Thursday, February 27, 2014

ज़िंदा हैं हम

बड़ी वीरानी है
बाहर भी अंदर भी
पर अकेले नहीं हैं हम

क़ुसूर किसका है
संज़ीदगी से देखो तो
क़ुसूरवार हैं हम

अपनी ही सोचते हैं
खुद को ही मानते हैं
ऐसे हो गए हैं हम

हरेक से खफा हैं
खुद को माफ़ करते हैं
सोचते मैं कहते हैं हम

चन्द लोग हैं यहाँ
जिनसे क़ायम है सब
ये जानते हैं हम

ख़ुद पर जब गुज़रती है
तभी एहसास होता है
कि ज़िंदा हैं हम

Sunday, February 23, 2014

विवेक

जानता हूँ
औरों की तरह ही
तुम भी हो
अपने स्वार्थवश
खेलने वाले
मेरे ज़ज्बात से
फिर भी
बहलाने लगता हूँ
स्वयं को मैं
अलग से हो तुम
क्या मालूम
समय आयेगा जब
परख लूंगा तुमको
कुंठित हो जाऊँ
अभी से क्यों
तुम्हारा हो न हो
मेरा तो लेकिन
यही विवेक है

Saturday, February 22, 2014

Magic of Politicans

He knows his job well
He's after all a politician
Playing with minds his forte
He would use all the tricks
Knowingly he gets caught
His domain is to appease
With magic of promises
Knows it seldom works out
Yet for the sake of votes
He shows the magic wand
Each time with new alibis
Politicians are magicians
The magic may not work
But mesmerism does work
Hypnotized electorate vote
Believing these magicians
At the end of the day sure
They all too are humans

Make the Magic

I would make all evils disappear
To make sure I'm the evil alone
Evil thus shall be my soul and goal
Yet others would only be good guys
They would all be scared of me
I know how to keep evil in control
I would keep it buried deep within me
I will have my ways to deal with evil
Each one would practice good things
No one a bad man, terrorist or fanatic
If only I could make the magic

Thursday, February 20, 2014

शोर

इतनी ख़ामोशी में भी इतना क्यों शोर है
इस शहर में रोता कोई क्यों हर ओर है

कोई पूछे ख़तावार की पहचान ज़रा लेकिन
दिल के अंदर ये ख़तावार क्यों कोई और है

हर लम्हा ज़िन्दगी यूँ भी तो जी नहीं जाती
चार पल जीने में भला कोई ऐतराज़ क्यों है

गर्दिशे वक़्त की हमने यूँ तो परवाह न की
वक़्त को हर वक़्त हमीं से अदावत क्यों है

लोग बहरे भी गूंगे भी हो चले यहाँ अब तो
बहुत कम हैं बचे जिन्हें शिक़ायते शोर से है

Tuesday, February 11, 2014

Love for everyone

It's always in the air
The surroundings add up
The weather charms up
The thoughts make up
For the missing links
The catalytic effects
Of the colors around
Revive the nostalgia
Of romantic feelings
Those always within
Sense of sensuousness
The lust of the mind
The love of the heart
Connections of souls
Abundance of caring
Kindling of the flame
Of togetherness ways
Synchronization of two
Assimilating feelings
Promises and sacrifice
For one-another always
Is what we call love
Love is for everyone


Sunday, February 9, 2014

अल्फाज़ के मायने

सुना था अल्फाज़ के भी
मायने जो समझ लिया
हमने बस मुस्कुरा दिया
तुमने तूफ़ान खड़ा किया
तुमने हज़ारों बार कहा
हमने ज़हर सा पी लिया
दिल ये टुकड़े-टुकड़े हुआ
हमने कई दिल मान लिया
हमने एक बार कह दिया
तुमने बतंगड़ बना दिया
बात ज़मीन की हुई थी
आसमाँ सर पे उठा लिया
न तुमने कुछ हासिल किया
न मेरा कुछ बिगड़ गया

Thursday, February 6, 2014

जैसे तैसे

सुना है मैंने भी
बड़ी तरक्की कर ली
मुल्क़ ने अपने!
लेकिन
दिखाई नहीं दिया
कोई बदलाव
कम से कम
मेरे आस पास!
तुम्हीं देख लो
मैं तो खुले पैर
बर्फ में भी
लकड़ियाँ लाती हूँ
तब चूल्हा जलता है
घर चलता है
जैसे तैसे !
जान है जब तक
यूँ ही गुजर होगी
फिर एक रोज़
मर-खप जाऊँगी
तुम पढ़ते रहना
क़सीदे तरक्की के

Tuesday, February 4, 2014

मेरा प्रिय वसंत

शिशिर हेमंत अब
समाप्तप्राय हैं
पतझड़ बीती बात
कोंपलें रंगों रंगों में
मनचली सी आतुर
जग को दिखलाने
मनभावन यहाँ
चहुँ ओऱ छटा है
मिलन रंगों का है
हरियाली से पीत
गुलाबी, श्वेत, लाल
कलियों के संग
वासंती रंग लिए
आ पहुँचा है फिर
मादक मदमस्त
मेरा प्रिय वसंत

Sunday, February 2, 2014

सवालिया निशान

कतिपय मान्यताओं
के बिसरते क्रम में
कई शब्दों के
मायने क्या
सोच के साथ
कितनी पुरानी
परिभाषायें
अब बदल गई हैं
सही गलत के
अब अपने आयाम हैं
प्रतिष्ठा भी अब
आचरण की मोहताज़ नहीं
अब सवाल नहीं उठते
लोगों कि नीयत पर
नीयत ही यहाँ
सवालिया निशान हो गई है
इंसानियत अब
यूँ बदनाम हो गई है