Thursday, June 27, 2013
अवाम / People
कोई क़सर न थी छोड़ी ज़ालिम सियासतगर्दों ने
फिर भी अवाम हमारी एकजुट है अब भी शुक्र है
सियासत के घमंड में हक़ीक़त न समझी तुमने
तुम में और ज़मीन से जुड़े लोगों में यही फ़र्क़ है
No means were spared by the cruel politicians
Yet it’s a solace that all our people are together
Arrogance of politics alienated you from reality
That’s the difference in people close to ground
Wednesday, June 26, 2013
प्रलयंकारी
प्रलयंकारी है ये आपदा
और इससे जुड़े सियासी लोग
हर जीवित को अलग नाम दे
खुद का नाम उजागर किया है
मानो कोई होड़ चल रही है
अपना अपना श्रेय लेने की
हर लाश पर छपी हुई है
मुहर एक सियासत की
हर तबाह घर और लोग
बिसरा दिए गए हैं बिलकुल
सियासी कोलाहल के बीच
तीर्थयात्री की बात करना ही
सियासतदारों का महातीर्थ
न जाने कैसा सैलाब है ये
बहा ले गया संवेदनशीलता
पर दिखा रहा है पाठ फिर भी
सियासती रंगों और मंतव्य का
इन सब के बीच ऐसे भी हैं
जो निस्वार्थ निष्काम रहकर
मदद को अपना सब दे रहे हैं
मानवता के जीवित होने के
वे प्रतीक नज़र आ रहे हैं
वे ही अब हिन्दुस्तान हैं
बाक़ी दलों या प्रदेशों के हैं
पहाड़ और बाशिंदे ज़र्ज़र हैं
और हाशिये पर रख दिए हैं
और इससे जुड़े सियासी लोग
हर जीवित को अलग नाम दे
खुद का नाम उजागर किया है
मानो कोई होड़ चल रही है
अपना अपना श्रेय लेने की
हर लाश पर छपी हुई है
मुहर एक सियासत की
हर तबाह घर और लोग
बिसरा दिए गए हैं बिलकुल
सियासी कोलाहल के बीच
तीर्थयात्री की बात करना ही
सियासतदारों का महातीर्थ
न जाने कैसा सैलाब है ये
बहा ले गया संवेदनशीलता
पर दिखा रहा है पाठ फिर भी
सियासती रंगों और मंतव्य का
इन सब के बीच ऐसे भी हैं
जो निस्वार्थ निष्काम रहकर
मदद को अपना सब दे रहे हैं
मानवता के जीवित होने के
वे प्रतीक नज़र आ रहे हैं
वे ही अब हिन्दुस्तान हैं
बाक़ी दलों या प्रदेशों के हैं
पहाड़ और बाशिंदे ज़र्ज़र हैं
और हाशिये पर रख दिए हैं
दुश्मन / Enemy
जब मांगी थी हमने बरसात बादलों का नामोनिशाँ नहीं था
अब बारिश से हैं परेशान तो बिन बादल बरसात हो रही है
मुसीबतों से जूझ रहे लोग जेहन में थे कौन परेशां नहीं था
बिना किसी दुश्मन की कोशिश के नींद हर रात खो रही है
When we wanted the rains there weren’t any clouds around
Now that we are all sick of rains it’s raining without any cloud
People all struggle with problems all were distressed around
As if without any enemy’s effort I lost my sleep like the cloud
Tuesday, June 25, 2013
After Me
My intent is
Merely to propose
Rights and wrongs
As I understand them
I am well aware
Most people do that
In their own way
Yet I do realize
There can be sure
Some common ways
Shared beaten paths
Few tested situations
Quests for improvements
If none acceptable too
Happy passing time
With my thoughts
The way I would like
Again very well aware
Nothing shall change
In general in this World
Even after me!
परछाइयाँ / Shadows
कैसे भूल जाऊं वो मंज़र वो आलम
वक़्त की स्याहियाँ कहाँ मिटती हैं
चाहे जितना छुड़ा लो साथ इनका
यादों की परछाइयाँ साथ चलती हैं
How can I forget that scene and ambiance
The inks of times are found always lasting
As much you may try stay away from them
Shadows of remembrances are side walking
वक़्त की स्याहियाँ कहाँ मिटती हैं
चाहे जितना छुड़ा लो साथ इनका
यादों की परछाइयाँ साथ चलती हैं
How can I forget that scene and ambiance
The inks of times are found always lasting
As much you may try stay away from them
Shadows of remembrances are side walking
मंज़ूर / Acceptance
जिस का सबूत है उसमें क्या तर्क
सच है इसमें भी भला क्या शक़ है
अगर तुम को न हो मंज़ूर न सही
तुम्हें भी अपने नज़रिये का हक है
Wherever the verifiable facts do exist
It can only be true where is the doubt
If you still don't accept them as facts
I grant you your opinion as your right
Monday, June 24, 2013
नेता / Politicians
नेता लोग सब हैं एक थैली के चट्टे-बट्टे
न जाने कैसे बचेगी इस देश की बर्बादी
पहनते तो हैं कपड़े एकदम सफ़ेद खादी
पर दीमक की तरह देश की नींव खा दी
Politicians are birds from same flock
Who should be savior for the country
All draped in dress ethnic spotless
Yet eat up foundations like termites
पहचान / Understand
तुम्हें जानते ये उम्र बीत जाएगी मेरी
लगता नहीं फिर भी पहचान पाउँगा
अब कोई नई कहानी सुनाना मुझको
वही पुरानी सी कहोगे तो ऊब जाऊंगा
My whole life will pass knowing you
I don't think I shall ever understand
Now you please tell me a new story
With same old one I may get bored
लगता नहीं फिर भी पहचान पाउँगा
अब कोई नई कहानी सुनाना मुझको
वही पुरानी सी कहोगे तो ऊब जाऊंगा
My whole life will pass knowing you
I don't think I shall ever understand
Now you please tell me a new story
With same old one I may get bored
Saturday, June 22, 2013
दुआ / Blessings
ये मोहब्बत है आपकी जो कभी भूले से सही
आप हमारा भी हाल चाल तो पूछ ही लेते हो
वरना हम तो अंजानों की दुआओं से जीते हैं
शायद तुम भी उन्हीं का असर जान लेते हो
It's your love albeit occasionally at least mistakenly too
You can find sometime to ask about my well being here
Otherwise I live through the blessings of the strangers
Perhaps you too would realize this in mind somewhere
कातिलाना अंदाज़ / Killer Looks
उनको शायद न थी ख़बर भी न था इल्म भी कोई
कितने बस यहाँ अपनी हसरतें तलाशते रह गए
क़त्ल करने का तो था नहीं कोई भी इरादा उनका
लोग बस उनके कातिलाना अंदाज़ से फ़ना हो गए
She had now knowledge or or information about
How many had their intents remained to explore
She never had any intention to kill anyone around
People got killed by her killer looks and grandiose
मगरूर / Arrogant
सोचा था तुम से मगरूर भी पिघल जायेंगे अब
मग़र तुम में हैं हुनर बेवज़ह शाबाशी लेने के
तुम अपनी कामयाबियों के यूँ ढोल पीटते रहो
हम में हैं हुनर अपनी हालत ख़ुद सुधार लेने के
We thought arrogant's like you also can turn soft hearted
But you have the expertise to claim credits without reason
You keep singing songs of your achievements like always
We know how to improve our lot and come out of situation
Friday, June 21, 2013
सकारात्मक सोच / Positive Thought
बहुत सकारात्मक सोच और आशावादी विचार रहते थे हम
तुमने लेकिन हमें अपनी सोच बदलने पर मजबूर कर दिया
हाँ अब भी रहेंगे ज़रूर यूँ फ़ितरत से ही आशावादी हमेशा हम
तुम्हारी फ़ितरत ने तुमसे किनारा करने पर मजबूर कर दिया
A positive thought and optimistic approach I always had
You almost compelled me to change my thought and ways
But I shall remain so 'cause by nature I'm an ever optimist
Your ways but have forced me to part my way from yours
Thursday, June 20, 2013
Never Know
People do think that why
It didn’t happen to them
More so when expected
And an effort made too
They don’t accept gaps
Of reality and expectation
They also don’t know
It may have silver-lining
You know it had reason
Or may be no reason
Yet better things in store
May not have any logic
Yet a thing better hidden
Better than expectations
That may come by soon
You never know what!
Tuesday, June 18, 2013
Helplessness
At times you feel so sad
That you can’t be there
By the side of someone
Have all the intent, yet
No way to reach the site
Where you may think
You should be around
Be their helping hand
But you just can’t be
Then the emotions bleed
The mind in whirlwind
The heart near broken
Fate being questioned
Relationships questioned
Loyalties on undue tests
You may have to bear with
Just sheer helplessness
Monday, June 17, 2013
Beyond Explanation
I know it very well myself
There is nothing all of a sudden
Yet certain things here
Remain beyond explanation
So is the fury of nature
The wrath of weather
The rejection of and by people
The anger and hatred
The affection and love
And so are our
Liking's and fascination
These all have a sequence
A past and the interconnection
Yet the outbursts all of a sudden
Traceable for their roots; yet
Leaving no scope for explanation
Saturday, June 15, 2013
सजदे /Prayers
लाख कर लो सजदे और फ़रियाद लाख दुआ मांग लो तुम
कुछ हासिल हो भी गया फिर भी कुछ नहीं पाओगे वो तुम
औरों की कहें क्या खुद की ही नज़र में गिरते जाओगे तुम
अपने इस सोये हुए ज़मीर को जब तक न जगा लोगे तुम
Even with a million prayers and grace you may seek
Anything gained will also not you would get to use
Leave others apart you would fall in your own eyes
Until you try waking up the own sleeping conscience
Friday, June 14, 2013
ख़्वाब / Dreams
बेहद हसीन सा ख़्वाब था कल
यूँ भी ख़्वाब तो होते ही हसीन हैं
हक़ीक़त उतनी हसीन न भी सही
पर सपने भी हक़ीक़त बनते हैं
Wow! What a dream it wast last night
But these dreams are beautiful always
Reality may not be as beautiful as that
Yet dreams too become reality in days
Extremes!
Colors of the every sunset
Are very similar to those
I noticed of the Sunrise
The pale, yellow and red
The difference of course
Is more than it's visible
One brings in the light
Other causes darkness
Both do come by daily
As routine and religiously
If we want them or not
Showing us two extremes
Just like our own lives!
Are very similar to those
I noticed of the Sunrise
The pale, yellow and red
The difference of course
Is more than it's visible
One brings in the light
Other causes darkness
Both do come by daily
As routine and religiously
If we want them or not
Showing us two extremes
Just like our own lives!
भवसागर
कोई हार-जीत नहीं कराती ये दुनियाँ
हार-जीत का ज़िक्र करते हैं लोग यहाँ
सोचो तो यहाँ कोई भवसागर दुनियाँ
न सोचो तो एक छोटा सा सफ़र यहाँ
समझो तो पानी का बुलबुला दुनियाँ
न समझो तो होना सबने फ़ना है यहाँ
देखो तो बारूद के ढेर पर खड़ी दुनियाँ
न देखो तो भी हैं बस फूस के ढेर यहाँ
जानो तो रंज़-ओ-ग़म की है ये दुनियाँ
जो दिन गुज़र गए वही अच्छे हैं यहाँ
हार-जीत का ज़िक्र करते हैं लोग यहाँ
सोचो तो यहाँ कोई भवसागर दुनियाँ
न सोचो तो एक छोटा सा सफ़र यहाँ
समझो तो पानी का बुलबुला दुनियाँ
न समझो तो होना सबने फ़ना है यहाँ
देखो तो बारूद के ढेर पर खड़ी दुनियाँ
न देखो तो भी हैं बस फूस के ढेर यहाँ
जानो तो रंज़-ओ-ग़म की है ये दुनियाँ
जो दिन गुज़र गए वही अच्छे हैं यहाँ
Wednesday, June 12, 2013
फ़र्क़ / Difference
हमारा तुम्हारा नजरिया काफ़ी एक सा है
तुम्हें हमसे हमें तुम से कुछ शिक़वा सा है
तुम में और मुझ में फ़र्क़ बस इतना सा है
हमको फ़र्क़ से भी नहीं पड़ता कोई फ़र्क़ है
Our attitude has pretty much similarity
We both have complaints about other
Between us there is also bit difference
I don't feel different with the difference
तुम्हें हमसे हमें तुम से कुछ शिक़वा सा है
तुम में और मुझ में फ़र्क़ बस इतना सा है
हमको फ़र्क़ से भी नहीं पड़ता कोई फ़र्क़ है
Our attitude has pretty much similarity
We both have complaints about other
Between us there is also bit difference
I don't feel different with the difference
Tuesday, June 11, 2013
खूबसूरत / Beautiful
यूँ रुखसार को ही हमेशा न निहारा करो
कभी तो गिरेबाँ में भी झांक लिया करो
खूबसूरत चेहरे के पीछे की हक़ीक़त में
खूबसूरत दिल भी तराश कर लिया करो
Don't just keep looking at your face
Sometimes watch your collars too
Behind the reality of a pretty face
Do carve out the beautiful heart too
Monday, June 10, 2013
लालिमा / Erubescence
आसमान पर फिर नए रंग यहाँ उभरने लगे हैं
लगता है ये पल अंधेरों की तरफ़ बढ़ने लगे हैं
सुबह की लालिमा भी फिर यहाँ बिखरेगी ज़रूर
हम दिन के उजालों का इन्तज़ार करने लगे हैं
The colors have begun appearing in the sky
These moments are heading to the darkness
Erubescence shall sure spread with the dawn
I have started awaiting next day's brightness
ज़माना / Times
अब नहीं बहती है यहाँ वैसी बयार
कहाँ रहा अब वो मौसम-ए-बहार
हमारा तो ज़माना ही कुछ और था
हम चाहें भी तो कैसे भुला दें यार !
Now it's not the same wind that blew then
The spring of those days also now missing
Our times altogether different and awesome
Even if we want to forget it's beyond trying
होशियार / Beware
हम पर न सही किसी ग़ैर पर तो होगा तुम्हें ऐतबार
तुम लाख शक़ की निगाह से देखते सब को बार बार
कभी कभी ही सही किसी पर तो किया करो ऐतबार
तुमसे ज़्यादा समझ रखने वाले भी हैं रहो होशियार
If not on me you must have faith on some stranger
You gaze with suspicion everyone always everything
At least some times you may trust someone around
Beware there are people with better understanding
Sunday, June 9, 2013
समय का फेर
इसी दरख़्त के साये में
पलते थे जाने कितने सपने
हर पल कोई एक नया राही
थका हारा पाता था आराम यहाँ
बिना कोई भी क़ीमत चुकाये
वही दरख़्त है वही जगह है
लेकिन कितना कुछ बदल गया
इसके आस पास यहाँ सब
कोई इस जगह का मालिक़ है
यहाँ अब सपने बेचे जाते हैं
ख़रीददार भी ख़ूब आते हैं
नाम, तारीफ़ मालिक की है
दरख़्त चुपचाप खड़ा है
अपने आप को बिकते देख
समय का फेर देखता है
पलते थे जाने कितने सपने
हर पल कोई एक नया राही
थका हारा पाता था आराम यहाँ
बिना कोई भी क़ीमत चुकाये
वही दरख़्त है वही जगह है
लेकिन कितना कुछ बदल गया
इसके आस पास यहाँ सब
कोई इस जगह का मालिक़ है
यहाँ अब सपने बेचे जाते हैं
ख़रीददार भी ख़ूब आते हैं
नाम, तारीफ़ मालिक की है
दरख़्त चुपचाप खड़ा है
अपने आप को बिकते देख
समय का फेर देखता है
Saturday, June 8, 2013
दर्द की शहनाइयाँ / Melodies of Pain
कभी कभी यहाँ दर्द की शहनाइयाँ भी
कोई बड़ा मीठा राग सी लगने लगती हैं
अचानक से जेहन में संगीत सा लाकर
राग जैजैवंती की धुन सुनाने लगती हैं
At times the melodies of the pain in life
Start giving a feel of sweet tone to us
The sudden recital of the music in mind
Like the melodious Jaijaivanti it appears
I Wish
I wish best for and around you
Whatever I continue to seek
May you get everything right
Right from the very beginning
Blessed with worldly wisdom
And enjoy bliss from day one
I am short of words on this
Perhaps no words are enough
NO meanings are appropriate
I would think of reliving them
Through watching your ways
And all your good experience
There were my limitations
They too crossed my paths
The constraints shall remain
In every matter in life I know
It all wasn't a straight path
Somewhere down the lane
I wish you the bright paths
Even amidst dark moments
I expect you to use inner light
When encounter dark patches
I know you shall withstand
The tests of life and it’s paths
I believe you the way you deal
Adversities with your courage
Positivity and belief in yourself
Patience and resilience handy
Stand tall and face the World
I wish you more than I expect
आशियाना / Nest
खूबसुरत छोटा सा एक आशियाना है मेरा
एक एक कर जुड़ा हर लम्हा यहाँ तेरा मेरा
अब जो भी है यहाँ यही है बसेरा डेरा मेरा
मुझे बहुत अज़ीज़ ये सब ताना बाना मेरा
So beautiful is my this small little nest
One by one connected our all moments
Whatever is here is my habitat or camp
I love this 'balance of cloth' and weaving
एक एक कर जुड़ा हर लम्हा यहाँ तेरा मेरा
अब जो भी है यहाँ यही है बसेरा डेरा मेरा
मुझे बहुत अज़ीज़ ये सब ताना बाना मेरा
So beautiful is my this small little nest
One by one connected our all moments
Whatever is here is my habitat or camp
I love this 'balance of cloth' and weaving
बाले! तेरे बाल-जाल में~Sumitranandan Pant
छोड़ द्रुमों की मृदु-छाया,
तोड़ प्रकृति से भी माया,
बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लोचन?
भूल अभी से इस जग को!
तज कर तरल-तरंगों को,
इन्द्र-धनुष के रंगों को,
तेरे भ्रू-भंगों से कैसे बिंधवा दूँ निज मृग-सा मन?
भूल अभी से इस जग को!
कोयल का वह कोमल-बोल,
मधुकर की वीणा अनमोल,
कह, तब तेरे ही प्रिय-स्वर से कैसे भर लूँ सजनि! श्रवन?
भूल अभी से इस जग को!
ऊषा-सस्मित किसलय-दल,
सुधा रश्मि से उतरा जल,
ना, अधरामृत ही के मद में कैसे बहला दूँ जीवन?
भूल अभी से इस जग को!
Friday, June 7, 2013
गिरेबाँ / Collars
बहुत शौक़ हो जिसे यूँ आजमाने का
वो हमें ज़रा कभी आजमा के देख ले
ख़ुद-ब-ख़ुद शर्मिंदा हो जायेगा शायद
गिरेबाँ में अपने फिर पलट के झाँक ले
Whoever has the hobby of testing others
They may dare try testing me sometimes
Would perhaps be ashamed about oneself
And might peep in to own collars all times
Thursday, June 6, 2013
हिस्से / Share
शायर नहीं कहीं से मिल जाते हैं अल्फ़ाज़
इन्हें नज़र तो करो दाद चाहे हमें कम दे दो
हमारे हिस्से में तो बहुत कम आये शायद
तुम्हीं कुछ अपने हिस्से से हमें ग़म दे दो
I'm not a poet but words come by from somewhere
Read them albeit give a little less appreciation to me
I didn't seem to have many woes as my share in life
You have liberty to pass some from own share to me
एहसास
हमें लगा था शायद
अब नहीं बाक़ी एहसास
आज किस एहसास ने
फिर जगाये हैं एहसास
भटकने लगा है मन
कभी दूर तो कहीं पास
मानो शांत सरोवर में
तरंगें फिर आने लगीं पास
मचलती सी तरंगें अब
हलचल भी ले आईं हैं पास
मन ही तो है आख़िरकार
जागते ही रहेँगे ये एहसास
कुछ भी कहो चाहे तुम
इनमें है कुछ तो बात ख़ास
हमारा हमीं से सब चुराकर
ले आते हैं तुम्हारे पास
Wednesday, June 5, 2013
कुछ कुछ
कुछ कुछ बिलकुल
हर एक की कहानी सी
कुछ कुछ ज़िन्दगी
जानी सी अनजानी सी
कुछ कुछ चाहतें
अपनी सी बेगानी सी
कुछ कुछ हसरतें
नयी सी पुरानी सी
कुछ कुछ बातें
हक़ीक़त सी कहानी सी
कुछ कुछ हरक़तों में
समझदारी भी नादानी सी
हर एक की कहानी सी
कुछ कुछ ज़िन्दगी
जानी सी अनजानी सी
कुछ कुछ चाहतें
अपनी सी बेगानी सी
कुछ कुछ हसरतें
नयी सी पुरानी सी
कुछ कुछ बातें
हक़ीक़त सी कहानी सी
कुछ कुछ हरक़तों में
समझदारी भी नादानी सी
Tuesday, June 4, 2013
कथानक / Episodes
आखिरकार भुला दिया था हमने जो भी था याद
जाने कहाँ कहाँ ढूंढा और कहाँ न की थी फ़रियाद
कई बिसरे हुए पुराने कथानक दिला गया है याद
आपका यूँ आना अचानक इतने लम्बे अरसे बाद
At last I had forgotten whatever in remembrance
Where all didn't I look for and prayed everywhere
Many forgotten episodes are back in remembrance
For your arrival sudden after a long disappearance
Monday, June 3, 2013
एक उपवन : द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी..simply best:)
हम सब सुमन एक उपवन के
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम।
पले हुए हैं झूल-झूल कर
पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
रंग रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब
रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उसकी कली खिलातीं,
एक हमारा चांद चांदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एकसे स्वर हमको हैं,
भ्रमरों के मीठे गुंजन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
काँटों में मिलकर हम सबने
हँस हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बंधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी
हम श्रंगार धनी निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
--रचनाकार: द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
एक हमारी धरती सबकी
जिसकी मिट्टी में जन्मे हम
मिली एक ही धूप हमें है
सींचे गए एक जल से हम।
पले हुए हैं झूल-झूल कर
पलनों में हम एक पवन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
रंग रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी-क्यारी
लेकिन हम सबसे मिलकर ही
इस उपवन की शोभा सारी
एक हमारा माली हम सब
रहते नीचे एक गगन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
सूरज एक हमारा, जिसकी
किरणें उसकी कली खिलातीं,
एक हमारा चांद चांदनी
जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एकसे स्वर हमको हैं,
भ्रमरों के मीठे गुंजन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
काँटों में मिलकर हम सबने
हँस हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बंधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी
हम श्रंगार धनी निर्धन के
हम सब सुमन एक उपवन के।।
--रचनाकार: द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
धोखा / Deception
आँखें थीं कि थकती नहीं थीं देखते उसकी ओर
उसकी हर अदा निराली हर अंदाज़ अनोखा था
हर कोई ही उसके हुस्न पर दीवाना मतवाला था
शायद इसीलिए उसकी फ़ितरत में ही धोखा था
Eyes untiringly would get glued on to her looks
Each of her mannerism and style were unique
Everyone mad and tipsy at her beauteousness
no wonder deception was there in her nature
उसकी हर अदा निराली हर अंदाज़ अनोखा था
हर कोई ही उसके हुस्न पर दीवाना मतवाला था
शायद इसीलिए उसकी फ़ितरत में ही धोखा था
Eyes untiringly would get glued on to her looks
Each of her mannerism and style were unique
Everyone mad and tipsy at her beauteousness
no wonder deception was there in her nature
राजुला-मालुशाही
राजुला-मालूशाही उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र की एक अमर प्रेम कहानी है. प्रेम के प्रतिरोधों, विरोधों, विपरीत परिस्थितियों, समाज एवं जातिगत बंधनों में उलझ कर सुलझ जाने वाली इस कहानी में प्रेम पथिकों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा........जरूर पढ़ें!!!!
उत्तराखंड में जब कत्यूर राज वंश के के राजा दुलाशाह का शाशन और राजधानी बैराठ में थी। पुत्र–कामना के लिए जब वे कुमाऊँ के बागनाथ मंदिर में मनौती मांगने गए तों उनकी भेंट भोट-प्रदेश के व्यापारी सुनपत शौका से हुई, वे भी पुत्र कामना के लिए ही वहाँ आये थे। दोनों ने निश्चय किया कि अगर दोनों में से किसी एक का लड़का और दुसरे की लड़की होगी तो उनका आपस में विवाह करा देंगे।
कुछ समय बाद बैराठ नरेश को पुत्र (जिसका नाम "मालूशाही" रखा गया) और सुनपत शौक को पुत्री (जिसका नाम "राजुला" {also known as राजुली} रखा गया) की प्राप्ति हुई ।
समय के साथ साथ दोनों जवान हो गए। एक ज्योतिष ने राजा को पुत्र का विवाह किसी नौरंगी कन्या से करने के लिए कहा। तो राजा को अपना पुराना वादा याद आ जाता है, उसने अपने दरबारियों को भोट प्रदेश भेजा ही था कि तभी राजा की मृत्यु हो गयी। अपशगुनी समझ राजुला को सब कोसने लगे।
लेकिन प्रेम की परिणीति पूर्व निर्धारित थी शायद। एक दिन राजुली मालूशाही के सपने में ही आ धमकी और राजुला के सपने में मालूशाही!! इस बीच कहा जाता है कि एक हूण राजा ने राजुला को शादी का प्रस्ताव दिया और मना करने पर उसने धमकी तक दे दी।
परेशान हो एक दिन राजुला खुद ही वैराट की राह पर निकल पड़ी। घने जंगलों, वीरान पहाड़ों को पार करते राजुला मालूशाही के बैराठ में पहुँच गयी। लेकिन अपशगुन की डर से मालूशाही की माँ राजुला से शादी न कर पाए इसलिए उसने मालूशाही को निंद्रा की जड़ी खिला दी। नींद की आगोश में सोये हुए मालूशाही के समीप जब राजुला रुकी तो उसे प्रेमिका के पास होने का एहसास तक न हुआ। निराश राजुला ने मालूशाही को हीरे की अंगूठी पहनाई और रुंधे मन से अपने शौका देश लौट गयी। मालूशाही नींद से जागा तो हाथ में राजुला के नाम की अंगूठी देख व्याकुल हो उठा।
सब तरफ से हारता हुआ देख मालूशाही ने अपना सारा राज पाठ छोड़ दिया, अपने राजसी वस्त्र नदी में बहा दिए और गुरु गोरखनाथ की शरण में चला गया। अपनी प्रेमिका से मिलन के लिए कई मिन्नतें करने के बाद गुरु गोरख नाथ ने उसे भोग्साडी विद्या सिखाई, हूणों के दुश्प्रभाव् से रोकने के लिए कई तन्त्र-मंत्र सिखाए। दीक्षा लेने के बाद मालूशाही ने सिर मुड़वाकर जोगी वेश धारण कर लिया।
उधर तब तक हूण राजा विक्खपाल राजुला को रानी बनाकर ला चुका था। इतना कुछ हो जाने के बाद भी हार न मानकर मालूशाही उसी जोगी वेश में राजुला के महल के द्वार पर आकर भिक्षा मांगने लगा, तभी....
सौंदर्य की अप्रतिम छटा बिखेरे, राजशी ठाट बाट में लक-दक् आभूषणो से सजी राजुला पात्र में भिक्षा ले पहुंची। भिक्षा देती राजुला को देखते ही मालूशाही सारी सुध-बुध भूल गया उसे वो सपनों की रात याद आ गयी जब उसने पहली बार राजुला को देखा था....राजुला के मन में संदेह उत्पन्न होता देख मालुशाही ने उसे अपने बारे में सब कुछ बता दिया। और कई दिनों तक चोरी छिपे मिलते रहे, लेकिन राजा विखपाल को पता चल जाता है और वो षड्यंत्र रच मालूशाही को मार डालता है.....
मालूशाही की मौत का स्वप्न बैराठ में उसकी माँ को होता है तो माँ अपने भाई राजा मृतु सिंह और गुरु गोरखनाथ को हूण देश भेजती है है। गुरु गोरखनाथ भोग्साडी विद्या से मालूशाही को पुनर्जीवित कर देते हैं, मामा मृत सिंह की सेना ने हूणों को तहस-नहस कर देती है। अब मालूशाही पूरी शान-ओ-शौकत के साथ राजुला को अपने बैराठ प्रदेश लाता है.....
राजुला वैराट प्रदेश की रानी बन गई- एक सामान्य परिवार में जन्मी राजुला के लिए राजशी ठाट-बाट के मालूशाही का त्याग, जिद और संघर्ष सच में आज के प्रेमियों के लिए मिशल के तौर पर अनुकरणीय है... वैलैंटाईन डे के इस दौर में राजुला-मालुशाही की अद्वितीय प्रेम की पराकाष्ठा हिमालय की ऊँची चोटियों में चमकते श्वेत हिम की तरह हमेशा एक अलग चमक बिखेरे हुए रहेगी.....
उत्तराखंड में जब कत्यूर राज वंश के के राजा दुलाशाह का शाशन और राजधानी बैराठ में थी। पुत्र–कामना के लिए जब वे कुमाऊँ के बागनाथ मंदिर में मनौती मांगने गए तों उनकी भेंट भोट-प्रदेश के व्यापारी सुनपत शौका से हुई, वे भी पुत्र कामना के लिए ही वहाँ आये थे। दोनों ने निश्चय किया कि अगर दोनों में से किसी एक का लड़का और दुसरे की लड़की होगी तो उनका आपस में विवाह करा देंगे।
कुछ समय बाद बैराठ नरेश को पुत्र (जिसका नाम "मालूशाही" रखा गया) और सुनपत शौक को पुत्री (जिसका नाम "राजुला" {also known as राजुली} रखा गया) की प्राप्ति हुई ।
समय के साथ साथ दोनों जवान हो गए। एक ज्योतिष ने राजा को पुत्र का विवाह किसी नौरंगी कन्या से करने के लिए कहा। तो राजा को अपना पुराना वादा याद आ जाता है, उसने अपने दरबारियों को भोट प्रदेश भेजा ही था कि तभी राजा की मृत्यु हो गयी। अपशगुनी समझ राजुला को सब कोसने लगे।
लेकिन प्रेम की परिणीति पूर्व निर्धारित थी शायद। एक दिन राजुली मालूशाही के सपने में ही आ धमकी और राजुला के सपने में मालूशाही!! इस बीच कहा जाता है कि एक हूण राजा ने राजुला को शादी का प्रस्ताव दिया और मना करने पर उसने धमकी तक दे दी।
परेशान हो एक दिन राजुला खुद ही वैराट की राह पर निकल पड़ी। घने जंगलों, वीरान पहाड़ों को पार करते राजुला मालूशाही के बैराठ में पहुँच गयी। लेकिन अपशगुन की डर से मालूशाही की माँ राजुला से शादी न कर पाए इसलिए उसने मालूशाही को निंद्रा की जड़ी खिला दी। नींद की आगोश में सोये हुए मालूशाही के समीप जब राजुला रुकी तो उसे प्रेमिका के पास होने का एहसास तक न हुआ। निराश राजुला ने मालूशाही को हीरे की अंगूठी पहनाई और रुंधे मन से अपने शौका देश लौट गयी। मालूशाही नींद से जागा तो हाथ में राजुला के नाम की अंगूठी देख व्याकुल हो उठा।
सब तरफ से हारता हुआ देख मालूशाही ने अपना सारा राज पाठ छोड़ दिया, अपने राजसी वस्त्र नदी में बहा दिए और गुरु गोरखनाथ की शरण में चला गया। अपनी प्रेमिका से मिलन के लिए कई मिन्नतें करने के बाद गुरु गोरख नाथ ने उसे भोग्साडी विद्या सिखाई, हूणों के दुश्प्रभाव् से रोकने के लिए कई तन्त्र-मंत्र सिखाए। दीक्षा लेने के बाद मालूशाही ने सिर मुड़वाकर जोगी वेश धारण कर लिया।
उधर तब तक हूण राजा विक्खपाल राजुला को रानी बनाकर ला चुका था। इतना कुछ हो जाने के बाद भी हार न मानकर मालूशाही उसी जोगी वेश में राजुला के महल के द्वार पर आकर भिक्षा मांगने लगा, तभी....
सौंदर्य की अप्रतिम छटा बिखेरे, राजशी ठाट बाट में लक-दक् आभूषणो से सजी राजुला पात्र में भिक्षा ले पहुंची। भिक्षा देती राजुला को देखते ही मालूशाही सारी सुध-बुध भूल गया उसे वो सपनों की रात याद आ गयी जब उसने पहली बार राजुला को देखा था....राजुला के मन में संदेह उत्पन्न होता देख मालुशाही ने उसे अपने बारे में सब कुछ बता दिया। और कई दिनों तक चोरी छिपे मिलते रहे, लेकिन राजा विखपाल को पता चल जाता है और वो षड्यंत्र रच मालूशाही को मार डालता है.....
मालूशाही की मौत का स्वप्न बैराठ में उसकी माँ को होता है तो माँ अपने भाई राजा मृतु सिंह और गुरु गोरखनाथ को हूण देश भेजती है है। गुरु गोरखनाथ भोग्साडी विद्या से मालूशाही को पुनर्जीवित कर देते हैं, मामा मृत सिंह की सेना ने हूणों को तहस-नहस कर देती है। अब मालूशाही पूरी शान-ओ-शौकत के साथ राजुला को अपने बैराठ प्रदेश लाता है.....
राजुला वैराट प्रदेश की रानी बन गई- एक सामान्य परिवार में जन्मी राजुला के लिए राजशी ठाट-बाट के मालूशाही का त्याग, जिद और संघर्ष सच में आज के प्रेमियों के लिए मिशल के तौर पर अनुकरणीय है... वैलैंटाईन डे के इस दौर में राजुला-मालुशाही की अद्वितीय प्रेम की पराकाष्ठा हिमालय की ऊँची चोटियों में चमकते श्वेत हिम की तरह हमेशा एक अलग चमक बिखेरे हुए रहेगी.....
Sunday, June 2, 2013
अनैतिक / Immoral
जानता हूँ मैं सब कुछ यहीं रह जायेगा मेरे बाद फिर भी
मुझे वह सब चाहिए जो भी नैतिक रास्तों से मिल पाए
लोग कमोवेश जानेंगे भ्रष्ट व अनैतिक होना ज़रूरी नहीं
ये ज़रूरी तो नहीं हर हासिल चीज़ अपने काम आ पाए
I know everything shall remain behind after me
Yet I want all that achievable through moral way
Prove to people that being immoral isn't essential
It isn't necessary that all I achieved I use anyway
भाषा / Language
न आँखों की भाषा पढ़ पाए न ख़ामोशी की
मुस्कराहट के इशारे भी समझ नहीं पाए थे
बस एक ज़ुबान का ही था सहारा अब बाक़ी
लाख क़ोशिश कर भी उसे खोल नहीं पाए थे
Couldn't read either the language of the eyes or words of silence
Nor could I understand all those hints given through those smiles
The course open remained to me now was the use of the spoken words
Even after the hundreds of my efforts I couldn't take that recourse
Saturday, June 1, 2013
नादानियाँ / Desirability
नादानियाँ देख दिल की है क्या कुछ न किया
पर आपकी ख़ामोशियों ने रुसवा हमें कर दिया
दिल पर रख के पत्थर ये है हमने क़बूल किया
पत्थर दिल सही आपने कुछ तो हमें कह दिया
All I did do for the desirability of heart
Your silent avoidance made me infamous
With a heavy burden on heart I accept
At least you did call me stone-hearted
मान लें / Agree
ये रोज़ रोज़ की परेशानी से आज हम निपट लें
वरना ज़िन्दगी के दिन यूँ घिसटती बीत जायेंगे
आओ चलो आज ये बात हमेशा के लिए मान लें
न तुम कभी बदल सकते ही न हम कभी बदलेंगे
We may now settle this everyday problem we have
Else the days of lives will be over dragging like now
Let us both agree on this situation now once for all
You will not change so do will I remain as I am now
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