क्यों दे रहे हो दस्तक सी इन खुले दरवाज़ों को
क्या हुआ हासिल जो बंद थे उन दरवाज़ों से
कितनी ख़ामोशी है इधर कुछ बेक़रारी भी
कह भी डालो डरते हो क्यों अल्फाजों से
हर लफ्ज़ की भी अपनी एक ख़ामोशी है
क्या हुआ जो गुज़र रहे हैं कई आवाज़ों से
इतनी ज़ल्दी भी क्या है जो मैं ही कुछ कहूँ
मैं भी तो ज़रा समझ लूँ मेरे ही लफ़्ज़ों से
तुम भी ज़रा बहकने तो दो इन ज़ज्बातों को
ज़रा सीखेंगे कुछ तो लफ़्ज़ों के जालसाज़ों से
उम्र गुज़रेगी मगर तुम न कभी समझ पाओगे
कैसे जीतोगे फरेब से तुम दिल के जाँबाज़ों से
Wednesday, August 31, 2011
Tuesday, August 30, 2011
मुक़म्मल
अब याद नहीं फरियाद नहीं कोई अब मेरी
खोया सो खोया था पाया है इत्मीनान मगर
इतनी चाहत के बाद भी पाया नहीं तुमको
तुम्हारे बिना भी हम चलो यहाँ कर लेंगे गुजर
हम भी चल देंगे अनज़ान किन्हीं राहों पर
वक़्त चलता ही रहे या फिर वो जाए ठहर
आशना था दिल हमारा ज़रूर यहाँ लेकिन
सच है कि आशनाई क़बूल न हो पाई इधर
बस यही लगने लगी हक़ीक़त ज़माने की जब
है चैन मुक़म्मल अब हमको कोई भी पहर
खोया सो खोया था पाया है इत्मीनान मगर
इतनी चाहत के बाद भी पाया नहीं तुमको
तुम्हारे बिना भी हम चलो यहाँ कर लेंगे गुजर
हम भी चल देंगे अनज़ान किन्हीं राहों पर
वक़्त चलता ही रहे या फिर वो जाए ठहर
आशना था दिल हमारा ज़रूर यहाँ लेकिन
सच है कि आशनाई क़बूल न हो पाई इधर
बस यही लगने लगी हक़ीक़त ज़माने की जब
है चैन मुक़म्मल अब हमको कोई भी पहर
भस्मीभूत
मेरे पास आज भी संजोई हैं
वो सारी ही भावनाएं मेरी
कई कारणवश इनको यहाँ
मैंने सम्भाल कर रखा है
बड़ी मेहनत और उत्साह से
मूल रूप में न भी हो पायें
फलीभूत होंगी और रूप में
ऐसा भी न हो पाया तो भी
ज़रूर संभाले रखूँगा इनको
मेरे ही जीवन की कोई एक
मेरे लिए मेरी ही धरोहर
अब ये भी हो पाएंगी सिर्फ
मेरे ही साथ भस्मीभूत
वो सारी ही भावनाएं मेरी
कई कारणवश इनको यहाँ
मैंने सम्भाल कर रखा है
बड़ी मेहनत और उत्साह से
मूल रूप में न भी हो पायें
फलीभूत होंगी और रूप में
ऐसा भी न हो पाया तो भी
ज़रूर संभाले रखूँगा इनको
मेरे ही जीवन की कोई एक
मेरे लिए मेरी ही धरोहर
अब ये भी हो पाएंगी सिर्फ
मेरे ही साथ भस्मीभूत
Monday, August 29, 2011
New Nepal under new PM
Ever since the fall of monarchy in Nepal, the sounds and sentiments of a New Nepal have been reverberating in, around Nepal and in the minds of overseas Nepaliese and their well wishers.
The political cycle has come full circle now (the Maoists led Government having been installed once again; albeit with the different face! Dr. Baburam Bhattarai; whom I always considerd as the prospective formidable Prime Minister, is now elected the 35th PM of Nepal. Not just me, most people felt that he would be the dream PM for Nepal. He is the liberal and polite face of the Party and commands respect within and outside his Party.
I'm not too sure about the timing of his taking over (for being the dream PM; as he has to take all major political parties and interest groups along to make the Constitution happen, peace efforts to conclude, spearhead the economic and social prosperity of the people; and before that to get the Assembly term extended. He will always be shor tof the magic numbers of majority, for any constitutional matter; and that will test his leadership qualities, statesmanship and endeavours!
I am sure he has the capability to sail through all these issues and lead the country to prosperity and lasting peace; for a long time. Amen!
The political cycle has come full circle now (the Maoists led Government having been installed once again; albeit with the different face! Dr. Baburam Bhattarai; whom I always considerd as the prospective formidable Prime Minister, is now elected the 35th PM of Nepal. Not just me, most people felt that he would be the dream PM for Nepal. He is the liberal and polite face of the Party and commands respect within and outside his Party.
I'm not too sure about the timing of his taking over (for being the dream PM; as he has to take all major political parties and interest groups along to make the Constitution happen, peace efforts to conclude, spearhead the economic and social prosperity of the people; and before that to get the Assembly term extended. He will always be shor tof the magic numbers of majority, for any constitutional matter; and that will test his leadership qualities, statesmanship and endeavours!
I am sure he has the capability to sail through all these issues and lead the country to prosperity and lasting peace; for a long time. Amen!
आवाज़ें
आवाज़ें
कभी पास तो कभी बहुत दूर से आती हुई
कभी दीवारों से टकरा के आती है आवाज़ें
बन्द दरवाज़ों के पीछे से भी आती है आवाज़ें
अब किस किस को कहें कि कम करें आवाज़ें
कभी धीमी कभी माध्यम तो कभी तेज़ हैं
जाने किस किस लय से आती हैं आवाज़ें
अनचाहे अनसुने भी अक्सर इनका है क्रम
कभी भी आहट सी करती हुई हैं ये आवाज़ें
ख़ामोशी का बस चीरती हुई सी है ये सीना
कितनी कर्कश होती हैं कभी कभी ये आवाज़ें
मुझको बुलाती सी हैं जाने किस मक़सद से
बिलकुल अनजानी अनकही सी ये आवाज़ें
कभी पास तो कभी बहुत दूर से आती हुई
कभी दीवारों से टकरा के आती है आवाज़ें
बन्द दरवाज़ों के पीछे से भी आती है आवाज़ें
अब किस किस को कहें कि कम करें आवाज़ें
कभी धीमी कभी माध्यम तो कभी तेज़ हैं
जाने किस किस लय से आती हैं आवाज़ें
अनचाहे अनसुने भी अक्सर इनका है क्रम
कभी भी आहट सी करती हुई हैं ये आवाज़ें
ख़ामोशी का बस चीरती हुई सी है ये सीना
कितनी कर्कश होती हैं कभी कभी ये आवाज़ें
मुझको बुलाती सी हैं जाने किस मक़सद से
बिलकुल अनजानी अनकही सी ये आवाज़ें
वास्ता
आज कुछ कल कुछ और है; रोज़ एक नया ही है सिलसिला
मन में कुछ है कहते हैं कुछ और; जहाँ मुड़ गए वहीँ है रास्ता
निभाना तो सबको नहीं आता; फिर क्यों तुमको इतना गिला
ऐसे में बस और क्या कहें; कहाँ की दोस्ती कहाँ का है वास्ता!
मन में कुछ है कहते हैं कुछ और; जहाँ मुड़ गए वहीँ है रास्ता
निभाना तो सबको नहीं आता; फिर क्यों तुमको इतना गिला
ऐसे में बस और क्या कहें; कहाँ की दोस्ती कहाँ का है वास्ता!
Sunday, August 28, 2011
हस्ब ए मामूल
लगती है ज़िन्दगी ख़ूबसूरत एक बार फिर
शुक्रिया आपका आपने समझा हमें कामिल
एक लम्बी सी इस गहरी ख़ामोशी के बाद
हमें भी लगा है कि हम हैं किसी काबिल
आपने भी निभाया है जब साथ फिर हमारा
तो अब हम भी करेंगे कोशिश मुश्तकिल
बुलंद ही रहेंगे हौसले हमारे हर रोज़ अब
चाहे कितनी भी हों या कोई भी आये मुश्किल
झेलेंगे अब सभी रंज ओ गम भी देख लेना
बेशक़ हम रहेंगे ज़रूर इधर हस्ब ए मामूल
शुक्रिया आपका आपने समझा हमें कामिल
एक लम्बी सी इस गहरी ख़ामोशी के बाद
हमें भी लगा है कि हम हैं किसी काबिल
आपने भी निभाया है जब साथ फिर हमारा
तो अब हम भी करेंगे कोशिश मुश्तकिल
बुलंद ही रहेंगे हौसले हमारे हर रोज़ अब
चाहे कितनी भी हों या कोई भी आये मुश्किल
झेलेंगे अब सभी रंज ओ गम भी देख लेना
बेशक़ हम रहेंगे ज़रूर इधर हस्ब ए मामूल
Saturday, August 27, 2011
दुराव
नाउम्मीद नहीं फिर भी ख़ौफ़ खाते हैं
हमने ये पल पहले भी कई देखे हैं
उनकी बातों का मतलब वो ही जानें
हम नासमझ नहीं खूब समझते हैं
कैसे कटेगी कोई भी फ़सल उनकी
तिनके-तिनके का हिसाब रखते हैं
उनके अंजुमन में क्या है वही जानें
हमसे कब कोई इत्तफ़ाक़ रखते हैं
उनकी फ़ितरत का नहीं भरोसा हमें
फूँक फूँक कर हर कदम बढ़ाते हैं
वो हमसे हर एक बात दूर रखते हैं
हम भी बस अब यही दुराव रखते हैं
हमने ये पल पहले भी कई देखे हैं
उनकी बातों का मतलब वो ही जानें
हम नासमझ नहीं खूब समझते हैं
कैसे कटेगी कोई भी फ़सल उनकी
तिनके-तिनके का हिसाब रखते हैं
उनके अंजुमन में क्या है वही जानें
हमसे कब कोई इत्तफ़ाक़ रखते हैं
उनकी फ़ितरत का नहीं भरोसा हमें
फूँक फूँक कर हर कदम बढ़ाते हैं
वो हमसे हर एक बात दूर रखते हैं
हम भी बस अब यही दुराव रखते हैं
The Beginning
It’s the beginning that’s more important
Improvements and mends will come by
As you succeed, people will join issues
The paths may not exactly be the same
The destination may still be looking far
As will you take the steps in your walks
So shall the newer paths might emerge
Strengthening shall then be bolstered
The matching of ideas and designs too
Ironing of the wrinkles in the process
Players of the systems in their places
Results that might be the prime focus
The oversight, reward and punishment
And many more steps needed to sustain
Yet, the beginning is most important!
Improvements and mends will come by
As you succeed, people will join issues
The paths may not exactly be the same
The destination may still be looking far
As will you take the steps in your walks
So shall the newer paths might emerge
Strengthening shall then be bolstered
The matching of ideas and designs too
Ironing of the wrinkles in the process
Players of the systems in their places
Results that might be the prime focus
The oversight, reward and punishment
And many more steps needed to sustain
Yet, the beginning is most important!
Friday, August 26, 2011
उम्मीद मेरी
उम्मीद मेरी पूछने लगी है मुझसे; अब वो सुबह कब आयेगी
मुझे भी तुम्हारे इन सपनों को; वह सच होता जब दिखाएगी
कितना इंतजार होगा करना; जब सपनों में सच सजाएगी
कहें ऐसा तो नहीं होगा कहीं; मुझे ही तुम्हारे आगे झुठलाएगी
मुझे भी तुम्हारे इन सपनों को; वह सच होता जब दिखाएगी
कितना इंतजार होगा करना; जब सपनों में सच सजाएगी
कहें ऐसा तो नहीं होगा कहीं; मुझे ही तुम्हारे आगे झुठलाएगी
मुसल्लिल
थक गए हम दुनियां के हुज़ूम में चलते
सांस फूलने लगी है अब दो क़दम भी चलते
थक गई है बयार भी मुसल्लिल बहते बहते
थक गए हैं जो मुसाफिर खाना ख़राब रहते
रास्ते थक गए हैं सबको राह बताते बताते
रात भी थक चुकी सुबह का इंतजार करते
दिन-रात थक चुके एक दूसरे को तलाशते
थक गया आसमान सबकी ख़ैर करते करते
राही थके नहीं हैं मगर मंजिल तलाश करते
पा ही लेंगे कभी तो कोशिश के अपनी चलते
सांस फूलने लगी है अब दो क़दम भी चलते
थक गई है बयार भी मुसल्लिल बहते बहते
थक गए हैं जो मुसाफिर खाना ख़राब रहते
रास्ते थक गए हैं सबको राह बताते बताते
रात भी थक चुकी सुबह का इंतजार करते
दिन-रात थक चुके एक दूसरे को तलाशते
थक गया आसमान सबकी ख़ैर करते करते
राही थके नहीं हैं मगर मंजिल तलाश करते
पा ही लेंगे कभी तो कोशिश के अपनी चलते
Thursday, August 25, 2011
अनसुनी
अपने दिल का हर कोना ही बंद कर लिया था जब उन ने
हमने जुबान से भी काम लेते कह डाला उनके कानों में
अनसुनी जो फिर भी की थी उन ने; हमने मान लिया
शायद नहीं था कोई भी दम हमारे उन अफ़सानों में
हमने जुबान से भी काम लेते कह डाला उनके कानों में
अनसुनी जो फिर भी की थी उन ने; हमने मान लिया
शायद नहीं था कोई भी दम हमारे उन अफ़सानों में
Wednesday, August 24, 2011
दूर दूर
चमकती थी सी मेरी किस्मत; अब जाने क्यों बदलने लगी है
मेरे दिल की धड़कन कहने लगी है; वो अब मुझसे दूर होने लगी है
हर तरफ बस गम के सायों ने; घेर लिया है अब मुझको
बहार भी अब है यहाँ; गम के ही गीत गुनगुनाने लगी है
न हो अगर यक़ीं उसको पर; शायद कोई और मना ले उसको
वरना अब तो मेरी चलते चलते; साँस ही रुकने से लगी है
कैसे मैं उसे अब समझाऊँ; किस तरह से उसे बतलाऊँ
कि मुझे लगने लगा है ये; ज़िन्दगी मुझसे बिछुड़ने लगी है
मेरे दिल की धड़कन कहने लगी है; वो अब मुझसे दूर होने लगी है
हर तरफ बस गम के सायों ने; घेर लिया है अब मुझको
बहार भी अब है यहाँ; गम के ही गीत गुनगुनाने लगी है
न हो अगर यक़ीं उसको पर; शायद कोई और मना ले उसको
वरना अब तो मेरी चलते चलते; साँस ही रुकने से लगी है
कैसे मैं उसे अब समझाऊँ; किस तरह से उसे बतलाऊँ
कि मुझे लगने लगा है ये; ज़िन्दगी मुझसे बिछुड़ने लगी है
Monday, August 22, 2011
फिर एक और बार सही
एक बार फिर से चलेगी बात; वतन में मेरे अब वकीलों की
जो ताउम्र बस लड़ते रहे हैं; मुक़द्दमे सब बस जीत की खातिर
चलो हम कर भी लेंगे यकीन; फिर एक और बार सही उनका
जो बेचते रहे हैं ज़मीर और ईमान, बस चन्द पैसों की खातिर
जो ताउम्र बस लड़ते रहे हैं; मुक़द्दमे सब बस जीत की खातिर
चलो हम कर भी लेंगे यकीन; फिर एक और बार सही उनका
जो बेचते रहे हैं ज़मीर और ईमान, बस चन्द पैसों की खातिर
कलियुग के 'कान्हा'
बना बहाने खूब सताया कई तरह
भोली भली थी जनता तब याद करो
बहुत मटकियाँ फोड़ी तुमने लोगों की
तुम तनिक लाज शर्म अब तो करो
अब बहुत खा लिया है माखन चोरी का
कलियुग के 'कान्हा' अब बस भी करो
आज न सही कल आओगे पकड़ में
चाहे जितने भी कैसे तुम रूप धरो
लोकपाल बस आता होगा तुम्हें देखने
अब कैसा भी स्वरुप ये ध्यान करो
सरकारी हो, अन्ना का, या मिला जुला
डरना तुम बस अब ही से शुरू करो
भोली भली थी जनता तब याद करो
बहुत मटकियाँ फोड़ी तुमने लोगों की
तुम तनिक लाज शर्म अब तो करो
अब बहुत खा लिया है माखन चोरी का
कलियुग के 'कान्हा' अब बस भी करो
आज न सही कल आओगे पकड़ में
चाहे जितने भी कैसे तुम रूप धरो
लोकपाल बस आता होगा तुम्हें देखने
अब कैसा भी स्वरुप ये ध्यान करो
सरकारी हो, अन्ना का, या मिला जुला
डरना तुम बस अब ही से शुरू करो
कैसा भी हो
क़तरा क़तरा करके बनाया है
खुशियों का एक समंदर मैंने
कैसे कह दूं तुम्हारे कहने से
कुछ भी नहीं यहाँ पाया मैंने
तालाब में दीखता समंदर मुझे
इसी को समझा विशाल मैंने
उफनते हुए दरिया या सागर
परिमाण मात्र समझे हैं मैंने
जो कुछ भी हुआ हासिल है
ज़रूरत से अधिक समझा मैंने
कुछ भी हो कैसा भी हो मेरा
खुशियों का संसार संजोया मैंने
खुशियों का एक समंदर मैंने
कैसे कह दूं तुम्हारे कहने से
कुछ भी नहीं यहाँ पाया मैंने
तालाब में दीखता समंदर मुझे
इसी को समझा विशाल मैंने
उफनते हुए दरिया या सागर
परिमाण मात्र समझे हैं मैंने
जो कुछ भी हुआ हासिल है
ज़रूरत से अधिक समझा मैंने
कुछ भी हो कैसा भी हो मेरा
खुशियों का संसार संजोया मैंने
Saturday, August 20, 2011
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए- दुष्यन्त कुमार
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
Time About
I can’t wait any longer now
Time is running away for me
It’s not matter of impatience
I want your definite answers
Dilly-dally won’t work for me
You have taken your time long
Tell me which side you belong
Tell me the timelines proposed
Else let me have you exposed
Stop playing around with words
Nuances and the sensitivities
Niceties and the technicalities
I held my breath and patience
It’s time now for your response
I don’t seek undermine anything
Don’t undermine me as nothing
Time is running away for me
It’s not matter of impatience
I want your definite answers
Dilly-dally won’t work for me
You have taken your time long
Tell me which side you belong
Tell me the timelines proposed
Else let me have you exposed
Stop playing around with words
Nuances and the sensitivities
Niceties and the technicalities
I held my breath and patience
It’s time now for your response
I don’t seek undermine anything
Don’t undermine me as nothing
Friday, August 19, 2011
अपना
छुपा लिया अपनी अपनी हँसी के पीछे मैंने
अपने सारे दर्द और परेशानियों को सभी
ये काबिलियत है मेरी कोई कमजोरी नहीं
ज़िन्दगी को ही अपना बना लिया था मैंने
अपने सारे दर्द और परेशानियों को सभी
ये काबिलियत है मेरी कोई कमजोरी नहीं
ज़िन्दगी को ही अपना बना लिया था मैंने
Take me
I wanna go wherever; you take me
I can feel the love; in places somewhere
Dunno why my heart is down there
Take me to the skies, I wanna fly
Searching for my destiny, my love
Wherever it is; please take me
I lost my peace; lookin for destination
But I’m happy, lookin round
Ocean of love in my heart; coming around
I can smell the beauty of love
Intoxicating smell is around me
I can feel the love; in places somewhere
Dunno why my heart is down there
Take me to the skies, I wanna fly
Searching for my destiny, my love
Wherever it is; please take me
I lost my peace; lookin for destination
But I’m happy, lookin round
Ocean of love in my heart; coming around
I can smell the beauty of love
Intoxicating smell is around me
सिफारिश
हर पल की मेरी यहाँ बेबसी को देख सुन कर
ज़िन्दगी हर रोज़ मुझसे गुज़ारिश करती रही
बिन पूछे खुद ही बस बार बार ये कहती रही
जी ले अपने लिए भी ये सिफारिश करती रही
ज़िन्दगी हर रोज़ मुझसे गुज़ारिश करती रही
बिन पूछे खुद ही बस बार बार ये कहती रही
जी ले अपने लिए भी ये सिफारिश करती रही
Thursday, August 18, 2011
दोषी
आज देश में बिगुल है बजा
अब आओ भष्टाचार है मिटाना
जोश होश से सभी हैं कहते
लोकपाल जन -जन का लाना
अब त्रस्त हो चुके सभी भ्रष्ट से
फिर भी लगभग सभी भ्रष्ट से
अब अपने भीतर भी खंगोलकर
अपरिमित भ्रष्टाचार हटाना है
सात जनम को धन संग्रह से
अब नहीं चाहते बालक ऐसे
अब तो ये सोच बदलनी होगी
ये प्रथा नई अब करनी होगी
थोड़ी सह लोगे जो तुम पीड़ा
हट जाए दूर भ्रष्टाचार का कीड़ा
कहो न हम कुछ ऐसे देंगे लेंगे
नैतिक होकर ही गुज़र कर लेंगे
है कहाँ जेब लंगोट कफन में
जेब बसी पर सबके मन में
सब कुछ जग में छोड़ोगे तुम
कहाँ ये जेब भर जाओगे तुम
व्यापारी, शिक्षक या डाक्टर
ठेकेदार कर्मचारी भी मिलकर
सब मिल खाते दीमक जैसे
सदाचार बचाओगे तुम कैसे
नेता और अभिनेता ही क्यों
निज लाभ के खातिर हम सब
करते रहे इसकी पालन पोषी
मैं भी दोषी हूँ तुम भी हो दोषी
अब आओ भष्टाचार है मिटाना
जोश होश से सभी हैं कहते
लोकपाल जन -जन का लाना
अब त्रस्त हो चुके सभी भ्रष्ट से
फिर भी लगभग सभी भ्रष्ट से
अब अपने भीतर भी खंगोलकर
अपरिमित भ्रष्टाचार हटाना है
सात जनम को धन संग्रह से
अब नहीं चाहते बालक ऐसे
अब तो ये सोच बदलनी होगी
ये प्रथा नई अब करनी होगी
थोड़ी सह लोगे जो तुम पीड़ा
हट जाए दूर भ्रष्टाचार का कीड़ा
कहो न हम कुछ ऐसे देंगे लेंगे
नैतिक होकर ही गुज़र कर लेंगे
है कहाँ जेब लंगोट कफन में
जेब बसी पर सबके मन में
सब कुछ जग में छोड़ोगे तुम
कहाँ ये जेब भर जाओगे तुम
व्यापारी, शिक्षक या डाक्टर
ठेकेदार कर्मचारी भी मिलकर
सब मिल खाते दीमक जैसे
सदाचार बचाओगे तुम कैसे
नेता और अभिनेता ही क्यों
निज लाभ के खातिर हम सब
करते रहे इसकी पालन पोषी
मैं भी दोषी हूँ तुम भी हो दोषी
Parliament and Civil Society
In the democratic systems, law making power is with the Parliament;no doubts on that! But the law makers have to gause the pulse of the people and use the popular sentiments expressed through the civil society; as a feed back and resource for law making.
Times have changed and so has the Westminster System inherent old notions, that must adapt to the new World! Ideally, the Parliament and the Civil Sociey should complement each other and strengthen the democratic sentiments,systems. There is no conflict of interests here; both are representatives of the people.
It is good to have the bills suggested by the Civil Society and Parliament taking them up as the Private Memeber Bill or Civil Society Bill for discussion or adoption. Many at time the stanign Committees of the Parliement seek the views and suggestion of the general public openly, through the advertisement in the media. Where is the conflict?
Conflict arises when the arrogance of the ruling parties or the Parliamentarians heightens to the level of monopolistics views; bolstered by the growing influence of the civil society outside the Parliament. This state comes (like in India now)due to ineffictiveness and proven inaction by the Parliament to deal with burning issues like transparent systems, eradication of grat/corruption, inclusive development and so on..the long lists.
We need to have a serious and open minded debate on how to dove-tail the vies of the Civil Society and Parliment! Amen!
Times have changed and so has the Westminster System inherent old notions, that must adapt to the new World! Ideally, the Parliament and the Civil Sociey should complement each other and strengthen the democratic sentiments,systems. There is no conflict of interests here; both are representatives of the people.
It is good to have the bills suggested by the Civil Society and Parliament taking them up as the Private Memeber Bill or Civil Society Bill for discussion or adoption. Many at time the stanign Committees of the Parliement seek the views and suggestion of the general public openly, through the advertisement in the media. Where is the conflict?
Conflict arises when the arrogance of the ruling parties or the Parliamentarians heightens to the level of monopolistics views; bolstered by the growing influence of the civil society outside the Parliament. This state comes (like in India now)due to ineffictiveness and proven inaction by the Parliament to deal with burning issues like transparent systems, eradication of grat/corruption, inclusive development and so on..the long lists.
We need to have a serious and open minded debate on how to dove-tail the vies of the Civil Society and Parliment! Amen!
Wednesday, August 17, 2011
महिलाओं में थायराइड की समस्या
महिलाओं में थायराइड की समस्या
.by प्रतिभा वाजपेयी
भारत की अधिकांश महिलाएं अनेक कारणों से अपनी शारीरिक परेशानियों को दबाए रखती हैं और न ही किसी को बताती अथवा डाक्टरी जांच उपचार कराती हैं। उनके इस व्यवहार के कारण शरीर की परेशानियां अनेक अन्य बीमारियों को जन्मने और पनपने का अवसर दे देती है।
थायराइड भी उनमें से एक है जो मेटाबालिज्म/चयापचय से जुडी बीमारी है। इसमें थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है जिससे शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। भारत में चार करोड़ से अधिक थायराइड के मरीज हैं। इनमें से नब्बे प्रतिशत यह नहीं जानते कि उन्हें थायराइड की बीमारी है जिसके कारण उन्हें तरह-तरह की शारीरिक परेशानियां हो रही हैं।
थायराइड की समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को कई गुना अधिक हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। इन महिलाओं को मोटापा, तनाव, अवसाद, बांझपन, कोलेस्ट्राल, आस्टियोपोरोसिस आदि जैसी परेशानियां होती हैं पर ये महिलाएं यह नहीं जानती कि उनकी इस परेशानी के पीछे थायराइड की बीमारी है।
थायराइड क्या है?
थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म की दर को संतुलित करता है।
थायराइड हार्मोन के असंतुलन अर्थात कम ज्यादा स्राव होने से रोजमर्रा से जुड़ी अनेक शारीरिक परेशानियां होती हैं किंतु पीड़ित इसे सामान्य परेशानी मान झेलता रहता है। खून की थायराइड जांच कराने पर ही यह स्पष्ट होता है। महिलाओं को अपने शारीरिक बनावट व हार्मोनल कारणों से थायराइड की बीमारी व परेशानी ज्यादा होती है। यह थायराइड भी दो प्रकार का होता है, पहला हाइपोथायराइड एवं दूसरा हायपरथायराइड।
हाइपोथायराइड -
इस बीमारी में थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता जिससे शरीर में आवश्यकता के अनुसार टी.थ्री व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है। इस बीमारी की स्थिति में वजन में अचानक वृद्घि हो जाती है। रोजाना की गतिविधियों में रूचि कम हो जाती है। इन्हें ठंड बहुत महसूस होती है। कब्ज होने लगता है। आंखें सूज जाती हैं।
मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। सुस्ती महसूस होती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। इनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं। जोड़ों में पानी भर जाता है जिससे दर्द होता है और चलने में दिक्कत होती है। मांसपेशियों में भी पानी भर जाता है जिससे चलते-फिरते हल्का दर्द पूरे शरीर में होता है। चेहरा सूज जाता है। आवाज रूखी व भारी हो जाती है। यह रोग ३० से ६० वर्ष की महिलाओं को होता है।
हायपरथायराइड -
इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और टी थ्री, टी फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकलकर रक्त में घुलनशील हो जाता है। इस बीमारी की स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है। अत्यधिक पसीना आता है। ये रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाते। इनकी भूख में वृद्घि होती है। ये दुबले नजर आते हैं। मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। निराशा हावी हो जाती है।
हाथ कांपते हैं और आंखें उनींदी रहती हैं। आंखें बाहर आ जाएंगी, ऐसा लगता है। धड़कन बढ़ जाती है। इन्हें नींद नहीं आती। दस्त होता है। प्रजनन प्रभावित होता है। मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। गर्भपात के मामले सामने आते हैं। हायपर थायराइड बीस साल की महिलाओं को ज्यादा होता है।
जांच व उपचार -
थायराइड के दोनों प्रकार में रक्त की जांच पहले की जाती है। रक्त में टी थ्री, टी फोर एवं टी एस एच लेवल में सक्रिय हार्मोन्स का लेवल जांच किया जाता है। जांच निष्कर्ष के अनुसार डाक्टर उपचार बताते हैं। विवाह के उपरांत एवं गर्भावस्था में महिलाएं थायराइड की जांच जरूर कराएं। इससे गर्भवती एवं गर्भस्थ शिशु को किसी प्रकार की दिक्क्त नहीं आएगी। नब्बे प्रतिशत रोगियों को उम्र भर दवा खानी पड़ती है, किंतु पहले चरण में उपचार करा लेने से महिलाओं के शेष जीवन की दिनचर्या आसान हो जाती है। मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
ऐसे मरीज तनाव से बचें एवं हाइपोथायराइड है तो आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ से जीवन भर बचें। थायराइड की बीमारी पुरूषों व बच्चों को भी होती है। यह वंशानुगत होने वाली बीमारियों में से एक है।
अध्ययन के मुताबिक जलीय वनस्पति में पाए जाने वाले क्लोरोफिल, फाइटोबिलीप्रोटीन और जेंथोफिल्स उपापचय को ठीक रखने में काफी हद तक मददगार होते हैं। यही नहीं इस वनस्पति में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे नाइट्रेट, फास्फेट व सेलीसिलिक एसिड भी उपापचय की प्रक्रिया को दुरुस्त रखते हैं।
हालांकि इसके कई इलाज मौजूद हैं लेकिन शोधकर्ताओं ने जलीय वनस्पति [फाइटोप्लेंकटन] को थायराइड की समस्या दूर करने में कारगर बताया है।
शोधकर्ताओं की राय में उपापचय की दर को सही बनाए रखने के लिए गोजी बेरी का जूस भी काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा विटामिन ए व सी की उचित मात्रा का लिया जाना हाइपोथायराडिज्म में कारगर साबित होता है।
.
.by प्रतिभा वाजपेयी
भारत की अधिकांश महिलाएं अनेक कारणों से अपनी शारीरिक परेशानियों को दबाए रखती हैं और न ही किसी को बताती अथवा डाक्टरी जांच उपचार कराती हैं। उनके इस व्यवहार के कारण शरीर की परेशानियां अनेक अन्य बीमारियों को जन्मने और पनपने का अवसर दे देती है।
थायराइड भी उनमें से एक है जो मेटाबालिज्म/चयापचय से जुडी बीमारी है। इसमें थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है जिससे शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। भारत में चार करोड़ से अधिक थायराइड के मरीज हैं। इनमें से नब्बे प्रतिशत यह नहीं जानते कि उन्हें थायराइड की बीमारी है जिसके कारण उन्हें तरह-तरह की शारीरिक परेशानियां हो रही हैं।
थायराइड की समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को कई गुना अधिक हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। इन महिलाओं को मोटापा, तनाव, अवसाद, बांझपन, कोलेस्ट्राल, आस्टियोपोरोसिस आदि जैसी परेशानियां होती हैं पर ये महिलाएं यह नहीं जानती कि उनकी इस परेशानी के पीछे थायराइड की बीमारी है।
थायराइड क्या है?
थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार का होता है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म की दर को संतुलित करता है।
थायराइड हार्मोन के असंतुलन अर्थात कम ज्यादा स्राव होने से रोजमर्रा से जुड़ी अनेक शारीरिक परेशानियां होती हैं किंतु पीड़ित इसे सामान्य परेशानी मान झेलता रहता है। खून की थायराइड जांच कराने पर ही यह स्पष्ट होता है। महिलाओं को अपने शारीरिक बनावट व हार्मोनल कारणों से थायराइड की बीमारी व परेशानी ज्यादा होती है। यह थायराइड भी दो प्रकार का होता है, पहला हाइपोथायराइड एवं दूसरा हायपरथायराइड।
हाइपोथायराइड -
इस बीमारी में थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता जिससे शरीर में आवश्यकता के अनुसार टी.थ्री व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है। इस बीमारी की स्थिति में वजन में अचानक वृद्घि हो जाती है। रोजाना की गतिविधियों में रूचि कम हो जाती है। इन्हें ठंड बहुत महसूस होती है। कब्ज होने लगता है। आंखें सूज जाती हैं।
मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। सुस्ती महसूस होती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। इनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं। जोड़ों में पानी भर जाता है जिससे दर्द होता है और चलने में दिक्कत होती है। मांसपेशियों में भी पानी भर जाता है जिससे चलते-फिरते हल्का दर्द पूरे शरीर में होता है। चेहरा सूज जाता है। आवाज रूखी व भारी हो जाती है। यह रोग ३० से ६० वर्ष की महिलाओं को होता है।
हायपरथायराइड -
इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है और टी थ्री, टी फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकलकर रक्त में घुलनशील हो जाता है। इस बीमारी की स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है। अत्यधिक पसीना आता है। ये रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाते। इनकी भूख में वृद्घि होती है। ये दुबले नजर आते हैं। मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। निराशा हावी हो जाती है।
हाथ कांपते हैं और आंखें उनींदी रहती हैं। आंखें बाहर आ जाएंगी, ऐसा लगता है। धड़कन बढ़ जाती है। इन्हें नींद नहीं आती। दस्त होता है। प्रजनन प्रभावित होता है। मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। गर्भपात के मामले सामने आते हैं। हायपर थायराइड बीस साल की महिलाओं को ज्यादा होता है।
जांच व उपचार -
थायराइड के दोनों प्रकार में रक्त की जांच पहले की जाती है। रक्त में टी थ्री, टी फोर एवं टी एस एच लेवल में सक्रिय हार्मोन्स का लेवल जांच किया जाता है। जांच निष्कर्ष के अनुसार डाक्टर उपचार बताते हैं। विवाह के उपरांत एवं गर्भावस्था में महिलाएं थायराइड की जांच जरूर कराएं। इससे गर्भवती एवं गर्भस्थ शिशु को किसी प्रकार की दिक्क्त नहीं आएगी। नब्बे प्रतिशत रोगियों को उम्र भर दवा खानी पड़ती है, किंतु पहले चरण में उपचार करा लेने से महिलाओं के शेष जीवन की दिनचर्या आसान हो जाती है। मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।
ऐसे मरीज तनाव से बचें एवं हाइपोथायराइड है तो आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ से जीवन भर बचें। थायराइड की बीमारी पुरूषों व बच्चों को भी होती है। यह वंशानुगत होने वाली बीमारियों में से एक है।
अध्ययन के मुताबिक जलीय वनस्पति में पाए जाने वाले क्लोरोफिल, फाइटोबिलीप्रोटीन और जेंथोफिल्स उपापचय को ठीक रखने में काफी हद तक मददगार होते हैं। यही नहीं इस वनस्पति में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे नाइट्रेट, फास्फेट व सेलीसिलिक एसिड भी उपापचय की प्रक्रिया को दुरुस्त रखते हैं।
हालांकि इसके कई इलाज मौजूद हैं लेकिन शोधकर्ताओं ने जलीय वनस्पति [फाइटोप्लेंकटन] को थायराइड की समस्या दूर करने में कारगर बताया है।
शोधकर्ताओं की राय में उपापचय की दर को सही बनाए रखने के लिए गोजी बेरी का जूस भी काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा विटामिन ए व सी की उचित मात्रा का लिया जाना हाइपोथायराडिज्म में कारगर साबित होता है।
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वादा-ए-वफ़ा
हमें गुरूर था कभी कि वो साथ हैं अपने
वक़्त निकला तो वो चल दिए रस्ते अपने
जिनकी खातिर लड़ पड़े थे ज़माने से
वो आखिर निकले बस एक अदना से
हमें तो नाज़ था उनकी हर एक बात पर
अब नहीं एतबार उनका किसी भी बात पर
हमने तो महफूज़ रखा है अपनी सोच को
उनका रस्ता बदल गया और सोच को
हम फख्र करते रहेंगे इस ईमानदारी पर
उन्हें भी रश्क होगा कभी इस खुद्दारी पर
हमें कोई गम नहीं कि वो बेवफा निकले
फिर भी चाहेंगे कि वो वादा-ए-वफ़ा निकले
वक़्त निकला तो वो चल दिए रस्ते अपने
जिनकी खातिर लड़ पड़े थे ज़माने से
वो आखिर निकले बस एक अदना से
हमें तो नाज़ था उनकी हर एक बात पर
अब नहीं एतबार उनका किसी भी बात पर
हमने तो महफूज़ रखा है अपनी सोच को
उनका रस्ता बदल गया और सोच को
हम फख्र करते रहेंगे इस ईमानदारी पर
उन्हें भी रश्क होगा कभी इस खुद्दारी पर
हमें कोई गम नहीं कि वो बेवफा निकले
फिर भी चाहेंगे कि वो वादा-ए-वफ़ा निकले
Tuesday, August 16, 2011
Anna Hazare
In the modern times people like Anna are an extinct species! In spite of sinister remarks and arrogance of some of the ruling coalition loud mouths, Anna commands the majority support. His unprecedented arrest anguished even the die-hard supporters of the UPA Government in India.
Anna is well meaning, simple, committed and reverend member of the civil society. He means no harm but has proven antecedents of leading and guiding the low-cost and simple development model for the rural folks. His simplicity and commitment has touched the hearts of people of all ages in India and abroad! People have now started saying that they are proud to be wintnessing the Anna days! True to the Gandhian principles, he propagates the 'non-violence' and non-violent methods of ferlessly protesting against the corrupt, corruption and corrupt practices and systems.
Anna has nothing to prove any more; but the policy makers and people have to learn from him much more! Ana Kudos to you!We are proud to be your contemporaries!
Anna is well meaning, simple, committed and reverend member of the civil society. He means no harm but has proven antecedents of leading and guiding the low-cost and simple development model for the rural folks. His simplicity and commitment has touched the hearts of people of all ages in India and abroad! People have now started saying that they are proud to be wintnessing the Anna days! True to the Gandhian principles, he propagates the 'non-violence' and non-violent methods of ferlessly protesting against the corrupt, corruption and corrupt practices and systems.
Anna has nothing to prove any more; but the policy makers and people have to learn from him much more! Ana Kudos to you!We are proud to be your contemporaries!
Friday, August 12, 2011
raksha bandha ~courtesy Pratibimb Barthwal:)
~ रक्षा बंधन ~
देव - दानवो के युद्ध मे जब दानव हावी थे
इंद्राणी ने इन्द्र को तब पवित्र धागा बांधा था
इस धागे की शक्ति से इन्द्र ने विजय पायी थी
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था
विष्णु ने जब राजा बलि से संसार मांग लिया था
बलि की भक्ति ने विष्णु को तब अपने संग रोका था
लक्ष्मी ने बांध इसे बलि को विष्णु को तब पाया था
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था
शिशुपाल का वध जब कृष्ण ने किया था
कृष्ण की तर्जनी से बहता खून का रेला था
द्रौपदी ने चीर बांध कृष्ण के खून को रोका था
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था
रानी कर्णवती ने हुमायूँ को यह राखी भेजी थी
हुमायूँ ने फिर बहादुरशाह के संग की लड़ाई थी
सिकंदर की भार्या ने भी पुरू को राखी भेजी थी
इस धागे ने ही तब सिकंदर की जान बचाई थी
केवल बहन भाई के रिश्ते का धोतक नही है
केवल लेन देन का रिश्ता इसकी सोच नही है
एक दूजे की रक्षा करने का यह मज़बूत धागा है
स्नेह और समर्पण का यह धागा तो बस गवाह है
ब्राह्मण इसे यजमान को बांध आपति से बचाता है
सीमा पर सैनिकों का भी ये धागा मनोबल बढ़ाता है
मित्रो मे भी यह धागा स्नेह और विश्वास जगाता है
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह शुभ पल आता है
सभी पाठको को रक्षाबंधन की बधाई एवं शुभकामनायें!!!
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
देव - दानवो के युद्ध मे जब दानव हावी थे
इंद्राणी ने इन्द्र को तब पवित्र धागा बांधा था
इस धागे की शक्ति से इन्द्र ने विजय पायी थी
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था
विष्णु ने जब राजा बलि से संसार मांग लिया था
बलि की भक्ति ने विष्णु को तब अपने संग रोका था
लक्ष्मी ने बांध इसे बलि को विष्णु को तब पाया था
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था
शिशुपाल का वध जब कृष्ण ने किया था
कृष्ण की तर्जनी से बहता खून का रेला था
द्रौपदी ने चीर बांध कृष्ण के खून को रोका था
श्रावण पूर्णिमा के दिन यह पल आया था
रानी कर्णवती ने हुमायूँ को यह राखी भेजी थी
हुमायूँ ने फिर बहादुरशाह के संग की लड़ाई थी
सिकंदर की भार्या ने भी पुरू को राखी भेजी थी
इस धागे ने ही तब सिकंदर की जान बचाई थी
केवल बहन भाई के रिश्ते का धोतक नही है
केवल लेन देन का रिश्ता इसकी सोच नही है
एक दूजे की रक्षा करने का यह मज़बूत धागा है
स्नेह और समर्पण का यह धागा तो बस गवाह है
ब्राह्मण इसे यजमान को बांध आपति से बचाता है
सीमा पर सैनिकों का भी ये धागा मनोबल बढ़ाता है
मित्रो मे भी यह धागा स्नेह और विश्वास जगाता है
श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह शुभ पल आता है
सभी पाठको को रक्षाबंधन की बधाई एवं शुभकामनायें!!!
-प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल
Genuine Reasons
The adorable part of people
Might mislead some times
The reality may be different
Their inner self may be other
Different could be attitude
Spoken words not be true
Appearance be deceptive
Gestures and body language
Could just be the illusions
Intents may be mismatching
With what you had thought
The enthusiasm on purpose
Looks may be mischievous
But why get in to all this?
Retain your aptitude well
Follow your own attitude
Do grant concessions too
Margin for circumstances
Also any genuine reasons
You must be the genuine
That’s what matters for you
Might mislead some times
The reality may be different
Their inner self may be other
Different could be attitude
Spoken words not be true
Appearance be deceptive
Gestures and body language
Could just be the illusions
Intents may be mismatching
With what you had thought
The enthusiasm on purpose
Looks may be mischievous
But why get in to all this?
Retain your aptitude well
Follow your own attitude
Do grant concessions too
Margin for circumstances
Also any genuine reasons
You must be the genuine
That’s what matters for you
Thursday, August 11, 2011
जुस्तज़ू
आज हवाओं में भीनी भीनी ख़ुशबू है
होने वाली पूरी शायद मेरी जुस्तजू है
आसमान भी आज मेरा गवाह बन रहा है
कितने खिलते हुए नीले रंग में दीख रहा है
बादलों के गुच्छों में बैठ कर नीचे सी आती
परियों की भी लगता बस यही आरजू है
मेरे आस पास बहती कैसी मंद पवन है
मौसम भी आज इधर ऐसा मनभावन है
न मालूम कौन है देता क्या आमंत्रण है
कुछ भी हो चलता रहे यही सिलसिला
अब बस यही मेरी आरज़ू जुस्तज़ू भी है
Tuesday, August 9, 2011
मुल्क जल रहा है
बचा लो इसे ये मुल्क जल रहा है
देखो कहीं जाति से, कहीं धर्म से
सत्कर्म छोड़ दुष्कर्म से कैसा
ये रोज़, हर रोज़ जल रहा है
भ्रष्ट शासक भ्रष्ट लोगों की भीड़ में
बस भ्रष्ट ही आचार पल रहा है
कहीं भूख से कहीं शोषकों से
त्रस्त जन बस हाथ मल रहा है
हर तरफ हाहाकार है मचा यहाँ
आज है और न कोई कल रहा है
परिवार की और जेब की बस
जुगत में हर कोई विकल रहा है
भूल सब बस अपनी खातिर सही
बचा लो इसे ये मुल्क जल रहा है
देखो कहीं जाति से, कहीं धर्म से
सत्कर्म छोड़ दुष्कर्म से कैसा
ये रोज़, हर रोज़ जल रहा है
भ्रष्ट शासक भ्रष्ट लोगों की भीड़ में
बस भ्रष्ट ही आचार पल रहा है
कहीं भूख से कहीं शोषकों से
त्रस्त जन बस हाथ मल रहा है
हर तरफ हाहाकार है मचा यहाँ
आज है और न कोई कल रहा है
परिवार की और जेब की बस
जुगत में हर कोई विकल रहा है
भूल सब बस अपनी खातिर सही
बचा लो इसे ये मुल्क जल रहा है
दीदार-ए- यार
ज़माना गुजरा कोई पैगाम मिले सही
ये दिल आज भी गुल-ए-गुलज़ार तो है
न उनने कभी या न हमने ही कहा हो
लफ़्ज़ों में बयाँ न हो सही इकरार तो है
दिन गुज़रे रातें भी गुजरी तसव्वुर में
मुलाक़ात न हों न सही इंतजार तो है
वो अपने शहर में हम अपनी डगर हैं
पास नहीं हम दूर सही पर प्यार तो है
नींद न हो न सही ख्वाब भी न सही
मेरी बंद आँखों में दीदार-ए- यार तो है
BREATH YOURSELF HEALTHY
The nose has a left and a right side; we use both to inhale and exhale.
Actually they are different; you would be able to feel the difference.
The right side represents the sun, left side represents the moon.
During a headache, try to close your right nose
and use your left nose to breathe.
In about five minutes, your headache will go?
If you feel tired, just reverse, close your left nose and breathe through your right nose.
After a while, you will feel your mind is refreshed.
Right side belongs to 'hot', so it gets heated up easily, left side belongs to 'cold'.
Most females breathe with their left noses,
so they get "cooled off" faster.
Most of the guys breathe with their right noses,
they get worked up.
Do you notice the moment we wake up,
which side breathes faster?
Left or right? ?
If left is faster,
you will feel tired.
So, close your left nose and
use your right nose for breathing,
you will get refreshed quickly.
This can be taught to kids, but it is
more effective when practiced by adults.
My friend used to have bad headaches and
was always visiting the doctor.
There was this period when she suffered
headache literally every night, unable to study.
She took painkillers, did not work.
She decided to try out the breathing therapy here: closed her right nose and breathed through her left nose.
In less than a week, her headaches were gone!
She continued the exercise for one month.
This alternative natural therapy without medication is something that she has experienced.
So, why not give it a try, yourself? It does not cost anything. You may have seen similar process in Yoga.
Actually they are different; you would be able to feel the difference.
The right side represents the sun, left side represents the moon.
During a headache, try to close your right nose
and use your left nose to breathe.
In about five minutes, your headache will go?
If you feel tired, just reverse, close your left nose and breathe through your right nose.
After a while, you will feel your mind is refreshed.
Right side belongs to 'hot', so it gets heated up easily, left side belongs to 'cold'.
Most females breathe with their left noses,
so they get "cooled off" faster.
Most of the guys breathe with their right noses,
they get worked up.
Do you notice the moment we wake up,
which side breathes faster?
Left or right? ?
If left is faster,
you will feel tired.
So, close your left nose and
use your right nose for breathing,
you will get refreshed quickly.
This can be taught to kids, but it is
more effective when practiced by adults.
My friend used to have bad headaches and
was always visiting the doctor.
There was this period when she suffered
headache literally every night, unable to study.
She took painkillers, did not work.
She decided to try out the breathing therapy here: closed her right nose and breathed through her left nose.
In less than a week, her headaches were gone!
She continued the exercise for one month.
This alternative natural therapy without medication is something that she has experienced.
So, why not give it a try, yourself? It does not cost anything. You may have seen similar process in Yoga.
Saturday, August 6, 2011
बहुत देर
पांचवीं तक पहुँचते पहुँचते
फीस को भी पैसे न बचे थे
माँ-बाप ने और पढ़ना चाहा
फिर विवश थे इस बात से
अब बेटे को भी तो पढ़ाना है
इसका क्या ये तो लड़की है!
अंतिम संस्कार तो वही करेगा
उसका विवाह कर दिया गया था
कई वर्ष बाद आयाम बदले
पुत्र ने नाता तोड़ा माँ-बाप से
माँ-बाप फटे हाल हो गए थे
बेटी अपने प्रयास व संघर्ष से
सफल गृहस्थी चला रही थी
बेटी ही अब अपनी ख़ुशी से
माँ-बाप का भी सहारा थी
किन्तु माँ-बाप को अब लगा
उनसे ही गलती हो गई थी
मगर अब बहुत देर हो गई थी
फीस को भी पैसे न बचे थे
माँ-बाप ने और पढ़ना चाहा
फिर विवश थे इस बात से
अब बेटे को भी तो पढ़ाना है
इसका क्या ये तो लड़की है!
अंतिम संस्कार तो वही करेगा
उसका विवाह कर दिया गया था
कई वर्ष बाद आयाम बदले
पुत्र ने नाता तोड़ा माँ-बाप से
माँ-बाप फटे हाल हो गए थे
बेटी अपने प्रयास व संघर्ष से
सफल गृहस्थी चला रही थी
बेटी ही अब अपनी ख़ुशी से
माँ-बाप का भी सहारा थी
किन्तु माँ-बाप को अब लगा
उनसे ही गलती हो गई थी
मगर अब बहुत देर हो गई थी
Friday, August 5, 2011
वो ही वो
दिन भर जिनको बिसरा चुके थे
रात भर फिर वही ख्याल आते रहे
जिस जिस को भूल जाना चाहा
बस वो ही वो थे याद आते रहे
रात भर फिर वही ख्याल आते रहे
जिस जिस को भूल जाना चाहा
बस वो ही वो थे याद आते रहे
Thursday, August 4, 2011
दिल से देखो
जो मिले नसीब समझ ले लो
यही तो हर सरकार समझती है
नेताओं को ही राज करने दो
इसमें जनता कहाँ खपती है
राजतन्त्र, अर्थतंत्र की समझ
कहाँ कब हरएक को होती है
कौन कहता है जनता रोती है
रोने की फुर्सत कहाँ होती है
महंगाई कहाँ बढ़ी कहते हो
यहाँ तो उम्र भी बड़ी सस्ती है
दिल से देखो आँखों का क्या
हर ओर तरक्की ही तरक्की है
यही तो हर सरकार समझती है
नेताओं को ही राज करने दो
इसमें जनता कहाँ खपती है
राजतन्त्र, अर्थतंत्र की समझ
कहाँ कब हरएक को होती है
कौन कहता है जनता रोती है
रोने की फुर्सत कहाँ होती है
महंगाई कहाँ बढ़ी कहते हो
यहाँ तो उम्र भी बड़ी सस्ती है
दिल से देखो आँखों का क्या
हर ओर तरक्की ही तरक्की है
Wednesday, August 3, 2011
Monday, August 1, 2011
Extra Dose
I challenge and dare thoughts
Try trouble or overpower me
They may unsettle or de-settle
Momentarily my mind or emotions
I will bounce back rejuvenated
With the extra zeal and energy
All I will have to do may be
To understand them rationally
And to control them or evict
As they were allowed to reside
By no one else but only myself
So shall I deal with them all
Whenever they give extra dose
Try trouble or overpower me
They may unsettle or de-settle
Momentarily my mind or emotions
I will bounce back rejuvenated
With the extra zeal and energy
All I will have to do may be
To understand them rationally
And to control them or evict
As they were allowed to reside
By no one else but only myself
So shall I deal with them all
Whenever they give extra dose
दस्तूर
उसकी नज़रों में थी एक अजीब सी कशिश
उसके चेहरे की रंगत बदलती रहती थी
किसी ख्याल के चलते ही शायद वो
ज़माने के दस्तूर को समझने लगी थी
उसके चेहरे की रंगत बदलती रहती थी
किसी ख्याल के चलते ही शायद वो
ज़माने के दस्तूर को समझने लगी थी
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