नए-नए से ख्वाबों से
महक रही है ज़िन्दगी
ख़ुशी के यूँ एहसास से
चहक रही है ज़िन्दगी
बड़े की चाह में यहाँ
बहक रही है ज़िन्दगी
कुछ और की तलाश में
भटक रही है ज़िन्दगी
नई दिशा और सोच से
पलट रही है ज़िन्दगी
हरएक तरफ हरेक घर
बदल रही है ज़िन्दगी
नई फ़िज़ा नई डगर पे
चल रही है ज़िन्दगी
कभी-कभी कड़वे घूँट दवा मान पी लेते हैं
प्यार की चाशनी में सब मीठा कर लेते हैं
मर्ज़ को खुद दवा का स्वरुप जान लेते हैं
मर्ज़ का इलाज़ कुछ इस तरह कर लेते हैं
प्यार की तकरार का आभास लिए जीते हैं
बेचैनियों में प्यार की यूँ चैन लिए रहते हैं
मीठे से दर्द का सा एहसास लिए फिरते हैं
हम प्यार से लबरेज़ अन्दाज़ लिए रहते हैं
ज़िन्दगी की अँगड़ाइयों को पहचान लेते हैं
प्यार फ़लसफ़ा नहीं हक़ीक़त मान लेते हैं
फिर मिटेगा सघन तम
महकेगा नवचेतन मन
छायेगा उजियारा इतना
फिर से नव प्रभात बन
झोंके बन सुरभित पवन
आयेंगे फिर मेरे आँगन
छोटी सी ये बगिया मेरी
खिल उठेगी ज्यों उपवन
आशायें आकाँक्षा मिलकर
सबरस बरसेंगे मेरे भी मन
अहा सुहाना होगा कितना
दृष्य मनोहर सुन्दर बन
मन के कोलाहल से
बचाने आ जाती हैं
ख़ुद मेरी खामोशियाँ
तुम्हारी नज़र में
रास आती हैं मुझ को
अक्सर खामोशियाँ
खामोश नहीं हूँ मैं
फिर भी मेरे पास
आती हैं खामोशियाँ
तुम कुछ भी कह लो
बड़ी अज़ीज़ मुझ को
ये मेरी खामोशियाँ
ज़माने के शोर में
शोर करने लगती हैं
ख़ामोश खामोशियाँ