिया
वह भी अप्रत्याशित रूप में
किन्तु मुझे आभास तो है
तुम व तुम्हारे मन्तव्य का
वैसे भी यह झलक रहा है
तुम्हारे शरीर की भाषा में
तुम्हारा यह उत्परिवर्तन
भविष्य का संकेत दे रहा है
तुम्हारे विगत से मिलता
मैं तथापि आशावान रहूँगा
तुम्हारी सोच में परिवर्तन को
Sunday, November 20, 2011
हँस रहा था... laughing..
तुम्हें लगा होगा शायद कि मैं तुम पर हँस रहा था
मैं तो तुम पर नहीं मैं बस ज़माने पर हँस रहा था
मुझे हँसता देखकर ज़माना मुझ पर हँस रहा था
पर मैं अपने आप पर नहीं फ़साने पर हँस रहा था
You may have felt that I was laughing at you
But I was just having a laugh at whole World
Witnessing laughter World was laughing at me
Not at myself I was laughing at what happened
~Udaya
मैं तो तुम पर नहीं मैं बस ज़माने पर हँस रहा था
मुझे हँसता देखकर ज़माना मुझ पर हँस रहा था
पर मैं अपने आप पर नहीं फ़साने पर हँस रहा था
You may have felt that I was laughing at you
But I was just having a laugh at whole World
Witnessing laughter World was laughing at me
Not at myself I was laughing at what happened
~Udaya
Saturday, November 19, 2011
हद की इन्तहा
भूलने को लोग कहते हैं उनको, कैसी ये जिद हो गई
भला कैसे भुला दें उनको; उनकी आदत सी जो हो गई
मैं चलता चला गया था वहीँ; बेवजह बेकाम ही हर गली
राह में सौ रंजो गम थे मेरी; अब उन्हीं की आदत हो गई
हर लम्हा भटका मेरे साथ; जाने कब सुबह से शाम हो गई
चाँद भी अब था खलने लगा; अंधेरों की आदत जो हो गई
चाहे गुजरूँ कभी भी कहीं; मेरी यादें जेहन से मिटती नहीं
बार बार याद आता है मंज़र, अब तो हद की इन्तहा हो गई
भला कैसे भुला दें उनको; उनकी आदत सी जो हो गई
मैं चलता चला गया था वहीँ; बेवजह बेकाम ही हर गली
राह में सौ रंजो गम थे मेरी; अब उन्हीं की आदत हो गई
हर लम्हा भटका मेरे साथ; जाने कब सुबह से शाम हो गई
चाँद भी अब था खलने लगा; अंधेरों की आदत जो हो गई
चाहे गुजरूँ कभी भी कहीं; मेरी यादें जेहन से मिटती नहीं
बार बार याद आता है मंज़र, अब तो हद की इन्तहा हो गई
Friday, November 18, 2011
Intents
महंगाई के ज़माने में सस्ती बिकती है इंसानियत
फिर भी लोग ये कहते हैं की अच्छी नहीं है नीयत
In this era of rising prices humanity is sold cheap
Yet we complain good intents are difficult to keep!
फिर भी लोग ये कहते हैं की अच्छी नहीं है नीयत
In this era of rising prices humanity is sold cheap
Yet we complain good intents are difficult to keep!
मक़सद/Purpose
उसकी रवानगी से पहले कुछ वक़्त नहीं मिल पाया था
वक़्त की रवानगी से पहले मक़सद नहीं मिल पाया था
ये मक़सद जब आने लगा था इधर समझ में कुछ कुछ
उसके पूरा होने का तब कोई मतलब नहीं मिल पाया था
Before her exit time was difficult to find
At the end of the time purpose wasn't around
By the time that purpose I could understand
Meaning to fulfilling purpose I couldn't find
वक़्त की रवानगी से पहले मक़सद नहीं मिल पाया था
ये मक़सद जब आने लगा था इधर समझ में कुछ कुछ
उसके पूरा होने का तब कोई मतलब नहीं मिल पाया था
Before her exit time was difficult to find
At the end of the time purpose wasn't around
By the time that purpose I could understand
Meaning to fulfilling purpose I couldn't find
Wednesday, November 16, 2011
उधेड़ बुन
मैं उसकी सुनूँ या दिल की कहूँ
मैं खुद ही कह दूँ या चुप ही रहूँ
जी कहता है की अब कह भी दूँ
पर मन नहीं मानता क्या करूँ
कब तक इस उधेड़ बुन में रहूँ
कभी मैं सोचता हूँ कुछ न सोचूं
मगर सोचे बगैर ही कैसे रह लूँ
कैसी कशमकश में फँस गया हूँ
पर इतना मैं ज़रूर कह सकता हूँ
एक हसीं दास्तान से जूझ रहा हूँ
सोचता हूँ किस्मत पर छोड़ दूँ
अब इसी पर बस सब्र कर लेता हूँ
मैं खुद ही कह दूँ या चुप ही रहूँ
जी कहता है की अब कह भी दूँ
पर मन नहीं मानता क्या करूँ
कब तक इस उधेड़ बुन में रहूँ
कभी मैं सोचता हूँ कुछ न सोचूं
मगर सोचे बगैर ही कैसे रह लूँ
कैसी कशमकश में फँस गया हूँ
पर इतना मैं ज़रूर कह सकता हूँ
एक हसीं दास्तान से जूझ रहा हूँ
सोचता हूँ किस्मत पर छोड़ दूँ
अब इसी पर बस सब्र कर लेता हूँ
Tuesday, November 15, 2011
my random couplets
हम तो ज़िन्दगी की उलझनों में कुछ इस तरह उलझ गए
ज़िन्दगी हमको भूल गई है और हम ज़िन्दगी को भूल गए
I got entangled so much with the complications of life
That the life has forgotten me and I have forgotten life
यूँ तो हर याद वक़्त का कभी साथ नहीं छोड़ती
मग़र कुछ यादें ऐसी जो अक़्सर अकेला छोड़तीं
Generally all remembrances do remain with the times
But some remembrances often leave alone with times
कब से तेरे रुखसार की बड़ी तारीफ़ें सुनी थीं हमने
आज सीरत और सूरत का फ़र्क़ जान लिया हमने
For long I had heard about your beautiful face
Now I do know the contrasts in reality and face
कभी कभी बहुत अफ़सोस होता है हमें ज़िन्दगी पर
ख़त्म होगी एक दिन जब हम इसे छोड़ के चल देंगे
Sometimes I feel sympathetic towards life
It will be over when I move away from this
तेरी बेवफाई से जीने का सबब मिल गया हमको
वरना हम तो बस जीने की उम्मीद ही खो चुके थे
It is your betrayal that gave me the zeal to live
Otherwise some how I had lost all hopes to live
बस वही एक बात उनकी हमको भा गई
जो लाख कोशिश के बाद समझ न आई
Just that one thing I liked about you the most
That I couldn't understand with all my efforts
बेशक़ तुम्हारा मुस्कुराना तो ज़रूर क़ातिलाना था
मगर हमारे जिस्म में ख़ून का क़तरा ही कहाँ था
For sure your smile was of murderous kind
But there wasn't a drop of blood in my body
खुशहाल हैं गम और बदहाल हैं खुशियाँ
क्यों हमने बना डाली है ऐसी अब दुनियाँ
Happy are the woes and joys in bad shape
Why have we made our World in such shape
जिन्हें तुम धडकनें समझ रहे हो; सुगबुगाहट है मेरे दिल की
जिन्हें तुम हिमाक़त समझ रहे हो; मोहब्बत है मेरे दिल की
What you think is beating; is undercurrent of my heart
What you think that I dare, manifests love of my heart
हमें मझधार से नहीं किनारों से डर लगता है
बस कुछ न कर पाने की बात से डर लगता है
आज सिर्फ़ अपनी बातें कहो चाहे सही हमारे ही लिए
कल कई आयेंगे हमारी बातें सुनने समझने के लिए
today you please talk about only yourself
unending tomorrows will come for our talks
अपनी ही नज़र में हम नाहक बेवकूफ़ निकले
ज़िन्दगी जीने के और भी कई तरीक़े निकले
किसी की आशनाई से हमें क्या है सरोकार
हमें तो बस अपनी रहनुमाई का है इन्तज़ार
Why do I care about someone's concubinage
I am just awaiting around my own guidance
उनकी आँखों से छलकती शराब का क्या करूँ
पीना तो छोड़ दिया पर इस नशे का क्या करूँ
जिस किसी ने सामंजस्य बना लिया ये संसार उसी का
वरना यहाँ है हर कोई बेगाना और कोई नहीं किसी का
Those who can develop the rapport this World belongs to them
Otherwise each one here is alien and no one belongs to anyone
चार दिन मांगे थे उधार सोचा था सुकून से जी लेंगे
मगर अब सुकून को हमसे दूर रहने आदत हो गई
I had tried to borrow four days to live in peace
But peace became habitual of living without me
कुछ तो बात है जो यूँ खफा खफा से लगते हो
काहे का अफ़सोस है जो खिंचे खिंचे लगते हो
There is something that makes you dejected
What is the regret for being such indifferent!
जब से हमें इधर किसी बात की आदत न रही
तभी से आदत हमारी अपनी होकर रहने लगी
Ever since the habits are under my control
They started behaving like my own habits!
हमने की दोस्ती उनसे जिन्हें हमारी दोस्ती पर शक़ था
हमें गिला नहीं उनसे ये तो उनके दोस्त होने का हक़ था
I had made friend who had doubted the friendship
Yet had no regrets it was his/her right of friendship!
मिजाज़ आपका गर्म सही बातों में तो गर्मी कम कर सकते हो
मौसम में बड़ी ठंडक सही दिलों में तो गर्मजोशी रख सकते हो
Aside from heat of temperament conversations ca be cool
Warmth in heart is possible so what if the weather is cool!
इन्सानों में इंसानियत तो यहाँ सभी देखना चाहते हैं
हम वो हैं जो हैवानों में भी इंसानियत देखना चाहते हैं
Everyone wants to see humanity among the humans
I for one want to see humanity among the evils ones
कागज़ की क़श्ती में बैठ लोग समन्दर का रुख करते हैं
हमें यहीं रहने दो हम खुद को हर ज़गह अच्छे लगते हैं
Sitting on the boats of paper people head towards the oceans
Leave me behind I like myself everywhere with my own means
तेरे जाने के बाद अब मुझे कुछ सुकूँ आया
ऐ तूफ़ान क्यों तूने इतना कोहराम मचाया
After your passing away I feel some comfort
O typhoon! why such a disaster you brought
ज़िन्दगी हमको भूल गई है और हम ज़िन्दगी को भूल गए
I got entangled so much with the complications of life
That the life has forgotten me and I have forgotten life
यूँ तो हर याद वक़्त का कभी साथ नहीं छोड़ती
मग़र कुछ यादें ऐसी जो अक़्सर अकेला छोड़तीं
Generally all remembrances do remain with the times
But some remembrances often leave alone with times
कब से तेरे रुखसार की बड़ी तारीफ़ें सुनी थीं हमने
आज सीरत और सूरत का फ़र्क़ जान लिया हमने
For long I had heard about your beautiful face
Now I do know the contrasts in reality and face
कभी कभी बहुत अफ़सोस होता है हमें ज़िन्दगी पर
ख़त्म होगी एक दिन जब हम इसे छोड़ के चल देंगे
Sometimes I feel sympathetic towards life
It will be over when I move away from this
तेरी बेवफाई से जीने का सबब मिल गया हमको
वरना हम तो बस जीने की उम्मीद ही खो चुके थे
It is your betrayal that gave me the zeal to live
Otherwise some how I had lost all hopes to live
बस वही एक बात उनकी हमको भा गई
जो लाख कोशिश के बाद समझ न आई
Just that one thing I liked about you the most
That I couldn't understand with all my efforts
बेशक़ तुम्हारा मुस्कुराना तो ज़रूर क़ातिलाना था
मगर हमारे जिस्म में ख़ून का क़तरा ही कहाँ था
For sure your smile was of murderous kind
But there wasn't a drop of blood in my body
खुशहाल हैं गम और बदहाल हैं खुशियाँ
क्यों हमने बना डाली है ऐसी अब दुनियाँ
Happy are the woes and joys in bad shape
Why have we made our World in such shape
जिन्हें तुम धडकनें समझ रहे हो; सुगबुगाहट है मेरे दिल की
जिन्हें तुम हिमाक़त समझ रहे हो; मोहब्बत है मेरे दिल की
What you think is beating; is undercurrent of my heart
What you think that I dare, manifests love of my heart
हमें मझधार से नहीं किनारों से डर लगता है
बस कुछ न कर पाने की बात से डर लगता है
आज सिर्फ़ अपनी बातें कहो चाहे सही हमारे ही लिए
कल कई आयेंगे हमारी बातें सुनने समझने के लिए
today you please talk about only yourself
unending tomorrows will come for our talks
अपनी ही नज़र में हम नाहक बेवकूफ़ निकले
ज़िन्दगी जीने के और भी कई तरीक़े निकले
किसी की आशनाई से हमें क्या है सरोकार
हमें तो बस अपनी रहनुमाई का है इन्तज़ार
Why do I care about someone's concubinage
I am just awaiting around my own guidance
उनकी आँखों से छलकती शराब का क्या करूँ
पीना तो छोड़ दिया पर इस नशे का क्या करूँ
जिस किसी ने सामंजस्य बना लिया ये संसार उसी का
वरना यहाँ है हर कोई बेगाना और कोई नहीं किसी का
Those who can develop the rapport this World belongs to them
Otherwise each one here is alien and no one belongs to anyone
चार दिन मांगे थे उधार सोचा था सुकून से जी लेंगे
मगर अब सुकून को हमसे दूर रहने आदत हो गई
I had tried to borrow four days to live in peace
But peace became habitual of living without me
कुछ तो बात है जो यूँ खफा खफा से लगते हो
काहे का अफ़सोस है जो खिंचे खिंचे लगते हो
There is something that makes you dejected
What is the regret for being such indifferent!
जब से हमें इधर किसी बात की आदत न रही
तभी से आदत हमारी अपनी होकर रहने लगी
Ever since the habits are under my control
They started behaving like my own habits!
हमने की दोस्ती उनसे जिन्हें हमारी दोस्ती पर शक़ था
हमें गिला नहीं उनसे ये तो उनके दोस्त होने का हक़ था
I had made friend who had doubted the friendship
Yet had no regrets it was his/her right of friendship!
मिजाज़ आपका गर्म सही बातों में तो गर्मी कम कर सकते हो
मौसम में बड़ी ठंडक सही दिलों में तो गर्मजोशी रख सकते हो
Aside from heat of temperament conversations ca be cool
Warmth in heart is possible so what if the weather is cool!
इन्सानों में इंसानियत तो यहाँ सभी देखना चाहते हैं
हम वो हैं जो हैवानों में भी इंसानियत देखना चाहते हैं
Everyone wants to see humanity among the humans
I for one want to see humanity among the evils ones
कागज़ की क़श्ती में बैठ लोग समन्दर का रुख करते हैं
हमें यहीं रहने दो हम खुद को हर ज़गह अच्छे लगते हैं
Sitting on the boats of paper people head towards the oceans
Leave me behind I like myself everywhere with my own means
तेरे जाने के बाद अब मुझे कुछ सुकूँ आया
ऐ तूफ़ान क्यों तूने इतना कोहराम मचाया
After your passing away I feel some comfort
O typhoon! why such a disaster you brought
Saturday, November 12, 2011
बहुत कुछ
बहुत कुछ कहना चाहा था हम दोनों ने उस रोज़
न उनकी न हमारी ही ज़ुबां से लफ्ज़ निकल सके
वो बस देखते रहे थे हमें जाते चश्म-ए-पुरनम से
हम पलट के देखने की हिम्मत तक न जुटा सके
न उनकी न हमारी ही ज़ुबां से लफ्ज़ निकल सके
वो बस देखते रहे थे हमें जाते चश्म-ए-पुरनम से
हम पलट के देखने की हिम्मत तक न जुटा सके
Thursday, November 10, 2011
कुछ और ही
कभी आकर अपने ही ख्यालों में
देखोगे अगर मेरी ही तरफ तुम
अपनी ही नहीं मेरी नज़र से कभी
हम तब कुछ और ही आएंगे नज़र
और होगा अपना अंदाज़ भी जुदा
तुम बच नहीं पाओगे उस रोज़ फिर
अपनी ही मुस्कराहट के असर से
हम तो अक्सर इसी फितरत से
और ऐसे ही आलम के चलते बस
बचते नहीं तुम्हारी मुस्कराहट से
देखोगे अगर मेरी ही तरफ तुम
अपनी ही नहीं मेरी नज़र से कभी
हम तब कुछ और ही आएंगे नज़र
और होगा अपना अंदाज़ भी जुदा
तुम बच नहीं पाओगे उस रोज़ फिर
अपनी ही मुस्कराहट के असर से
हम तो अक्सर इसी फितरत से
और ऐसे ही आलम के चलते बस
बचते नहीं तुम्हारी मुस्कराहट से
Wednesday, November 9, 2011
छुपे हुए
जब कुछ नहीं आता समझ में हमारे अक्सर
हम उनकी उन बिंदास आँखों को देख लेते हैं
हमें क्या लेना उनके उत्तरों की तलाश से कभी
उन कई सवालों के जो नज़रों में ही छुपे हुए हैं
हम उनकी उन बिंदास आँखों को देख लेते हैं
हमें क्या लेना उनके उत्तरों की तलाश से कभी
उन कई सवालों के जो नज़रों में ही छुपे हुए हैं
Tuesday, November 8, 2011
जाल
वो पिलायेंगे तो पी लेंगे हम भी आज लबों से उनके
वो चाहेंगे तो जी लेंगे आज हम भी अंदाज़ में उनके
बहक गए हम बहक जाने दो आज ख्याल में उनके
अब हम भी तैयार हैं आज फँसने को जाल में उनके
वो चाहेंगे तो जी लेंगे आज हम भी अंदाज़ में उनके
बहक गए हम बहक जाने दो आज ख्याल में उनके
अब हम भी तैयार हैं आज फँसने को जाल में उनके
Germane
Don’t make me imagine again
I will think of the worst in vain
I wanted to get rid of this pain
I can’t bear this all over again
I don’t want anything regain
To you it might sound insane
Yet difficult for me to explain
Nothing irrelevant to contain
Wanted to shed the germane
Everything that proved a bane
Forgotten all that is mundane
Contented with my life alone
Don’t try entering my terrain
Whatever may be offer again
I’m happy and nothing to gain
Monday, November 7, 2011
प्रसंगवश
मैंने तो बस प्रसंगवश कहा था
तुमने इसे मंतव्य समझ लिया
हालाँकि मैंने मर्यादा बनाये रखी
तुमने इसे हिमाकत समझ लिया
मैं किसी सन्दर्भ में कह रहा था
तुमने इसे व्यव्हार समझ लिया
उस पल लगा तुमने समझा था
तुमने इसे कोफ़्त समझ लिया
विनम्रता से कुछ कहना चाहा था
तुमने विरोध ही समझ लिया था
हमने बस अपना समझ कहा था
तुमने तो पराया ही समझ लिया
बात बड़ी साधारण सी कही थी
तुमने असाधारण समझ लिया
ज़वाब
अब मैं चलना चाहता हूँ
पहले की तरह ही
लेकिन असमर्थ हूँ
पैरों ने ज़वाब दे दिया है
मैं भी अपने लिए कुछ पल
सब सुविधाओं के साथ
रहना चाहता हूँ
लेकिन बैंक ने कल ही
खाता शून्य पहुँचने का
ज़वाब दे दिया है
मैं अपने बच्चों से ही
मदद माँगना चाहता हूँ
महंगाई को कारण बता
उन्होंने ज़वाब दे दिया है
अब मैं नए सिरे से
ज़िन्दगी में बढ़ना चाहता हूँ
लेकिन उम्र व शरीर दोनों ने
ज़वाब दे दिया है!
पहले की तरह ही
लेकिन असमर्थ हूँ
पैरों ने ज़वाब दे दिया है
मैं भी अपने लिए कुछ पल
सब सुविधाओं के साथ
रहना चाहता हूँ
लेकिन बैंक ने कल ही
खाता शून्य पहुँचने का
ज़वाब दे दिया है
मैं अपने बच्चों से ही
मदद माँगना चाहता हूँ
महंगाई को कारण बता
उन्होंने ज़वाब दे दिया है
अब मैं नए सिरे से
ज़िन्दगी में बढ़ना चाहता हूँ
लेकिन उम्र व शरीर दोनों ने
ज़वाब दे दिया है!
Greece!
It pains me a lot to observe the developments and economic crisis in Greece! Of all places Greece! A country known for the historic civilization, thinkers, philosophers and wise people!The globalization can bring the countries with short-term vision, on the brink of bankruptcy and economic crisis; as we have seen in Greece.There will be bailout for sure; but the fundamental economic development and policies must bolster the countries to have sustainable national economy; by the side of the integration with the globalized economy.
There are no magic wands available to have such policies; yet the medium to long term policies of political economy must address the unforeseen concerns and provide for tackling of the worst case scenario. The fall back options and Plan-B must have the alternative solutions to the sudden shocks in the economy and harmony.
I do hope that the problems will be sorted out soon; else, it may have the demonstration and multiplier effects!
There are no magic wands available to have such policies; yet the medium to long term policies of political economy must address the unforeseen concerns and provide for tackling of the worst case scenario. The fall back options and Plan-B must have the alternative solutions to the sudden shocks in the economy and harmony.
I do hope that the problems will be sorted out soon; else, it may have the demonstration and multiplier effects!
Sunday, November 6, 2011
सपनों में
अपने सपनों में देखा था जिनको सपनों में ही पाया है
खुली आँख से देखा जग कुछ और हक़ीक़त लाया है
फिर भी लेकिन आँखों में क्यों उनका ही सरमाया है
दोष सभी सपनों का था शायद उनने ही भरमाया है
खुली आँख से देखा जग कुछ और हक़ीक़त लाया है
फिर भी लेकिन आँखों में क्यों उनका ही सरमाया है
दोष सभी सपनों का था शायद उनने ही भरमाया है
अधूरे
मुझको रोको न आज मुझको टोको न आज
जाने क्यों आज दिल मेरा मेरे बस में नहीं
थोड़ी नादान सी कुछ परेशान सी हसरतें
आज जाने क्योंकर कहीं भी ठहरती नहीं
आज रहने दो अधूरे सारे सवाल आपके
आज दूँ कोई मैं ज़वाब कुछ ज़रूरी नहीं
तुम ही सोचो तुम्हारी मंजिलों का पता
कभी लौट के भी मैं आऊँ ये ज़रूरी नहीं
जाने क्यों आज दिल मेरा मेरे बस में नहीं
थोड़ी नादान सी कुछ परेशान सी हसरतें
आज जाने क्योंकर कहीं भी ठहरती नहीं
आज रहने दो अधूरे सारे सवाल आपके
आज दूँ कोई मैं ज़वाब कुछ ज़रूरी नहीं
तुम ही सोचो तुम्हारी मंजिलों का पता
कभी लौट के भी मैं आऊँ ये ज़रूरी नहीं
हवा
ऐ हवा तू भूले से भी मेरे पास मत आना
मुझको तो हवा के झोंकों से चोट लगती है
अगर कभी तेरे झोंकों से महकती ख़ुशबू
मानो कोई बेबसी सी मुझे कचोट लेती है
महके महके से भी तेरे हों अगर अंदाज़
कोई भूली हुई शाम की सोच सी लगती है
गर्म हो या सर्द हो कोई भी मौसम इनका
ज़िन्दगी से ये तो सब नमी खसोट लेती है
कैसी तन्हाई कितनी बेख़ुदी का आलम है
सारे फुर्सत के पल भी ये बस समेट लेती है
After
अक्सर एहसास सा होता है किसी के जाने के बाद
कहीं कुछ कमी रह ही गई थी जानने के भी बाद
लोग रूह को सुकून मिलने की करते हैं दुआ भी
अपने वादे, अपने फ़र्ज़ सब बिसरा देने के बाद
We often realize the follies after someone left them
Recognizing all the shortcomings knowingly of them
People pray to God for the Soul to be rested peace
After forgetting of the promises and duties by them
कहीं कुछ कमी रह ही गई थी जानने के भी बाद
लोग रूह को सुकून मिलने की करते हैं दुआ भी
अपने वादे, अपने फ़र्ज़ सब बिसरा देने के बाद
We often realize the follies after someone left them
Recognizing all the shortcomings knowingly of them
People pray to God for the Soul to be rested peace
After forgetting of the promises and duties by them
Saturday, November 5, 2011
Peace
अब कैसे पाओगे सुकून इन हालात में
फिर वही कोलाहल सा है आस पास
कैसा यह कोहराम मचा रखा है इधर
हर कोई शामिल है आम हो या ख़ास
How can you ever be at peace
With so much of noise around
Everyone responsible for this
Both commoner and privileged
फिर वही कोलाहल सा है आस पास
कैसा यह कोहराम मचा रखा है इधर
हर कोई शामिल है आम हो या ख़ास
How can you ever be at peace
With so much of noise around
Everyone responsible for this
Both commoner and privileged
राय
सभी ने उसे आम आदमी मान
उसकी राय महत्वपूर्ण समझी थी
सरकारी आँकड़ों की मोहताज़
अर्थव्यवस्था के मानदंड मानो
उसके अस्तित्व का मज़ाक़ उड़ाते
लोगों ने पूछा था उससे भी
क्या ख़याल है जनाब आपका?
पेट्रोल के दाम जो बढ़े उस पर!
उसने एक नज़र भर देखकर
लम्बी साँस ले चुप्पी भर ली थी
उन्हें शायद एहसास तक न था
कहीं बड़ी थीं उसकी समस्याएं
सिर्फ पेट्रोल के बढ़े दाम से
वह सोचता ज़रूर था किन्तु
उसके लिए तो हर प्रश्न ही
एक मिथ्या आचरण मात्र था
उसे जीने के लिए हर पल ही
हर ओर संघर्ष ही करना था
उसकी राय महत्वपूर्ण समझी थी
सरकारी आँकड़ों की मोहताज़
अर्थव्यवस्था के मानदंड मानो
उसके अस्तित्व का मज़ाक़ उड़ाते
लोगों ने पूछा था उससे भी
क्या ख़याल है जनाब आपका?
पेट्रोल के दाम जो बढ़े उस पर!
उसने एक नज़र भर देखकर
लम्बी साँस ले चुप्पी भर ली थी
उन्हें शायद एहसास तक न था
कहीं बड़ी थीं उसकी समस्याएं
सिर्फ पेट्रोल के बढ़े दाम से
वह सोचता ज़रूर था किन्तु
उसके लिए तो हर प्रश्न ही
एक मिथ्या आचरण मात्र था
उसे जीने के लिए हर पल ही
हर ओर संघर्ष ही करना था
Leitmotif
I thought it was never compulsive
Yet you tried to be the exclusive
Your behavior sure was talkative
That alone cannot be the positive
You found all people as negative
Your insinuations were abrasive
The aspirations were possessive
Histrionics were again successive
Yet my response was cooperative
Anyways I had no other motive
But was trying the ways creative
And to avoid being too narrative
Leitmotif was only being positive
Yet you tried to be the exclusive
Your behavior sure was talkative
That alone cannot be the positive
You found all people as negative
Your insinuations were abrasive
The aspirations were possessive
Histrionics were again successive
Yet my response was cooperative
Anyways I had no other motive
But was trying the ways creative
And to avoid being too narrative
Leitmotif was only being positive
Friday, November 4, 2011
Mind and Heart
Mind and heart are two weird things
Things go overboard if heart thinks
When heart bleeds the persona sinks
Most hearts are don’t rationally think
Yet life sounds in extremes if it thinks
Let the minds do the thinking for you
Allow the heart-felt emotions to blink
After all rationality is never decisive
Matters of mind rarely improve things
At times with that surrounding stinks
Rational minds too seldom pull strings
Matters of heart are a bit volatile too
It’s best to maintain balance of things
Thinking
Shall we say to ourselves now?
That it’s the time to think for all
Think that not to think too much
It’s god to give space to thoughts
Let them not induce too much
Thinking that makes no sense
Let the soul takeover the mind
Be it short term or momentary
Let the dear solace be achieved
By giving breaks to our thinking
At end it shall for sure facilitate
Better thinking, good thoughts
And of course rational thinking
Are you still thinking in phase?
That needed the same change
Awaken and try stop thinking!
That it’s the time to think for all
Think that not to think too much
It’s god to give space to thoughts
Let them not induce too much
Thinking that makes no sense
Let the soul takeover the mind
Be it short term or momentary
Let the dear solace be achieved
By giving breaks to our thinking
At end it shall for sure facilitate
Better thinking, good thoughts
And of course rational thinking
Are you still thinking in phase?
That needed the same change
Awaken and try stop thinking!
Thursday, November 3, 2011
River and Ocean
The ocean said to the river
Come join august company
Of those trying to be bigger
I am happy with my being
The river replied promptly
The ocean laughed out loud
My dear river you beware
Doesn’t matter who you are
When you join me anyways
Your identity also gets lost
Your sweet water loses taste
Only I remain here for sure
I’m not sweet yet get bigger
That’s what you believe
But deep inside me around
There is a whole ecosystem
With beautiful colors of life
Together we shall nurture it
Join me and be part of it all!
धोखा
नज़र के धोखे से खा गए थे हम धोखा
अब संभले तो सब ज़माने में है धोखा
अपनी नज़र और समझ की है बात
हमारी आदत में है शुमार खाना धोखा
वो ख़ुश हो जाते हैं अपने दिए धोखे से
नहीं जानते हम खाते जानकर धोखा
बस इन्हीं आदतों के चलते लगता है
हम देते हैं उन्हें एक क़िस्म का धोखा
मगर फर्क है उनके व हमारे धोखे में
हमारा तो बस अपने ही लिए है धोखा
अब संभले तो सब ज़माने में है धोखा
अपनी नज़र और समझ की है बात
हमारी आदत में है शुमार खाना धोखा
वो ख़ुश हो जाते हैं अपने दिए धोखे से
नहीं जानते हम खाते जानकर धोखा
बस इन्हीं आदतों के चलते लगता है
हम देते हैं उन्हें एक क़िस्म का धोखा
मगर फर्क है उनके व हमारे धोखे में
हमारा तो बस अपने ही लिए है धोखा
Wednesday, November 2, 2011
साँस और ज़िस्म
साँसों में बसाए रखा था जिनको हमने
वो अब हमें साँस तक भी लेने नहीं देते
जिनको दिल में ही बसा लिया था हमने
वो अब हमें एहसास तक होने नहीं देते
दूर बजती हुई शहनाइयों के स्वर हमें
ज़िन्दगी का आभास तक होने नहीं देते
कोई तल्ख़ से ख़याल हर रोज़ हमको
चैन से कुछ पल कभी सोने नहीं देते
हम भी ज़िद पर मगर हैं बस अड़े हुए
साँस को ज़िस्म से अलग होने नहीं देते
वो अब हमें साँस तक भी लेने नहीं देते
जिनको दिल में ही बसा लिया था हमने
वो अब हमें एहसास तक होने नहीं देते
दूर बजती हुई शहनाइयों के स्वर हमें
ज़िन्दगी का आभास तक होने नहीं देते
कोई तल्ख़ से ख़याल हर रोज़ हमको
चैन से कुछ पल कभी सोने नहीं देते
हम भी ज़िद पर मगर हैं बस अड़े हुए
साँस को ज़िस्म से अलग होने नहीं देते
नए नए
बड़ी मीठी सी कसक जो अक्सर मन कचोटती है
कभी दूर नहीं बस मेरे आस पास ही विचरती है
बस एक बात जो अब भी भुलाये नहीं भूलती है
ज़िन्दगी अब तक उन्हीं के आगे पीछे घूमती है
तनहा मन कैसा होता होगा वो ये प्रश्न पूछती है
गहन तन्हाई में भी उन्हीं की परछाई डोलती है
बिन पूछे ही बस बार- बार वही राज़ खोलती है
जब कभी सन्नाटा हो वो कुछ न कुछ बोलती है
कभी कुछ तो कभी और कुछ टटोलती रहती है
कुछ भी हो वो जीवन में नए नए रस घोलती है
ख़ामोशी
मैं इत्तेफ़ाक़न नहीं जान बूझकर रखने लगता हूँ ख़ामोशी
जब कभी भी मेरे मन में आने की कोशिश करती मायूसी
चन्द लम्हे ही क़ाफ़ी हैं बस उबार लेने को कोई भी बदहोशी
दूर करने को क़ाफ़ी है रंज के एहसास को बस एक ख़ामोशी
जब कभी भी मेरे मन में आने की कोशिश करती मायूसी
चन्द लम्हे ही क़ाफ़ी हैं बस उबार लेने को कोई भी बदहोशी
दूर करने को क़ाफ़ी है रंज के एहसास को बस एक ख़ामोशी
चार दिन
जिस्म का हर एक हिस्सा थक रहा था हर दिन
रह रह के याद आते रहे हमें वो हसरतों के दिन
लौट कर आयेंगे सोचा था कभी फ़ुर्सत के दिन
हद हुई इंतज़ार की आए न कभी वो चार दिन
रह रह के याद आते रहे हमें वो हसरतों के दिन
लौट कर आयेंगे सोचा था कभी फ़ुर्सत के दिन
हद हुई इंतज़ार की आए न कभी वो चार दिन
Tuesday, November 1, 2011
अन्दर की बात
मेरे पास भी विवरण हैं संजोये हुए
मेरे प्रयास और जो मैंने संघर्ष किए
सराहनीय कुछ भी नहीं मिला लेकिन
राजनेताओं के प्रगति के रिपोर्ताज़ सा
लिखने और कहने को बहुत कुछ है
किन्तु अन्दर की बात मुझे ज्ञात है
फिर भी जब तुलना करने लगता हूँ
थोडा बहुत आश्वस्त सा हो जाता हूँ
इस बात का होने लगता है फख्र मुझे
ईमानदारी से निभाया जो मिला मुझे
कहीं अन्दर से कम सा तो लगता है
पर ज़िन्दगी में कहाँ सब मिलता है
रहम
मेरे मौला तू बस इतना सा करम करना
मेरे रस्ते मेरी हकीकत पर नज़र रखना
जब घने सायों से गुज़रा था मेरा रास्ता
रौशनी की कमी को ज़रूर तू समझ लेना
मेरे सब हमसफ़र जो मेरे कभी संग चले
उनके हिस्से की सजा भी तू मुझको देना
मैं यक़ीनन ही तेरे फैसले की करूँगा कद्र
तू भी मेरी मुश्किलों का मुआइना करना
मांगी नहीं माफ़ी जो मैंने किसी भी वज़ह
सजा तो देना मगर थोड़ा रहम तू करना
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