Saturday, September 29, 2012

Stop Criticizing Politicians and Governments; Start Becoming Change Agents

Blaming the governments and the politicians has become a popular fashion among people all over the World!


Who are the members of the legislative bodies? They rightly claim to be our representative; because we have elected them to be so.

What is politics? It is the umbrella under which groups of people with different ambitions and agenda keep planning to be at the helm of affairs; by convincing/luring the supporters to get a majority view in their favor!

Now what is left to blame? Certainly we the people of any country! Knowingly or unknowingly we elect parties and people to govern us. So stop bitching about the politics, politicians and the governments!

Are you ready to become the change agent? Do your bit!

What we can do the least is to practice what we want to preach others to do! Everyone must analyse his/her role in the society, nation; and global systems. You are not a drop in the ocean; but the ocean is made from the drops. In your own way, means and aptitude do good and feel happy about. You are the master of your fate, ethics, behavior and deeds! If majority of people start doing their job sincerely and with commitment, the society in the next 10 years will become so different and likable!


Amen!

अपनी ज़ुबां / own tongue

खामोश निगाहें हैं खामोश ज़ुबां है
फिर भी मोहब्बत के ये तार रवाँ हैं
सन्नाटा नहीं है बस खामोशियाँ हैं
खामोशियों की भी अपनी ज़ुबां हैं
Silent are the sights and the tongue
Yet beaming are the chords of love
Not the silence but just silent ways
Silence too have their own tongue

Friday, September 28, 2012

बिसात

तुम्हारे अल्फाज़ जब नापसंद किये हमने
कोई शिक़ायत न कभी शिकवा किया हमने
हँसते हँसते सहे तुम्हारे सब वार थे हमने
न जाने कितनी नसीहतें हर रोज़ दी हमने
सोच बदलेगा ये तुम्हारा मिजाज़ था हमने
बहुत बर्दाश्त किया तुम्हारे दाँव को हमने
रोज़ नज़रंदाज़ कर किया माफ़ था हमने
लो बिछा दी है ज़िन्दगी की बिसात हमने
अब दो चार हाथ खेलने की ठान ली हमने

महके महके ख्वाब/ Fragrance of Dreams

महके महके से ये ख्वाब मुझे
आज भी देते जाते हैं तसल्ली
खुशियाँ भी दे जाती हैं दस्तक
अक्सर आकर यहाँ मेरी गली
Fresh fragrance of the dreams
Provide reassurance even now
Happiness knocks at my doors
Visiting me every then and now

Thursday, September 27, 2012

Don't Know/ नहीं मालूम

वक़्त से अलग होकर जुदा हो गए वक़्त से हम
फिर भी बहुत खुश हैं अपने आशियाने में हम
हमें नहीं मालूम कि होती है यहाँ क़िस्मत क्या
अपनी क़िस्मत को रोज़ ये राज़ बताते हैं हम
Separated from times I am away from time
Yet very happy I am in my own li'l dwelling
I don't know what is the big deal about luck
Everyday I reveal the secret to my fortune

Tuesday, September 25, 2012

अथाह / Unpredictable

जाने क्यों इतना चंचल व अथाह होता है मन
क्या मालूम हर पल में कब जाने कहाँ ले जाये
आसमान में छाए बादलों सा आवारा है ये मन
कभी तो जम के बरसे कभी इक बूंद को तरसाए
Don't know why so fickle and unpredictable is mind
One never knows at which moment it will take where
It's like a moving clouds spread in the sky around
Rains heavy yet make guessing for drops somewhere!

Sunday, September 23, 2012

Burden on Earth


Those who always shopping from
Single or the multi-brand shops
As the champions of the masses
Taking up issues and now giving
Sermons on foreign investments
The always unethical and corrupt
People and also their institutions
As the champions of transparency
Profoundly opposing movements
Busy finding mole from mountains
Uncivil people like burden on Earth
Merely for their ulterior motives
Undermine the role of civil society
The people never lived in villages
Out to thwart the development
Swearing by the plight of villagers
The parties with dictatorial trend
Try moving the attention away
Chanting chores of democracy
Whenever India strides ahead
Competitive and globally powerful
Why do such people do get crazy?

बेअसर / Ineffective

सब बेअसर ही हुआ मेरा कहना
अब कहने को बचा भी कुछ नहीं
वो कहते थे मेरे हित की करेंगे
पर मेरा पता तक भी पूछा नहीं
My suggestions proved ineffective
Now nothing with me is left to say
They promised work for my welfare
But seldom ask for even my address!

Saturday, September 22, 2012

अन्ततोगत्वा

व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकता है
रहने को घर चन्द चाहने वाले लोग
दो वक़्त की रोटी और चैन की नींद
आकांक्षाएं फिर आगे बढ़ने लगती हैं
पहले धन-धान्य फिर कुछ सम्मान
फिर नाम उसके बाद यश प्राप्ति भी
समझदार यहाँ सिंहावलोकन कर
समाज को वापस भी करने लगते हैं
आत्मसम्मान से लबरेज़ जीवन में
उनकी प्रशस्ति नए आयाम दिखाती
मूर्खों की पिपाशा और बढ़ती जाती है
अनैतिक कार्य और अनैतिक धन
उनका अपना मार्ग ही बन जाता है
किन्तु सब कुछ एक क्रम सा भी है
मूर्ख बस चिंता और असुरक्षा पाते हैं
लोगों में ईर्ष्या के पात्र बन जाते हैं
अपने कर्मफल स्वरुप ही उनका
जीवन भी कष्टकर होता ही जाता हैं
रोगग्रस्त हो जब उन्हें अहसास हो
समय चक्र में बस देर हो जाती है
पश्चाताप हेतु अवसर नहीं मिलता
एकाकी जीवन में क्षोभ ही बस!
अन्ततोगत्वा सब कुछ यहीं रहेगा
धन, लाभ, प्रेम आदि सब कुछ ही
सम्मान और यश ही याद रहता है

हमारा


कल हमारा न था सच है
पर आज है अवश्य हमारा
किसी की अकर्मण्यता से
सिमटा सा है आज हमारा
पर आज अब हमारी बारी है
तभी तो होगा कल हमारा
या फिर किसी और के लिए
होगा हर एक प्रयास हमारा
व्यक्ति और व्यवस्था को छोड़
सोचेंगे क्या है कर्तव्य हमारा
वर्ना कोसने और आलोचना का
है ही क्या अधिकार हमारा ?

Friday, September 21, 2012

Fallacy of Perception

At times you repeat
What you hear from others
Without having to verify
Ignoring the prejudices
And intentions of others
You try spreading it as truth
Perceiving it to be true
May be with good intent
But without realizing
Actually this being
A fallacy of perception!

Thursday, September 20, 2012

एकतरफा

मेरे वह सारे ही सतत प्रयास
तुम्हारे ही लिए किये गए थे
इसके प्रतिफल में तुमने बस
इसे मेरा कर्तव्य मात्र समझा
और अब जब तुम्हारी बारी थी
तुम मुझे ही नज़रंदाज़ कर गए
वह भी तब जब फिर मैंने चाहा
तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा ही भला
मुझे ज्ञात हो गया है सदैव को
तुम में और मुझ में का अन्तर
मेरे प्रयास जारी रहेंगे अब भी
मेरी और से एकतरफा ही सही
अब मैं पूर्ण रूप से सहमत हूँ
नेकी कर और दरिया में डाल

Wednesday, September 19, 2012

छत्रछाया

हँसते खेलते कब बड़े हो गए
कल की ही बात प्रतीत होना
ज़िम्मेदारी का अहसास भी था
उनकी छत्रछाया का ताना बाना
कभी लगा नहीं था एक दिन
पड़ेगा हमें ये भी दिन देखना
एक खालीपन अब हमेशा को
कितना मुश्किल भूल पाना
पिता के संसार से जाते ही
ढह गया था मेरा आशियाना
एक रेत के घरोंदे की तरह
कई दशकों से जो था पहचाना
पर अब भी मौजूद है सब
यादों में जो है आना जाना
बड़ा रहस्यमय है ये संसार
असम्भव है यहाँ थाह पाना
एक एक कर औरों का तो
फिर अपना भी चले जाना
सच है यहाँ की यही रीत है
कि बस लगा है आना जाना

Tuesday, September 18, 2012

क़शिश/attraction

तेरा नामोनिशां तक मालूम नहीं मुझको
तेरी हर बात की महक आज भी बाकी है
हर याद धुंधला चुकी है उम्र के साथ अब
मगर एक क़शिश सी आज भी बाकी है
I have no clue of your whereabouts now
Fragrance of everything of you is around
The reminiscences are hazy with the time
Yet the very attraction is still all around

Lest

तुम अपनी ख़ुशियों को मत नज़रंदाज़ करो
बेवक्त वरना कहीं ख़ुशी ही तुमसे रूठ जायेगी
ज़रा आहिस्ता अपने ग़म का ख़ुलासा करो
वरना तमाशाइयों की बड़ी भीड़ जुट जाएगी
Don't try to ignore your happiness
Lest the happiness may dislike you
Reveal your sadness with a whisper
Lest crowds will find fun around you

Dreamz

हक़ीक़तों से कुछ अलग रहते ही
हर शह बस रूमानी लगने लगी
जागते ख़्वाब देखते देखते यहाँ
ज़िन्दगी ख़्वाब सी लगने लगी
Staying away from the realities
Every moment sounds romantic
And dreaming while I am awake
Life looks like a very sweet dream

Monday, September 17, 2012

Appreciate


I know I block sunshine for you
With a deep sigh said the rain
Yet I know that you appreciate
Me cooling the wrath of the sun
I know surrounding gets messy
I also am the cause for greenery
You see me reducing the lights
But I bring back light in your lives
Sometimes I may sure pour heavy
But I do have my ways of savory
My existence is not so delicate
I do hope you all can appreciate

Sunday, September 16, 2012

Decision of Life

बस चन्द अल्फाज़ कहने की बात थी
कोशिश की, मैं कहते कहते रह गया
ज़ुबां तक आए लफ्ज़ मैं निगल गया
मेरा उम्र भर का फ़ैसला ही बदल गया
It was only a matter of uttering few words
I tried but it became hard to bring them out
Just about to say but I swallowed the words
Changing decision of life it had turned about

अकथनीय/Unmentionable

ख़ामोशी में बसे हैं मेरे
कुछ अकथनीय सत्य
मानो मैं झुठलाता सा वो
समस्त कथ्य और श्रव्य
स्वतः अवलोकित तथ्य
कई बात तो कह से डाले
पूर्ण नहीं पर अर्धसत्य
जो थे मेरी ही दृष्टि में
तर्क किंचित अकाट्य
और संभवतः ध्रुव सत्य
In my lurking silence are
Few unmentionable truths
As if I had disbelieved
The spoken and the heard
Facts observed by myself
At times I had revealed
Though the partial truths
Those in my own judgement
Reason indisputable though
And perhaps speaking truths!


Saturday, September 15, 2012

बस यूँ / Like This

हमेशा कोई हसरत कहीं रह जाती हैं बाक़ी
कभी समन्दर कभी हिमालय की चाहत में
बस यूँ बसर होती है ज़िन्दगी यहाँ सब की
कभी वो मयखाना तो कभी हसरत ए साक़ी
Always some desires remain wanting
At times oceans some times Himalayas
Everyone spends the life like this around
At times the bar at times the bartender!

फुर्सत/ Free Moments

कभी तो फुर्सतों के दौर में सोचा था
हम भी जमकर लुत्फ़ आजमायेंगे
हर फुर्सत के लम्हे में बेफुर्सती पाई
न जाने फुर्सत के दिन कब आयेंगे
Sometimes in those my free moments
Thought I shall also enjoy thoroughly
But,each free moment proved busy too
Don't know will arrive my free moments

Friday, September 14, 2012

शातिर/ Clever

बहुत शातिर समझते थे वो ख़ुद को
सोचते थे ज़माना तो बस उन्हीं का है
अब जो हमारी गली आए तो समझे
शातिर होना सिर्फ अपनी ही जगह है
So clever he thought of himself
As if whole World he only owned
Now that he had to come around
Knows clever too have limitations

Wednesday, September 12, 2012

फैसले


जब भी फैसले को करता है ये मन
कई नये सिलसिले आने लगते हैं
कभी कुछ नये वाक़ये और कभी
चन्द नये सवाल पास आने लगते हैं
मालूम होता है कि बहुत दूर है अभी
फैसले सब्ज़- स्याह दिखाई देते हैं
जाने कब आयेगी फैसले की घड़ी
कुछ ऐसे ही ख़याल आने लगते हैं
कभी ज़ेहन में अज़ीब से ख़यालात
अपने आप बीच में आने लगते हैं

Monday, September 10, 2012

कभी कभी

बादलों और बारिश के बीच
खुली धूप चाहे गर्म ही सही
कभी कभी अच्छी लगती है
ग़मगीन माहौल में भी कभी
किसी की खिलखिलाती हँसी
कभी कभी अच्छी लगती है
मक़बूल ज़िन्दगी के बीच भी
बेवक्त ही आ गई परेशानी भी
कभी कभी अच्छी लगती है
संजीदा चलती बहस के बीच
बचकाना बेवकूफ़ी की बात
कभी कभी अच्छी लगती है
साथ रहने की आदत के बीच
जुदाई की थोड़ी सी ये आदत
कभी कभी अच्छी लगती है

Sunday, September 9, 2012

तसल्ली को तसल्ली


गुज़ारिश तो बड़ी की थी मैंने भी यहाँ
जो क़िस्मत में नहीं उसका गम कैसा
है बड़ी उम्मीद अब भी मुझको ख़ुद से
हूँ अकेला ही मैं बस यहाँ मुझ जैसा
अकेलापन मुझ पर हावी नहीं न कभी
हवा का हर झोंका है मेरा पहचाना सा
इंतजार के इन लम्बे पलों में मानो
हर एक ज़र्रा है मुझे तस्सली देता सा
कभी तक़दीर कभी तदवीर के सवाल
बड़ी तसल्ली से मैं हर ज़वाब देता सा
मेरे हिस्से में जो भी आया वही मेरा
तसल्ली को भी मैं तसल्ली देता सा

Why on Earth?

Everyone knows that the 'origin of species' story. That doesn't mean that we all start behaving and acting like monkeys!

Everyone seeks peace, brotherhood, humanity in his/her own ways; yet, the aberrations that come in due to individual and group prejudices make sure the intent of the people is subverted by bringing in factors that are weird and self-seeking ones. The reasoning gets distorted, the ration gets defeated and the whole logic of being human start getting rotten.

The bullying by people, communities and nations; the use of force and violence; resorting to inhuman behavior; terrorism; and more are the manifestation of this false sense of taking steps for equity, justice and egalitarian society.

Imperfections are the cornerstone of evolution and improvements and they will always remain. Except for few circumstances, one has to live with and adjust with the imperfections around. What is perfect is itself a matter of opinion anyways; and opinions are never perfect too!

So why one Earth can't we all recognize and live with imperfections; as long as it is not a matter of 'life'. I do not mention death on purpose; as that's a perfect thing and bound to happen anyway!

Saturday, September 8, 2012

बेपर्दा/ Uncovered

एक पर्दा हटाने से शुरू
एक के बाद एक परदे
ख़ुद ब ख़ुद हटते ही गए
ख़ुद से क्या शर्म करते
पर औरों की नज़र में
वे बेपर्दा होते चले गए
Started with removal of one mask
The masks after mask of theirs
Started getting uncovered since
Though not ashamed by themselves
Before the eyes of everyone else
Their deeds continued uncovering

Friday, September 7, 2012

हवा का झोंका

कर सकते महसूस मुझे तुम
हाथ मगर आऊं न कभी मैं
आज यहाँ कल नई दिशा मैं
महकता हवा का झोंका हूँ मैं
पास बुलाओ या न बुलाओ तुम
अपनी मन मर्ज़ी से आऊंगा मैं
सन-सन कर गीत सुनाऊंगा मैं
एक तेज हवा का झोंका हूँ मैं
मैं न कभी किसी एक शख्स का
दुनियाँ भर सबका साथी हूँ मैं
प्रेम ही प्रेम जगाता सब में
मदमस्त हवा का झोंका हूँ मैं

Thursday, September 6, 2012

passing cloud/ विचरता बादल

एक विचरता प्यासा बादल सा हूँ मैं
मैं क्या प्यास बुझाऊंगा समन्दर की
उम्मीद जो उसको है मुझ को भी है
पर मालूम है मुझे सब बात अन्दर की
Just a dry passing cloud that I am
How will I quench the thirst of sea
Though I'm aware of inside story
Yet I do have the same hope as sea

Life After Death

नहीं गम कि कहाँ भटकाएगी ज़िन्दगी
जिंदादिली से जियेंगे हम सदा ज़िन्दगी
जब तक है दम ज़िन्दगी होगी अज़ीज़
दम ही निक़ल गया तो कैसी ज़िन्दगी
I don't care where all life will take
I shall always live with enthusiasm
Until I'm alive I will cherish my life
After death what and whither life!

Wednesday, September 5, 2012

फिर पास

जीवन के बंधन, फिर पास आने लगे
रिश्तों की खुशियाँ; फिर गुनगुनाने लगीं
मौसम की रिमझिम, फिर रूमानी लगे

आओ आज फिर से, मेरे आगोश में
बरसाओ प्यार के रंग, फिर मेरे संग
बस भूल जाओ, वो सब पुराने प्रसंग
जीवन की कलियाँ, फिर खिलने लगीं
खुशियों के वो पल, फिर पास आने लगे
जीवन के बंधन, फिर पास आने लगे

फिर कहीं कोई है, वो इक तारा टूटा
माँग लो मेरे लिए फिर, था जो सफ़र छूटा
वक़्त ने था मेरा जो, सब कुछ था लूटा
हाँ मुझे अज़ीज़ है, हर सुबह नई यहाँ
सुबह के होते ही, सब अँधेरे जाने लगे
जीवन के बंधन, फिर पास आने लगे

Message of Soul/रूहानी

तेरे आने की मुझ को ख़बर तक न हुई
फिर भी न जाने क्यों ये नज़रें टिकी रही
हुआ होगा रूहानी कोई अहसास मुझे बस
तभी तो तेरी पहुँचत की वजह थी ये रही
I sure had no clue of your arrival
Yet they eyes were static on path
I must have had message of soul
It became reason of your arrival

Tuesday, September 4, 2012

ज़मीन-आसमान Earth-Sky

फ़िरोज़ी फ़लक ने बताया मुझे अचानक
मेरी ओर देख किसी को कुछ नहीं मिला है
ख़्वाब भी यहाँ कभी बेवजह नहीं आते हैं
ज़मीन को ओर देखो यहीं से सब मिला है
दिन के आसमान में रंग ज़रूर बदलते हैं
अँधेरी रात में तारों के सिवा क्या मिला है
ज़मीन के साथ दरिया और समन्दर भी हैं
और देखिए समन्दर का रंग भी तो नीला है
मुझे जो भी मिला सब कुछ यहीं से मिला है
आसमाँ से दूरियों के सिवा किसे क्या मिला है

Blue sky tried to counsel and said to me
Looking at me no one has achieved anything
Dreams too don't arrive without any reason
Look at the Earth everything is found here
Daytime skies do exhibit the changing colors
In dark nights who anything but stars around
With the Earth are the rivers and oceans too
And see oceans are also showing the blue color
Whatever we found is everything from here alone
Skies have never given us anything but distances

Monday, September 3, 2012

Random

मेरी चाहतों का सिलसिला थम सा गया
तुम याद आए मेरे चेहरे पर नूर आ गया
My wanting's displaying sudden pause
With you in visualization my face glows

तेरे आने के साथ ही न जाने क्या क्या आ गया
मुझे मालूम नहीं कहाँ से ये सब कुछ आ गया
With your arrival came so many thing around
Don't know from where all these have arrived

मेरे ही हित की बात सदा कहते
मेरी ही तुम व्यथा कथा दोहराते
अब हम भी समझ गए हैं शायद
तुम ख़ुद को ही मुझ में हो देखते
You have been talking of my welfare
Always narrating the my woes in life
Now perhaps I have understood you
In 'me' you peep in to your interests

मेरी इन हसरतों का क्या
ये तो बस बढ़ती जाती हैं
कहीं कोई मिले न मिले
ज़िन्दगी चलती जाती है
Noting new about desires
They would keep growing
Come what of achieving
Life always keeps moving

जब बरसना ही था उसको
बरसने का नाम नहीं था
अब मगर जमके बरसी है
रोज़ ये बेमौसम बरसात
शायद अब यही लगता है
मौसम हो गया दीवाना

सुन ली है नसीहत मैंने तुम्हारी
लेकिन हर ओर ही मुद्दे बहुत हैं
तुम अकेले नहीं मेरे खैरख्वाह
मेरी बस्ती में मेहरबाँ बहुत हैं
I did listen to your advise
But there are issues too many
You aren't my lone well wisher
Around me are benevolent many

लगा था कितनी ख़ुसूसियत मुझ में
ज़मीं से उड़कर आसमाँ बन गया हूँ
किसी मेहरबाँ की इनायत से अब मैं
बस एक भूली सी दास्ताँ बन गया हूँ
I wondered that I was special
Away from ground I was a sky
Thanks to someone favoring me
I've become just a forgotten story

बस पत्थरों के से हो चुके इंसानों में यहाँ
कहीं कोई आह सी निकलती है अब भी
बुत बनकर देखने वालों में भी यहाँ शायद
बाकी है उम्मीद की कोई किरण अब भी
Stone like people around us, yet
The demonstrate a rare deep sigh
Stone turned people also it means
Have still been left with a ray of hope

उसी दिल में झाँकना चाहा था मैंने
जहाँ मेरा कोई नामो निशाँ नहीं था
फिर भी दिल लगा ही लिया था मैंने
इस पर मेरा कोई जोर भी नहीं था
I wanted to peep in the same heart
Where there was no traces of mine
Yet I was in love with the same one
Since I never had any will to overrule

बात आखिर आपकी अब मान ली है मैंने
उम्र भर का खामियाजा चुका दिया हमने
Finally I have decided to accept your prescription
Thus I have now compensated for whole my life!

Sunday, September 2, 2012

इल्तज़ा/impetration

उल्फ़त के मायने मुझे नहीं मालूम
मुझे बस अपनी उल्फ़त का सिला है
अपने महबूब का पता नहीं मालूम
मुझे तो बस मोहब्बत की इल्तज़ा है
I don't know the meanings of love
I am just concerned with my love
I've no any clue about my beloved
Just impetration of my lovingness

फ़ख्र / proud

किसी एक गैर की खातिर हमने
अपना जी जान सब लुटा दिया
फिर भी हमें फ़ख्र है इस बात का
अपनी फ़ितरत का पता बता दिया
Just To favor one stranger
I put my everything at stake
Yet I feel very proud about
That I made my nature known ~Udaya

खेद

हम हमारे परिवार में ख़ुश थे
अब भान अपने परिवार का
मनों में मेल इतना नहीं था
अब बोझा ढोते मनों मेल का
सिर्फ अपने ही सुख से नहीं
औरों के सुख से भी ख़ुश होते
अन्तर इतना अधिक न था
अपने परायों कि संख्या का
इतना भी मुश्किल न था
नज़दीकी महसूस कर लेना
बड़ी आसानी से हम लोग
बना लेते थे रिश्ता मन का
सर्द होते चले मौसम का
हमें इतना अहसास नहीं
जितना कि खेद है अब हमें
सर्द होते हुए सब रिश्तों का