Saturday, March 23, 2013

Bhagat Singh: शहीदे आजम के पसंदीदा शेर

शहीदे आजम के पसंदीदा शेर
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यह न थी हमारी किस्मत जो विसाले यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तेज़ार होता

तेरे वादे पर जिऐं हम तो यह जान छूट जाना
कि खुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता

तेरी नाज़ुकी से जाना कि बंधा था अहदे फ़र्दा
कभी तू न तोड़ सकता अगर इस्तेवार होता

यह कहाँ की दोस्ती है (कि) बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म गुसार होता

कहूं किससे मैं के क्या है शबे ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता
(ग़ालिब)

इशरते कत्ल गहे अहले तमन्ना मत पूछ
इदे-नज्जारा है शमशीर की उरियाँ होना

की तेरे क़त्ल के बाद उसने ज़फा होना
कि उस ज़ुद पशेमाँ का पशेमां होना

हैफ उस चारगिरह कपड़े की क़िस्मत ग़ालिब
जिस की किस्मत में लिखा हो आशिक़ का गरेबां होना
(ग़ालिब)
मैं शमां आखिर शब हूँ सुन सर गुज़श्त मेरी
फिर सुबह होने तक तो किस्सा ही मुख़्तसर है

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबाने अक़्ल
लेकिन कभी – कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे

न पूछ इक़बाल का ठिकाना अभी वही कैफ़ियत है उस की
कहीं सरेराह गुज़र बैठा सितमकशे इन्तेज़ार होगा

औरौं का पयाम और मेरा पयाम और है
इश्क के दर्दमन्दों का तरज़े कलाम और है
(इक़बाल)
अक्ल क्या चीज़ है एक वज़ा की पाबन्दी है
दिल को मुद्दत हुई इस कैद से आज़ाद किया

नशा पिला के गिराना तो सबको आता है
मज़ा तो जब है कि गिरतों को थाम ले साकी
(ग़ालिब)

भला निभेगी तेरी हमसे क्यों कर ऍ वायज़
कि हम तो रस्में मोहब्बत को आम करते हैं
मैं उनकी महफ़िल-ए-इशरत से कांप जाता हूँ
जो घर को फूंक के दुनिया में नाम करते हैं।

कोई दम का मेहमां हूँ ऐ अहले महफ़िल
चरागे सहर हूँ बुझा चाहता हूँ।
आबो हवा में रहेगी ख़्याल की बिजली
यह मुश्ते ख़ाक है फ़ानी रहे न रहे

खुदा के आशिक़ तो हैं हजारों बनों में फिरते हैं मारे-मारे
मै उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा

मैं वो चिराग हूँ जिसको फरोगेहस्ती में
करीब सुबह रौशन किया, बुझा भी दिया

तुझे, शाख-ए-गुल से तोडें जहेनसीब तेरे
तड़पते रह गए गुलज़ार में रक़ीब तेरे।

दहर को देते हैं मुए दीद-ए-गिरियाँ हम
आखिरी बादल हैं एक गुजरे हुए तूफां के हम

मैं ज़ुल्मते शब में ले के निकलूंगा अपने दर मांदा कारवां को
शरर फ़शां होगी आह मेरी नफ़स मेरा शोलाबार होगा

जो शाख-ए- नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना पाएदार होगा।

Friday, March 22, 2013

गुस्ताखियाँ गश्त पर

होली का त्यौहार फिर से आ गया है
गुस्ताखियाँ यहाँ फिर से गश्त पर हैं
हँसी की ख़ुशी का अब होगा एहसास
लेकिन ये शोखियाँ अब बहाव पर हैं
रंज़िशें भुलाने का उत्सव आ गया है
दुश्मनियाँ भुलाने के अब आसार हैं
रंगों भरा आलम अब फिर एक बार
रंगों के अम्बार जो अब लग गए हैं
अब उदासी भूलो वसंत की ऋतू है
फाग की लय में सभी अब मस्त हैं
बह चली अब मन मस्त ये बयार है
जुदाइयों में भी मिलन का त्यौहार है

Wednesday, March 20, 2013

मैं क्षण-भंगुर वह कालजयी

वो हमेशा मेरे पल पल में बसा है
उसका मेरा साथ उम्र से ज्यादा है
जन्म मृत्यु से पहले वही आता है
मेरी और उसकी साझा तदवीरें हैं
हमारी तकदीरें एक - दूसरे की हैं
उसके बिना मेरा वज़ूद अज्ञात है
हमको एक दूसरे से फ़र्क़ पड़ता है
मेरी कोशिश से उसकी कामयाबी है
उसकी हर तरक्क़ी भी मेरे लिए है
मेरा हक़ भी उसके होते ही बनता है
मेरी ज़िम्मेदारी उसके लिए भी है
हम दोनों ही एक दूसरे पर निर्भर हैं
लोग भी हमें साथ जोड़कर देखते हैं
हमारी क़िस्मत भी साथ ही जुड़ी हैं
उससे ही मैं हूँ और मुझसे ही वो है
लेकिन मैं बाद में मुझसे पहले वो है
मेरी सीमायें हैं पर वो असीमित है
हमारे हर रिश्ते का बंधन अटूट है
हमारा नाता बहुत अपनेपन का है
मैं क्षण-भंगुर पर वह कालजयी है
ये सम्बन्ध जन्म-जन्मान्तर का है
मैं उसका ही हूँ और वह मेरा देश है

Tuesday, March 19, 2013

कारवाँ / Caravan

ज़िन्दगी का कारवाँ तो अपनी रफ़्तार से चलता रहेगा
किसी ख़ास आदमी या मौके का नहीं इंतज़ार मुझको
कोई फर्क नहीं पड़ता कौन ख़ास है कौन आम है इधर
लेकिन कुछ ख़ास कर गुजरने की यहाँ तलाश मुझको
Caravan of life will move with its own speed
I don't await any special person or occasion
It has no difference who is common or special
Yet I am in search of any special contribution

सिरफिरे / Wrong-headed

हमें लगता है वो समझते नहीं मज़मून
उनकी ऐसी सोच है कि सिरफिरे हैं हम
हमने उन्हें भी खुद को भी आजमाया है
हाँ ये सच है इसलिए दर दर फ़िरे हैं हम
I do think he doesn't understand the crux
He thinks that I am wrong-headed person
I have tested both him and myself equally
Its true that hence I am so wandered one

Saturday, March 16, 2013

अभिन्न मित्र

बहुत अरमान सजाये थे
हमने तुम्हारे साथ को
सिंहावलोकन से सीखा
प्रयास या सोच सभी की
अपनी अपनी जगह है
अरमान पूरे होते कहाँ हैं
प्रायः आधे अधूरे रह जाते
किन्तु इतना भी बहुत है
मेरे व मेरे अरमानों के लिए
मैं गले तो न लगा पाई
लेकिन बसा के रखा है
इस स्थायी रूप से मैंने
तुम्हें मन में ही अपने
जब भी मन करता है
बात हो जाती है तुमसे
मेरे अभिन्न मित्र से!

Thursday, March 14, 2013

रक़ीब / Enemy

हमें रक़ीब समझो तो ये समझे रखना
लेकिन इतना एहसान तुम किए रखना
मेरे नाम कोई रंज़िशें कभी न लिखना
इन्हें तुम अपने खाते में संभाले रखना
Continue that way if you thought I'm enemy
But do please keep obliging me on any count
Don't write any vengeance in my name ever
You continue crediting them in your account!

देखा है

सुना था बहती थीं दूध की नदियाँ भी कभी

हमने तो लोगों को पानी को तरसते देखा है

ज़िन्दगी की खूबसूरती के कसीदे पढ़ के भी

छोटी सी ज़िन्दगी को सौ बार मरते देखा है

फ़क़ीरी की वक़ालत कर पर अमीरी को भी

हमने हर ख़ास-ओ-आम को तरसते देखा है

कफ़न में कोई ज़ेब नहीं एहसास होकर भी

कम को मुफलिसी में गुज़ारा करते देखा है

फ़िर भी कई लोगों को ख़ुद ही सब सहते भी

औरों की ख़ातिर कुर्बान होते हुए भी देखा है


जाने क्यों शर्मसार होने के बाद छोड़ दिया
क़ानून ने यहाँ शर्म-ओ-हया का दामन अब
रज़ामंदी रहेगी अपनी जगह जो भी हो पर
सोलहवाँ सावन नहीं तूफ़ान ले आयेगा अब
Don't know why but left after being ashamed
The law its thin curtain of even the shame now
Consent may what it be may have its own logic
But the sixteen shall bring the storms here now!

Tuesday, March 12, 2013

सिरमौर/ At the Helm

ख़ुदा का नूर हरेक पर बरसता है मान लो
तुम भी हो उसी के बन्दे नहीं हो कोई और
बोझ नहीं है ज़िन्दगी ये गाँठ बाँध लो तुम
होंगी चंद परेशानियाँ तो ख़ुशियों के हैं दौर
बहुत कुछ बाक़ी है अभी जो होगा हासिल
बज़्म होनी बाक़ी ज़िन्दगी की अभी और
अभी तो भागमभाग का चला सिलसिला
कभी रुक के भी ज़रूर तुम फ़रमाना गौर
देखना फुर्सत से अरमानों को अपने कभी
बज़्म-ए -आलम का क्या ख़ूब रहेगा दौर
अपने अन्दर की खुदाई तो कुरेद कर देखो
तुम्हीं हो ख़ुदा तुम्हीं तो हो यहाँ सिरमौर

Accept that God's grace spreads on everyone
You too are his representative and none else
Life is not a burden you note this forever
Few problems but happy moments in abundance
Many things are yet to happen or to achieve
Awaited are also merry-making of your lives
Right now we all are busy in running around
Stop at times and concentrate on the issues
Observe at leisure your ambitions or desires
Sequence of merry moments will sure enthuse
Scratch your soul to find God in yourselves
Thou are the Gods and at helm of your lives

Sunday, March 10, 2013

compulsions

अब बहुत देर हो चुकी मज़बूरी है मेरी भी
हमारे साथ का एहसास अब हुआ तुमको
वक़्त ये अब इतना आगे बढ़ चुका है इधर
जब वक़्त का भान तक भी न रहा हमको
It's too late for I too have my compulsions
And you realized our togetherness only now
The time too now has sped past so far away
When I don't even remember the time now

Saturday, March 9, 2013

भोले बाबा/ God Innocent (Shiva)

क्या अब भी भोले हो तुम भोले बाबा
जो भी आया भक्त समझ अपना लिया
देखो इनके भोलेपन के पीछे की मंशा
तुमको भी बस एक ज़रिया बना लिया
Are you still so innocent O innocent God!
Whoever came to you accepted as devotee
See the intention behind their innocence
Making just the means out of even thee

Friday, March 8, 2013

हज़ार दिन

ख़ुशी की दस्तक की आहट से अब फिर
गम के साये खुदबखुद सिमटने लगे हैं
बड़े अरसे बाद आइने में देखा खुद को
फिर तेरी चाहत के रंग बिखरने लगे हैं
हर बात पर हल्की मुस्कराहट से लगा
प्यार के फिर वही ढंग निखरने लगे हैं
उनके हर इशारे से महसूस होने लगा
वही शरारती अंदाज़ दिखाई देने लगे हैं
चार दिन की ज़िन्दगी में फिर से इधर
महकते हज़ार दिन दिखाई देने लगे हैं

Thursday, March 7, 2013

बीमा

चुनाव के पहले और चुनाव में
नेता को नहीं कहने में संकोच
कि मैं हर दर्द की दवा लाया हूँ
मेरी परेशानियाँ रहीं अब तक
तभी अपेक्षाओं में खरा न उतरा
अब मैं मसीहा बन के आया हूँ
और चुनाव ख़त्म तो नेता ग़ुम
मेरे अपने कई गम ओ दर्द हैं
सब का ठेका लेके नहीं आया हूँ
दर्द सहन करो हमारी तरह तुम
संघर्ष करो जीवन सुधार लो ख़ुद
मैं पांच साल का बीमा लाया हूँ

Wednesday, March 6, 2013

अब भी / Still

रक़ीब अब भी नहीं हैं हम तेरे ऐ दोस्त
हाँ मुखबरी की हमने तुम्हारी नज़र में
हमने सुनी थी अपने ही ज़मीर की बात
कुसूरवार भी तो थे तुम हमारी नज़र में
I am still not your enemy my friend
Yes I had denounced in your opinion
I did hear the voice of my conscience
For you were a culprit in my opinion!

Tuesday, March 5, 2013

Whither


I had seen him working like a slave
Yet he found it hard to keep going
Struggling for the two square meals
He seldom relied on other people
Except for being given work to him
That was necessity for his survival
He was often abused or underpaid
In spite of delivering the good work
He thought he had no rights at all
No one care when he had no work
Unaware of the benefit schemes
Run by governments in his name
There was some whisper at times
That he is being looked at by state
But he saw always was clean slate
People trying words and meaning
From where it lacked any scribbling
He had laughter with a whimper
Smile with full of agony and pain
He guessed that elections declared
Many people now were by his side
As if the momentary celebrations
Withering away of attention again
Whither the uplifting of the poor?
Before he was given hard jobs to do
To struggle even harder all alone
Forgotten after the election fervor
And thus his life goes on and on
Unsung, unheard till next elections!

Monday, March 4, 2013

गुज़रा सो गुज़र गया


चाहतों के सिलसिले कभी हमारे घरौंदे में थे
बस एक तेज़ हवा के झोंके ने सब बदल दिया
घरौंदा बिखर गया मेरा साथी भी बिछुड़ गया
तो क्या हुआ ये संसार मेरे अकेले का हो गया
मुझे करना होगा नए सिरे से यहाँ संघर्ष फिर
जो होना था नसीब में मेरे वो अब हो ही गया
दुनियाँ की रीत ही कुछ ऐसी है इधर शायद
कभी न कभी तो हर कोई अकेला ही रह गया
अब ज़ज्बात को रखना होगा क़ाबू में हमें भी
ज़िन्दगी और अभी जो गुज़रा सो गुज़र गया

Sunday, March 3, 2013

तुम्हारा क्या

बादल तुम अपना रुख कहीं और कर लो
वसंत की धूप को खिल कर तो आने दो
मुझे फिर से जीवन के रंग दिखाई देते हैं
ज़रा तुम ठीक से नज़ारा तो कर लेने दो
ये बयार जो बह रही है खुशबुओं के साथ
इसे नर्म धूप सहित भी तुम आ जाने दो
जब आयेगी रुत गर्मियों को फिर से इधर
तब आ जाना अभी तो ये लुत्फ़ उठाने दो
तुम्हारा क्या मौसम के साथ बदलते रंग
किसी और को भी अपने रंग में छाने दो
तुम भी लोगों की तरह हो बिलकुल यहाँ
मज़ाल कि कभी खुल कर ख़ुशी आने दो

अनर्गल / Unrestrained


फिर से एक बार चुनावों की दस्तक सुनाई दे रही है
मतदाताओं के दर्द की ये शहनाई बजाई जा रही है
लोक लुभावन नारों की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही है
अनर्गल आरोपों प्रत्यारोपों की दुहाई दी जा रही है
Once again the knocks of the elections is being heard
Trumpets of the pains of the voters are being played
Slogans all those lure the people being reverberated
Unrestrained accusations-counter accusation are heard!

Saturday, March 2, 2013

निमित्त मात्र

देखा है मैंने यहाँ
हर तरफ़ मौज़ूद
अन्याय कई तरह
किंकर्तव्यविमूढ़ हूँ
चाहूँगा मैं बनना
फाँसी का फँदा
निर्जीव होकर भी
दे सकूँगा दंड उन्हें
जो अपराधी धरा के
सक्रिय मैं न भी सही
निमित्त मात्र बनकर
दूंगा मैं भी योगदान

चिराग / Lamp

चिराग हूँ जल कर रौशनी देता हूँ तुम्हें
फ़ितरत है मेरी खुद अँधेरे में हूँ तो क्या
तुम्हें तो बस ख़ुद रौशनी का शौक़ जो है
मेरी तरह जल कर भी देखोगे तुम क्या
I'm a lamp that gets burnt but brighten your lives
It's my nature so what if beneath me the darkness
You all have just the fascination to be in the lights
You can't even try to get burnt like me you witness!

Friday, March 1, 2013

सरगोशी

ये तबस्सुम ये हवाएं और महकता मौसम
हरेक गोशे से छनकती मोहब्बत की सरगम
दिल का आया है कोई शायद एक नया पैगाम
अब बहारें भी मेरे साथ चलेंगी बस हाथ थाम

कोई सरगोशी से कह रहा है मेरे मन की बात
धीमे से जगाता मुझे कह के मेरे दिल की बात
अब तो इक़रार को हूँ मैं भी यहाँ बहुत बेक़रार
है तो हकीक़त ही बस अब ये मुझे कोई न बहम

शबनमी बूँदें यहाँ सुनाती हैं मोहब्बत के तराने
हरेक लफ्ज़ कुछ ऐसा जो छू जाता है मेरे दिल को
हौले हौले सुनाते अब मुझे इश्क़ की कोई दास्तान
मानो सारे नगमे किसी ने कर दिए हों ये मेरे नाम