है ना अज़ीब बात!
मैंने जाना था जिसे
चेहरा एक
कोई जाना पहचाना
और जाना था उसे
अपना ही अपना
अपने ही क़रीब
मानो हमेशा से
मेरा चिर-परिचित
दूर था जब तक मुझ से
मगर नज़दीक़ से
बिलकुल उलट था सब
निकला कोई अक्स
एक अज़नबी का
फिर यहाँ मेरे पास
हवा का झोंका आया
सर्द एहसास की
दे गया सिहरन सी
फिर भी यूँ
गुदगुदा सा गया
बालों से मेरे ही
मेरे ही चेहरे को
मैं बरबस ही
सँभालने लगी
बालों को अपने
फिर छू कर
मेरे हाथ गालों से
करा गए एहसास
तुम्हारे हाथों का
मानो यादों थीं
चली आईं अनायास ही
कोई बिस्मृत सी
नहीं! ये सपना नहीं था
नींद में भी सुनाई दी थी
आवाज़ कोई पहचानी सी
फिर खुली थी नींद मेरी
आँखें अलसाई सी थीं
कोई धीमी आहट सी थी
मैंने देखा था चुपके से
मेरे दरवाज़े पर शायद
चाँदनी दस्तक दे रही थी
दरवाज़ा खुलते ही बस
हर ओर बिखर गई थी
नींद से हक़ीक़त तक
सब रोशन कर गई थी
फिर भी न जाने क्यों
कई सवाल नए-पुराने
मेरे जेहन में ले आई थीं
The Moon is grounded
And is in front of me
I can see it from here
Sitting on tree-house
Clouds being umbrella
Saving from dew drops
A bit of it is drowned
In the water of lake
Overlooks surrounding
And the coconut palms
Causing thus a mirage
Somewhere in thoughts
And deep visualization
As a consequence then
A feast to the eyes
Be it temporary thing
Or translucence of mind
सब खिले-खिले से रंग हैं यहाँ
फिर भी ये शहर उदास सा है
ज़िन्दगी के प्रश्नों में उलझा
हर कोई यहाँ बदहवास सा है
हर शख्स के चेहरे से झलकता
एक अजीबोग़रीब तनाव सा है
जो न मिल पाता कभी उसका
शायद अब भी इंतज़ार सा है
अपनी हैसियत से कुछ ज्यादा
पाने का सब को खुमार सा है
गुजर गए वो खुशहाली के पल
जिनका ख़याल बेशुमार सा है
उन खोये हुए पलों का अब भी
मनों में बसा एक आकार सा है
कुछ उलझ गए मसलों का भी
सुलझने का आग़ाज़ बाक़ी सा है
अंधेरों के बीच छुपे उजालों का
अब भी बाक़ी यहाँ इंतज़ार सा है
अब तुम्हीं कहो
धूप कहाँ मिलेगी
इस घनी बारिश में
सूरज को पकड़ लाता
मेरे वश में होता अगर
लेकिन क्या करूँ मैं
मेरी तो बस सीमायें हैं
नन्हीं चींटी की तरह
बेवज़ह कोशिश करना
असंभव को उठा लेने की
कोई रास्ता नहीं है यहाँ
धैर्य बना रखने के सिवा
शायद कल धूप निकले
मेरा भी बस अनुमान है
बिलकुल तुम्हारी तरह
अब तुम्हीं कहो
तुम शायद सोच रहे थे
मैं आसमान छूना चाहता हूँ
या उसे झुकाना चाहता हूँ
तुमने कोशिश नहीं की
शायद ये जानने की
मेरे ये झुके हुए हाथ
बहुत थक गए थे
काम के बोझ से ये
एक ही अवस्था में झुके
बदलाव माँग रहे थे
मैं इन्हें उठाना चाहता हूँ
वो भी बस अपने लिए
फिर भी आश्वस्त हूँ
तुम्हें उम्मीद है मुझसे
कि मैं आसमान छूना
और झुकाना जानता हूँ
मैं तो ज़मीन पर खड़ा
बस अपना काम जानता हूँ
अधूरी आशाएँ
अधूरी चाहतें
अधूरी ख्वाहिशें
अधूरा वज़ूद
आधी ज़िन्दगी
फिर भी
रास्ते अब यहाँ
आधे से आगे हैं
ज़ज्बा पूरा है
हौसले बाक़ी हैं
भरोसा पूरा है
जितने भी दिन हैं
अब भी पूरे हैं
हम आधे-अधूरे नहीं
बिलकुल पूरे हैं
I know I like to suck on you
For that sweet tasty nectar
But as a returning gesture
I always carry your pollen
To make sure your clan grows
And offers the exotic food
To all those species like me
Who would also help out you
Attracted by colors or looks
That you offer to all those
Like me as an added delight
What on Earth can be a better
Symbiotic ways like me and you
सदियों से चली ये बात थी
ये दुनिया सर झुकाती थी
तुम्हारी नज़ाक़त के सामने
तुम्हारी मग़रूर नज़ाक़त
बन गई थी एक इम्तहान
तुम्हारे ही सब्र का शायद
शिक़स्त भी डरने लगी है
तुम्हारे हौसलों से रुबरु हो
अब हक़ीक़तों के सामने
फिर भी बनाये रखना तुम
सहेज कर नज़ाक़त को
इसकी भी अपनी जगह है
जैसे मुस्कुराहट के मायने