अब गीत कहाँ संगीत कहाँ
तन-मन में मधुरस छा जाए
कुछ ऐसा गीत सुनाओ
अब साज नहीं सजते हैं वो
मन वीणा मौन उदास बसी
मन के सब तार करें झंकार
कुछ ऐसी बीन बजाओ
अब सबको ऐसी जल्दी है
भागी जाती सी दुनियाँ है
बैठो कुछ पल सुस्ता लो
कुछ ठहर के चलते जाओ
अप्रतिम यहाँ सँगीत भरा
लेकिन है जाने कहाँ छुपा
दिल के अंदर तक छा जाए
ऐसा सुर-संगीत सजाओ
चेहरों में अज़ब उदासी है
नज़रें भी प्यासी-प्यासी हैं
स्वच्छंद नाचता हो ज्यों मन
कुछ ऐसे नाचो गाते जाओ
झोली भरने की फिक्र न हो
जीने-मरने की बात न हो
हर ओर ज़िन्दगी हँसती हो
कुछ ऐसी अलख जगाओ