यही है कुड़ियों दा दस्तूर
सियाप्पा हो ही गया
अपणे ही नशे विच चूर
मुण्डों दा आप्पइ आप सुरूर
सियाप्पा होणा था
नि कुड़िये अपने अंदर झाँक
खुद को न बेहतर आँक
तेरा दिल दस देगा सब बात
फिट्टे मुँह समझ ले सारी बात
सियाप्पा कैसे हुआ
ओ मुंडे वड्डी वड़ी न फेंक
तू बस अपने फंडे सेंक
ज़रा सा अकल दे परदे खोल
अकल ने दस देणी तैनु बात
सियाप्पा होणा था
ले कुड़िये मैंने मानी बात
मैनु अकल ने मारी लात
मैनु समझ हुई अब बात
क्यों तू दिखती मुझे दिन रात
सियाप्पा खत्म हुआ
ओये मैं बी सुण ली बात
अपणा सात जनम दा साथ
कदी मैं बी थी मगरूर
ऐ मान लुंगी मैं ज़रूर
सियाप्पा खत्म हुआ