बहुत किया इंतजार कि वो आये शायद
अब भी राह देखते हैं कि वो आयें शायद
उनके आने से कुछ तो बदलेगा शायद
पर तक़दीर में जो है वही होगा शायद
I am waiting for so long for that arrival
Continued awaiting for that moment to come
May be that arrival will change few things
But what is in destiny so shall have to come
Saturday, December 31, 2011
Friday, December 30, 2011
नया साल
उसके आने के इंतजार की इन्तहा है अब
इसको रुखसत कर देने का समय है अब
खुशियों का हिसाब किताब भी होगा अब
आने वाली खुशियों का इंतजार भी है अब
एक और साल बीत गया ज़िन्दगी का अब
एक और नया साल फिर आने वाला है अब
जो सब नहीं पाया या नहीं कर पाए हैं अब
उस सब को ही पा लेने की कोशिश है अब
हमारी हर दुआ हर शख्स के लिए है अब
ख़ुशियाँ पाने को हर वक़्त सबका है अब
इसको रुखसत कर देने का समय है अब
खुशियों का हिसाब किताब भी होगा अब
आने वाली खुशियों का इंतजार भी है अब
एक और साल बीत गया ज़िन्दगी का अब
एक और नया साल फिर आने वाला है अब
जो सब नहीं पाया या नहीं कर पाए हैं अब
उस सब को ही पा लेने की कोशिश है अब
हमारी हर दुआ हर शख्स के लिए है अब
ख़ुशियाँ पाने को हर वक़्त सबका है अब
Thursday, December 29, 2011
Anna Hazare and Team Should Stay Away from Politics
People like Anna Hazare in India have great social role to play in the society. He should have taken credit for successfully convincing the Parliamentarians for a strong Lokpal(Ombudsman)!
A good beginning was stalled yesterday by politicians, by not passing the Bill in the Upper House. And yes, Anna and his team should not be taking political sides and strides..no wonder there were fewer supporters in protests this week with them! Albeit, they have very important role to play!Saintly people like Anna do not well understand the media and politicians gimmickry; and games they play for vested interests. Team Anna should also try to understand that there was a party in power who for the first time was willing to pass the bill and open to future amendments and improvements. It served the cause no purpose by Congress bashing and spitting venom against them at public meetings! Net result was the Lokpal bill is not passed:(
People like Anna are few icons of ethics, morality and service motives in the society. We support the cause of rooting out graft and corruption and the people's power.
Long live Anna and stay away from politics!
A good beginning was stalled yesterday by politicians, by not passing the Bill in the Upper House. And yes, Anna and his team should not be taking political sides and strides..no wonder there were fewer supporters in protests this week with them! Albeit, they have very important role to play!Saintly people like Anna do not well understand the media and politicians gimmickry; and games they play for vested interests. Team Anna should also try to understand that there was a party in power who for the first time was willing to pass the bill and open to future amendments and improvements. It served the cause no purpose by Congress bashing and spitting venom against them at public meetings! Net result was the Lokpal bill is not passed:(
People like Anna are few icons of ethics, morality and service motives in the society. We support the cause of rooting out graft and corruption and the people's power.
Long live Anna and stay away from politics!
new year/Old Year
हर साल की तरह उन्हें फिर वही जिज्ञासा थी
वो पूछते थे हमसे कि नया साल कब आयेगा
कुछ नहीं बदलने वाला हमें मालूम था फिर भी
हमने कहा जब पुराना वाला पुराना हो जायेगा
His curiosity was same as always
To know when new year will arrive
I knew nothing was going to change
Yet replied when one becomes old!
वो पूछते थे हमसे कि नया साल कब आयेगा
कुछ नहीं बदलने वाला हमें मालूम था फिर भी
हमने कहा जब पुराना वाला पुराना हो जायेगा
His curiosity was same as always
To know when new year will arrive
I knew nothing was going to change
Yet replied when one becomes old!
Wednesday, December 28, 2011
लोग
सत्य तो सदैव कटु रहा है
मीठा पुआ क्यों समझें लोग
सत्य की गलत व्याख्या से
असत्य की वकालत कर लोग
सार्वभौम प्रभुसत्ता के नाम
व्यवस्थाओं की दुहाई देकर
भ्रामक दुष्प्रचार करते हुए
जन आंदोलनों की उपेक्षा कर
अपने देश में लोकशाही को
लुल्ल-पुंज से करते से लोग
इन सब के बीच संघर्षरत
जीवट वाले भी हैं कई लोग
नैतिक आचरण प्रयोग कर
आत्म बल दिखाते हुए लोग
मीठा पुआ क्यों समझें लोग
सत्य की गलत व्याख्या से
असत्य की वकालत कर लोग
सार्वभौम प्रभुसत्ता के नाम
व्यवस्थाओं की दुहाई देकर
भ्रामक दुष्प्रचार करते हुए
जन आंदोलनों की उपेक्षा कर
अपने देश में लोकशाही को
लुल्ल-पुंज से करते से लोग
इन सब के बीच संघर्षरत
जीवट वाले भी हैं कई लोग
नैतिक आचरण प्रयोग कर
आत्म बल दिखाते हुए लोग
Tuesday, December 27, 2011
पराकाष्ठा
समय और जीवन दोनों ही
अपरिहार्य और गतिमान हैं
दोनों की भविष्यवाणी करना
हमारी क्रियाक्षमता से बाहर है
अपरिमित और असाध्य को
मापने का प्रयास भर ही है
इनकी विवेचना व सम्भावना
अनुमान लगाना मात्र ही है
इनके गतिशीलता के आयाम
इन्हीं के बस अपने से ही हैं
इन्हें वश में करने के प्रयास
अवश्यमेव बेमानी से ही हैं
इनकी पराकाष्ठा भी केवल
इन्हीं के तर्क पर चलती है
अपरिहार्य और गतिमान हैं
दोनों की भविष्यवाणी करना
हमारी क्रियाक्षमता से बाहर है
अपरिमित और असाध्य को
मापने का प्रयास भर ही है
इनकी विवेचना व सम्भावना
अनुमान लगाना मात्र ही है
इनके गतिशीलता के आयाम
इन्हीं के बस अपने से ही हैं
इन्हें वश में करने के प्रयास
अवश्यमेव बेमानी से ही हैं
इनकी पराकाष्ठा भी केवल
इन्हीं के तर्क पर चलती है
Monday, December 26, 2011
दोस्ती
वक़्त की तो हमसे हो चुकी है दोस्ती
वक़्त का क्या वो तो कट ही जायेगा
अब वो हमसे अक्सर पूछता रहता है
ज़माना अब कितनी तरक्की करेगा
ये पुरानी बातें अब सब मिट जाएँगी
या इनका एहसास भर ही रह जायगा
क्या कह सकते ही इत्मीनान से तुम
कि ये सब कुछ तुम्हारे बाद भी रहेगा
रोज़ की तरह ही नई राह चल दिए हो
ये नया रास्ता न जाने किधर जायेगा
हमने कह दिया वक़्त को बेवाकी से
तुम्हारे भरोसे ही सब चलता जायेगा
वक़्त का क्या वो तो कट ही जायेगा
अब वो हमसे अक्सर पूछता रहता है
ज़माना अब कितनी तरक्की करेगा
ये पुरानी बातें अब सब मिट जाएँगी
या इनका एहसास भर ही रह जायगा
क्या कह सकते ही इत्मीनान से तुम
कि ये सब कुछ तुम्हारे बाद भी रहेगा
रोज़ की तरह ही नई राह चल दिए हो
ये नया रास्ता न जाने किधर जायेगा
हमने कह दिया वक़्त को बेवाकी से
तुम्हारे भरोसे ही सब चलता जायेगा
Saturday, December 24, 2011
डोर
बड़े नाज़ुक से होते हैं रिश्ते
पर बड़ी लम्बी है डोर इनकी
डोर के एक छोर पर हम हैं
कोई हमारी थामी जगह है
कई लोग इसके आस पास हैं
कुछ दूर से नज़ारा करते हैं
कई इशारा सा भी करते हैं
हमें अपने पास बुलाने के लिए
कुछ दूर होना भी चाहते हैं
हमसे नाराज़ से या मनाते से
हमें बताने समझाने के लिए
कुछ भी कहना चाहे कोई
पर डोर तो बस अपने हाथ है
पर बड़ी लम्बी है डोर इनकी
डोर के एक छोर पर हम हैं
कोई हमारी थामी जगह है
कई लोग इसके आस पास हैं
कुछ दूर से नज़ारा करते हैं
कई इशारा सा भी करते हैं
हमें अपने पास बुलाने के लिए
कुछ दूर होना भी चाहते हैं
हमसे नाराज़ से या मनाते से
हमें बताने समझाने के लिए
कुछ भी कहना चाहे कोई
पर डोर तो बस अपने हाथ है
Friday, December 23, 2011
Merry X-mas and Happy New Year
While wishing you all the Merry X-mas and season's greetings; I feel like reminding us that the Jesus always fought for the 'truth' and left a legacy of people willing to sacrifice their everything for the welfare of others and truth!
The virtuousness is the nerve center of the teaching of Jesus and his sacrifice for the cause of humanity and spirituality! Lets not distort our thinking by getting away from the spirit and practice of ethics and virtuousness in our lives! Kudos Jesus and Merry Christmas to All.
May we live and practice the sentiments in the year 2012 and ever after! Amen!
The virtuousness is the nerve center of the teaching of Jesus and his sacrifice for the cause of humanity and spirituality! Lets not distort our thinking by getting away from the spirit and practice of ethics and virtuousness in our lives! Kudos Jesus and Merry Christmas to All.
May we live and practice the sentiments in the year 2012 and ever after! Amen!
Tuesday, December 20, 2011
गुनहगार/Culprits
तुमने सोचा होगा कि छोटे से दिल में तो बस
हम और सिर्फ हमारे खैख्वाह ही बसा करते हैं
अब तुमने जाना होगा इतनी मुद्दत के बाद कि
दिल की इस बस्ती में कई गुनहगार भी रहते हैं
You always thought that in your tiny heart
It just me and my well-wishers are living
Now after so long you would have realized
Dwellings of heart also had culprits sheltered
हम और सिर्फ हमारे खैख्वाह ही बसा करते हैं
अब तुमने जाना होगा इतनी मुद्दत के बाद कि
दिल की इस बस्ती में कई गुनहगार भी रहते हैं
You always thought that in your tiny heart
It just me and my well-wishers are living
Now after so long you would have realized
Dwellings of heart also had culprits sheltered
Sunday, December 18, 2011
जलन
कई तरह के फ़सादों और
भ्रष्टाचार की आग से जलते
समस्याओं से घिरे देश की
छवि धूमिल होने लगी है
अब इस जलन की तीव्रता
असीमित सी होने लगी है
अब कोई रुई के फाहे से
इसका उपचार शायद अब
कतई भी संभव नहीं है
शल्य चिकित्सा एकमात्र
सम्भावना सी रह गई है
अब तलाश है किसी भी
स्वीकरणीय चिकित्सक की
वही अब यहाँ शायद कोई
आख़िरी उम्मीद रह गई है
भ्रष्टाचार की आग से जलते
समस्याओं से घिरे देश की
छवि धूमिल होने लगी है
अब इस जलन की तीव्रता
असीमित सी होने लगी है
अब कोई रुई के फाहे से
इसका उपचार शायद अब
कतई भी संभव नहीं है
शल्य चिकित्सा एकमात्र
सम्भावना सी रह गई है
अब तलाश है किसी भी
स्वीकरणीय चिकित्सक की
वही अब यहाँ शायद कोई
आख़िरी उम्मीद रह गई है
Saturday, December 17, 2011
मेरे आँगन
कितनी धूल सी उड़ रही थी
वातावरण दूषित करती थी
उस रोज़ मिलकर दोनों ही
धूसरित करती मेरे आँगन
फिर किसी नवजात की
बिलखती किलकारी सी
वर्षा की बूँदें आ गई थीं
अकस्मात् ही मेरे आँगन
सब कुछ धुला धुला सा
सब घर द्वार व पेड़ पौधे
नए लगने लगे मेरे आँगन
मेरे अंतर्मन में भी शायद
किसी बूँदों की फुहार से
सब नया व ताज़ा लगेगा
एक रोज़ मेरे मन आँगन
वातावरण दूषित करती थी
उस रोज़ मिलकर दोनों ही
धूसरित करती मेरे आँगन
फिर किसी नवजात की
बिलखती किलकारी सी
वर्षा की बूँदें आ गई थीं
अकस्मात् ही मेरे आँगन
सब कुछ धुला धुला सा
सब घर द्वार व पेड़ पौधे
नए लगने लगे मेरे आँगन
मेरे अंतर्मन में भी शायद
किसी बूँदों की फुहार से
सब नया व ताज़ा लगेगा
एक रोज़ मेरे मन आँगन
शीशे सा दिल/hearts of glass
शीशे सा दिल अगर वाकई जो होता शीशे का
उसके आर पार दिखाई देना लाजमी न होता?
बचपन का सा प्यार अगर फिर से कभी होता
कुछ पाने का अंदाज़ ओ ख़याल अलग होता
If the hearts were actually made of glasses
They would be transparent to see through
If love of childhood days could come back
Considerations in thoughts would change!
उसके आर पार दिखाई देना लाजमी न होता?
बचपन का सा प्यार अगर फिर से कभी होता
कुछ पाने का अंदाज़ ओ ख़याल अलग होता
If the hearts were actually made of glasses
They would be transparent to see through
If love of childhood days could come back
Considerations in thoughts would change!
Tuesday, December 13, 2011
Travel
Life comes in a mixed bag
Happiness one of the traits
The shocks and misfortune
Momentary or temporary
There are no better ways
Than accepting as they are
All whirlwinds of our lives
Shall mallow down for sure
Like those receding tides
Leaving mark and lessons
And the thought for you
To derive positives from
Travel with journey of life
Anyways you never arrive!
Happiness one of the traits
The shocks and misfortune
Momentary or temporary
There are no better ways
Than accepting as they are
All whirlwinds of our lives
Shall mallow down for sure
Like those receding tides
Leaving mark and lessons
And the thought for you
To derive positives from
Travel with journey of life
Anyways you never arrive!
Sunday, December 11, 2011
नए आशियाने
उनको ज्यों खबर हो गई अब हमारे जाने की
राह पकड़ ली उन्होंने किसी और ठिकाने की
वो जो थकते नहीं थे कभी भी गुफ्तगू करते
हमसे मिलना और ख़ूबसूरत उस फ़साने की
आज उनको नहीं है फुर्सत ही हमें मिलने की
शायद होगी मशरूफियत नए आशियाने की
हम अब भी इंतजार मैं है उनसे रूबरू होकर
हसरत लिए उनको चन्द नए शेर सुनाने की
ताज्ज़ुब नहीं सुनकर उनके बदल जाने की
उनको क्या कहें ये तो फितरत है ज़माने की
राह पकड़ ली उन्होंने किसी और ठिकाने की
वो जो थकते नहीं थे कभी भी गुफ्तगू करते
हमसे मिलना और ख़ूबसूरत उस फ़साने की
आज उनको नहीं है फुर्सत ही हमें मिलने की
शायद होगी मशरूफियत नए आशियाने की
हम अब भी इंतजार मैं है उनसे रूबरू होकर
हसरत लिए उनको चन्द नए शेर सुनाने की
ताज्ज़ुब नहीं सुनकर उनके बदल जाने की
उनको क्या कहें ये तो फितरत है ज़माने की
Saturday, December 10, 2011
नई दहलीज़ new doorsteps
माना कि उम्रदराज़ तो हो चले हैं अब
पर उम्र के गुजरने का पता भी न चला
कब इस नई दहलीज़ पर आ गए हम
बस्तियाँ उजड़ने का पता भी न चला
The age has caught up with with time
But passing of age was never realized
I have arrived at these new doorsteps
Habitat turned remnants never realized
पर उम्र के गुजरने का पता भी न चला
कब इस नई दहलीज़ पर आ गए हम
बस्तियाँ उजड़ने का पता भी न चला
The age has caught up with with time
But passing of age was never realized
I have arrived at these new doorsteps
Habitat turned remnants never realized
Withdrawal
Having done the job so lengthy
The withdrawal isn’t very easy
It gives a weird feeling sometime
Having reached at the end of time
And nowhere now to reach out
A feeling of being empty and out
The sequence coming to memory
The warmth, also people unsavory
People, places and all their ways
Angles and those darkish rays
The nostalgia and few questions
Achievements and limitations
End also gives way to beginning
Of a new task or new happening
The feelings are always mixed
Yet; as if everything for all fixed
And the now questions new scope
Tomorrow bringing the new hope
The withdrawal isn’t very easy
It gives a weird feeling sometime
Having reached at the end of time
And nowhere now to reach out
A feeling of being empty and out
The sequence coming to memory
The warmth, also people unsavory
People, places and all their ways
Angles and those darkish rays
The nostalgia and few questions
Achievements and limitations
End also gives way to beginning
Of a new task or new happening
The feelings are always mixed
Yet; as if everything for all fixed
And the now questions new scope
Tomorrow bringing the new hope
Smile
She was looking at him
The guy seemed stressed
Looking at frowning face
She couldn’t resist a smile
He looked curiously at her
And asked if anything funny
She again smiled and replied
Yes! It was rather a bit funny
I was stressed the other day
Thought I was the unlucky one
Now when I see many people
I think I am luckier than many
So, I smiled looking at you
You too can observe this
But you must smile first
After a deep breath he smiled
Having done the comparison
He too couldn’t resist smile
A smile changed his life
His attitude changed too!
The guy seemed stressed
Looking at frowning face
She couldn’t resist a smile
He looked curiously at her
And asked if anything funny
She again smiled and replied
Yes! It was rather a bit funny
I was stressed the other day
Thought I was the unlucky one
Now when I see many people
I think I am luckier than many
So, I smiled looking at you
You too can observe this
But you must smile first
After a deep breath he smiled
Having done the comparison
He too couldn’t resist smile
A smile changed his life
His attitude changed too!
Friday, December 9, 2011
इतिहास
कहने को बहुत कुछ है मेरे पास
पर सुनने को नहीं है कोई पास
जब थे लोग कभी सुनने वाले भी
कहने को कुछ नहीं था मेरे पास
अब बस इन्तजार उस दिन का
कहा सुनने वाले होंगे कभी पास
मैं भी कोशिश करूँगा सुनने की
अगर कहने को है तुम्हारे पास
वक़्त निक़ल गया कुछ गम नहीं
ज़िन्दगी है ये नहीं कोई इतिहास
जो चाहा वो मिला हो या न सही
यहाँ हर किसी की है एक आस
पर सुनने को नहीं है कोई पास
जब थे लोग कभी सुनने वाले भी
कहने को कुछ नहीं था मेरे पास
अब बस इन्तजार उस दिन का
कहा सुनने वाले होंगे कभी पास
मैं भी कोशिश करूँगा सुनने की
अगर कहने को है तुम्हारे पास
वक़्त निक़ल गया कुछ गम नहीं
ज़िन्दगी है ये नहीं कोई इतिहास
जो चाहा वो मिला हो या न सही
यहाँ हर किसी की है एक आस
वर्तमान
ज़िन्दगी की बातें निराली हैं
जो है वही बस कम लगता है
वर्तमान में विगत की छाया में
मन अक्सर भटकता रहता है
वक़्त आगे ज़रूर बढ़ जाता है
पर विगत में झांकता रहता है
तब और में कई फर्क का बोध
अक्सर यहाँ कराता रहता है
फिर भी विगत सिर्फ याद है
वर्तमान ही तो अब सत्य है
जो है वही बस कम लगता है
वर्तमान में विगत की छाया में
मन अक्सर भटकता रहता है
वक़्त आगे ज़रूर बढ़ जाता है
पर विगत में झांकता रहता है
तब और में कई फर्क का बोध
अक्सर यहाँ कराता रहता है
फिर भी विगत सिर्फ याद है
वर्तमान ही तो अब सत्य है
परेशानियाँ
ख़ुशनुमा अंदाज़ में ज़िन्दगी तब यूँ चल रही थी
मानो शहर भी की ख़ुशी मेरी झोली में आ गई थी
फिर अचानक वक़्त ने उधर करवट बदल ली थी
परेशानी के वक़्त कुछ बात समझ न आती थी
उस दिन लगा कि मानो ज़िन्दगी ही थम गई थी
फिर पता भी नहीं चला कब वो आगे बढ़ गई थी
परेशानियाँ आईं तो ज़रूर मगर निक़ल गई थीं
वक़्त के साथ घावों पर मरहम भी लगा चुकी थीं
परेशानी भी अब सफ़र की ही साथी लगती थी
ख़ुशी भी इन्हीं की पीठ पर सवार सी लगती थी
मानो शहर भी की ख़ुशी मेरी झोली में आ गई थी
फिर अचानक वक़्त ने उधर करवट बदल ली थी
परेशानी के वक़्त कुछ बात समझ न आती थी
उस दिन लगा कि मानो ज़िन्दगी ही थम गई थी
फिर पता भी नहीं चला कब वो आगे बढ़ गई थी
परेशानियाँ आईं तो ज़रूर मगर निक़ल गई थीं
वक़्त के साथ घावों पर मरहम भी लगा चुकी थीं
परेशानी भी अब सफ़र की ही साथी लगती थी
ख़ुशी भी इन्हीं की पीठ पर सवार सी लगती थी
Thursday, December 8, 2011
स्वागत
स्वागत है ऐ बिटिया तुम्हारे आने का मेरे द्वार
तुम नव ऋतु की नव कली सदृश बन आई हो
मेरी प्यासी पथराई सी आँखों में नव ज्योति सी
सूखे से तरुवर में तुम ऐसी हरियाली लाई हो
मेरे उद्गार नए शब्द बन पड़े उमड़ अब कितने
तुम तन मन में कैसा नव जीवन मेरे लाई हो
हर पल हर ध्वनि तेरी कितनी है प्रिय मुझको
मैं संभालूँगा ये सब जो उल्लास हर्ष ले आई हो
तुम नव ऋतु की नव कली सदृश बन आई हो
मेरी प्यासी पथराई सी आँखों में नव ज्योति सी
सूखे से तरुवर में तुम ऐसी हरियाली लाई हो
मेरे उद्गार नए शब्द बन पड़े उमड़ अब कितने
तुम तन मन में कैसा नव जीवन मेरे लाई हो
हर पल हर ध्वनि तेरी कितनी है प्रिय मुझको
मैं संभालूँगा ये सब जो उल्लास हर्ष ले आई हो
Wednesday, December 7, 2011
दर्द से रिश्ते
अब कैसे संभालें दिल को हम
दिन रात वो पल याद आते हैं
कितना ही भुलाना चाहें हम
वो बस यादों में आ जाते हैं
जब उनके ख्याल आ जाते हैं
हम खुद को ही भूला करते हैं
जब रातों की नींद नहीं आती
तो हम करवट बदला करते हैं
देख फलक की ओर कहीं हम
बिखरे से तारे गिनते रहते हैं
हमदर्द नहीं हमदम भी कहाँ
हम इस दर्द से रिश्ते रखते हैं
दिन रात वो पल याद आते हैं
कितना ही भुलाना चाहें हम
वो बस यादों में आ जाते हैं
जब उनके ख्याल आ जाते हैं
हम खुद को ही भूला करते हैं
जब रातों की नींद नहीं आती
तो हम करवट बदला करते हैं
देख फलक की ओर कहीं हम
बिखरे से तारे गिनते रहते हैं
हमदर्द नहीं हमदम भी कहाँ
हम इस दर्द से रिश्ते रखते हैं
परवाह/Care
किस किस की करें परवाह यहाँ
हर कोई गैर मुतमईन है हमसे
अमल करें किस किस की सलाह
हर कोई सीख देना चाहता है हमें
who all should I care about
Each one dissatisfied with me
Who all shall I follow about
Each one wants to teach me!
हर कोई गैर मुतमईन है हमसे
अमल करें किस किस की सलाह
हर कोई सीख देना चाहता है हमें
who all should I care about
Each one dissatisfied with me
Who all shall I follow about
Each one wants to teach me!
Tuesday, December 6, 2011
लेखा जोखा
मुझे तरस आ रहा है तुम पर!
तुम उपहास के प्रतीक से बन
क्यों इतने बिस्मय से देखते हो?
कहीं अधिक मिला है तुमको
जितना किया उसकी तुलना में
जो नहीं मिल पाया है तुमको
उस पर आज इतना रंज क्यों है?
इतनी सामान्य बात तो समझो
तुम कर सकते थे अवश्य ही
पर जो नहीं किया तुमने तब
यह उसका ही तो लेखा जोखा है!
तुम उपहास के प्रतीक से बन
क्यों इतने बिस्मय से देखते हो?
कहीं अधिक मिला है तुमको
जितना किया उसकी तुलना में
जो नहीं मिल पाया है तुमको
उस पर आज इतना रंज क्यों है?
इतनी सामान्य बात तो समझो
तुम कर सकते थे अवश्य ही
पर जो नहीं किया तुमने तब
यह उसका ही तो लेखा जोखा है!
Smile of the Time
It is sure possible to witness
As innumerable examples already
The struggle of some people
And with the smile of the time
Those who are condemned today
Can make a difference tomorrow
Only with their perseverance
And zeal to do a favorite act
Of surprising all the people
With their indomitable spirit
And the rare achievement shown
Today's people shall regret then
Tomorrow's shall be proud of
Yet the zeal shall be thirsty
Of achieving further heights
And above all surprising self
As innumerable examples already
The struggle of some people
And with the smile of the time
Those who are condemned today
Can make a difference tomorrow
Only with their perseverance
And zeal to do a favorite act
Of surprising all the people
With their indomitable spirit
And the rare achievement shown
Today's people shall regret then
Tomorrow's shall be proud of
Yet the zeal shall be thirsty
Of achieving further heights
And above all surprising self
Monday, December 5, 2011
दरख़्त
उसको न मालूम क्या हुआ
अजीब सी बातें करने लगा
बोला मुझसे वो दरख़्त भले
जो किसी ने लगाये थे कभी
उनकी हिफाज़त भी ख़ूब की
वो तो कोई फलदार भी नहीं हैं
पतझड़ से आँगन तक गन्दा है
पतझड़ की भी आलोचना नहीं
कर्तव्य समझ बस झाड़ू फेरा
बदले में उनने सिर्फ छाया दी
मैंने संतान की हिफाज़त की
पेड़ से कहीं ज्यादा की थी
बदले में बस क्षणिक ख़ुशी थी
ज़रूरत के वक़्त वहां मेरे लिए
कहीं कोई भी जगह नहीं थी
दरख्त की अपनी जगह तो थी
अजीब सी बातें करने लगा
बोला मुझसे वो दरख़्त भले
जो किसी ने लगाये थे कभी
उनकी हिफाज़त भी ख़ूब की
वो तो कोई फलदार भी नहीं हैं
पतझड़ से आँगन तक गन्दा है
पतझड़ की भी आलोचना नहीं
कर्तव्य समझ बस झाड़ू फेरा
बदले में उनने सिर्फ छाया दी
मैंने संतान की हिफाज़त की
पेड़ से कहीं ज्यादा की थी
बदले में बस क्षणिक ख़ुशी थी
ज़रूरत के वक़्त वहां मेरे लिए
कहीं कोई भी जगह नहीं थी
दरख्त की अपनी जगह तो थी
इत्तेहाद/Unity
इत्तेहाद की तो हद हो गई थी उस रोज़
सभी ने जान बूझकर थी शिरक़त की
जब सियासी वजहों से हुई खिलाफत
इखलाक़ बिगाड़ को दुरुस्त करने की
That day it crossed the limit of unity
Then tried joining together everyone
The opposition for political reason
To the efforts to fix the corruption
सभी ने जान बूझकर थी शिरक़त की
जब सियासी वजहों से हुई खिलाफत
इखलाक़ बिगाड़ को दुरुस्त करने की
That day it crossed the limit of unity
Then tried joining together everyone
The opposition for political reason
To the efforts to fix the corruption
Sunday, December 4, 2011
बेफुर्सती
कोई क्यों यहाँ इतनी बेफुर्सती में मरा करे
औरों की तरह ही बस फुर्सत में जिया करे
हक़ीक़त से दुनियां के दस्तूर को देखा करे
ये जीने का सबब है इससे सबक लिया करे
No one should live with time paucity
Like all others around live in leisurely
Look at the realities of this life around
This essence of living has lessons sound
औरों की तरह ही बस फुर्सत में जिया करे
हक़ीक़त से दुनियां के दस्तूर को देखा करे
ये जीने का सबब है इससे सबक लिया करे
No one should live with time paucity
Like all others around live in leisurely
Look at the realities of this life around
This essence of living has lessons sound
Distinction
Being distinct is rewarding
In whatever ways you can
The very first ray of the Sun
Shines more than later ones
Brightens surroundings more
Compared with the day’s sun
‘Cause it deals with darkness
And that makes a difference
Just like the last rays in dusk
Get overpowered by darkness
We care about more for sure
For those make the difference
Shine by making the difference
In whatever ways you can
The very first ray of the Sun
Shines more than later ones
Brightens surroundings more
Compared with the day’s sun
‘Cause it deals with darkness
And that makes a difference
Just like the last rays in dusk
Get overpowered by darkness
We care about more for sure
For those make the difference
Shine by making the difference
सुलह
तुम्हारे न चाहते भी हर बार की तरह
अपना मत प्रकट कर दिया था हमने
ज़रा दूसरे के नज़रिए से भी देख लो
अपना हक समझ कर कहा था हमने
बस एक बात ही सही कहा मान लो
हमारे हालत से सोचो कहा था हमने
क्यों हो गए थे इतने बेचैन अचानक
ऐसा भी क्या कुछ मांग लिया हमने
तुम ज़माने भर के तनाव ले आये
जिन्हें जाने कितनी बार देखा हमने
हमें तो लगा था फिर भी बिलकुल
सुलह पर अहसान किया था हमने
अपना मत प्रकट कर दिया था हमने
ज़रा दूसरे के नज़रिए से भी देख लो
अपना हक समझ कर कहा था हमने
बस एक बात ही सही कहा मान लो
हमारे हालत से सोचो कहा था हमने
क्यों हो गए थे इतने बेचैन अचानक
ऐसा भी क्या कुछ मांग लिया हमने
तुम ज़माने भर के तनाव ले आये
जिन्हें जाने कितनी बार देखा हमने
हमें तो लगा था फिर भी बिलकुल
सुलह पर अहसान किया था हमने
Saturday, December 3, 2011
अन्तिम कविता
जानता था कविता कितनी नापसंद हमें वो
फिर भी सुनाने का मौक़ा नहीं चूकता था वो
मौक़ा कितना संजीदा था ये जानता था वो
अपने आखिरी वक़्त में मुस्कुरा रहा था वो
जाते जाते भी एक कविता सुना गया था वो
हमको तो जीते ही मार डालना चाहता था वो
और ये आख़िरी ज़ुल्म भी ढाता रहा था वो
अपनी अन्तिम साँस तक सुनाता रहा था वो
सोचा था मर के तो शायद छोड़ेगा पीछा वो
बार हर बार कविता बन याद आता रहा था वो
:)))))))
फिर भी सुनाने का मौक़ा नहीं चूकता था वो
मौक़ा कितना संजीदा था ये जानता था वो
अपने आखिरी वक़्त में मुस्कुरा रहा था वो
जाते जाते भी एक कविता सुना गया था वो
हमको तो जीते ही मार डालना चाहता था वो
और ये आख़िरी ज़ुल्म भी ढाता रहा था वो
अपनी अन्तिम साँस तक सुनाता रहा था वो
सोचा था मर के तो शायद छोड़ेगा पीछा वो
बार हर बार कविता बन याद आता रहा था वो
:)))))))
दूरियाँ
कभी ये दूरियाँ उदास कर देती हैं
फिर यूँ प्रतीत होता हम तो वहीँ हैं
स्मृति पटल पर कोई दूरियां नहीं
स्मरण में तो आज भी सब वही है
दूरियाँ महज़ एक अहसास भर है
लेकिन मन घूमता आज भी वहीँ है
जिस साज से सुनाई देता था संगीत
ज़िन्दगी का साज आज भी वही है
महकती यादें स्पंदन और भावनाएं
उनका एहसास आज भी वही है
लेकिन मन के इस दावानल में
अंतर्मन का द्वन्द आज भी वही है
फिर यूँ प्रतीत होता हम तो वहीँ हैं
स्मृति पटल पर कोई दूरियां नहीं
स्मरण में तो आज भी सब वही है
दूरियाँ महज़ एक अहसास भर है
लेकिन मन घूमता आज भी वहीँ है
जिस साज से सुनाई देता था संगीत
ज़िन्दगी का साज आज भी वही है
महकती यादें स्पंदन और भावनाएं
उनका एहसास आज भी वही है
लेकिन मन के इस दावानल में
अंतर्मन का द्वन्द आज भी वही है
Friday, December 2, 2011
ग़लत
बात तब भी बस वहीँ थी
आज भी वहीँ अटक गई
बिना जाने सुने ही तुमने
सोचा ज्यों सब समझ गई
तुम न भी चाहो बूझना
इस अनबूझी पहेली को
हमारे ये ज़ज्बात ज़रूर
तुम्हें आभास तो कराएँगे
हम अपनी जगह सही थे
तुम्हारी समझ अलग थी
तुम्हारी सोच ग़लत थी
आज भी वहीँ अटक गई
बिना जाने सुने ही तुमने
सोचा ज्यों सब समझ गई
तुम न भी चाहो बूझना
इस अनबूझी पहेली को
हमारे ये ज़ज्बात ज़रूर
तुम्हें आभास तो कराएँगे
हम अपनी जगह सही थे
तुम्हारी समझ अलग थी
तुम्हारी सोच ग़लत थी
Unanswered
Many at times unheard
At times unsubstantiated
Yet it’s a pleasure for us
To listen to and concentrate
On the rhythmic patterns
Of the unknown voices
It’s not understandable
Yet sounds music to ears
Like the people chanting
With the devotional music
Feelings of some divinity
Experienced without words
Unintended unanswered
At times unsubstantiated
Yet it’s a pleasure for us
To listen to and concentrate
On the rhythmic patterns
Of the unknown voices
It’s not understandable
Yet sounds music to ears
Like the people chanting
With the devotional music
Feelings of some divinity
Experienced without words
Unintended unanswered
बाहर
मेरा सराहा जाना उनकी बर्दाश्त से बाहर था
उनकी नज़र में ये कुछ हद से बाहर सा था
उनका ये समझना मेरी समझ से बाहर था
दोनों को समझना मानो हकीकत से बाहर था
उनकी नज़र में ये कुछ हद से बाहर सा था
उनका ये समझना मेरी समझ से बाहर था
दोनों को समझना मानो हकीकत से बाहर था
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