Monday, August 29, 2016

सनसनीखेज़

असहायता और अभाव
उनकी मानो संपत्ति थी
जीवन के कष्ट झेलते
उनकी रूह काँपती थी
सहयोग की अपेक्षा करते
वो तुम्हारी ओर देखते
तुम्हें सरोकार तो था
तुम देखते ही रहे थे
तुम अपनी कहानी
और मार्मिक बनाते रहे
शायद इसी आशा में
कि कहानी चटपटी हो
और तुम परोस सको
पाठकों को कोई
दस्तावेज़ सनसनीखेज़


एक खिड़की

बिलकुल मेरी तरह
तुम्हारी आँखें भी
एक खिड़की सी
झाँकने को बनीं
मानो तुम्हारेअंदर
और ऐसी खिड़की
कभी बंद होकर भी
देती हैं अवसर
देख पाने का
एक छोटी झिरी से
मानो आती आवाज़ें
एक नेपथ्य से
मुझे दिशा बतातीं
आगे के संवाद की

समय के हस्ताक्षर

आज भी मौजूद हैं
वक्त के निशान
क्या होता है सिर्फ
मेरे, तुम्हारे या फिर
किसी के कह देने से
जो जानकार हैं
समझ व पढ लेंगे
समय के हस्ताक्षर
सच जान ही लेगी
उनकी पैनी नजर
तुम फिर भी चाहो
झूठ का सहारा लेना
तो ये मात्र दुराग्रह है

Sunday, August 28, 2016

Refreshing Cup of Tea

Sips after drenching in rains
And those cold shivers in hills
After the wind blowing colder
Tea sounds tastier than ever
And the company of friends
Planning to go for pakoras
And another cup strong tea
Feels like out of the World
Small things do give big joys
Refreshing like a cup of tea


Saturday, August 27, 2016

Equal World for Women

I'm inclined to accept
Without pretentions
I would believe you
By the results
Not just in words
But in your deeds
Through your actions
In your behaviour
Sure manifestly
No alone by intentions
Not by any aversion
But; by inclusion
Your long history is
Reason of suspicion
I would be contented
Even in neutral situation
That paves the way of
Equal World for women
I'm confident of
Outsmarting all men
If you are confident
Give equality to women!



Thursday, August 25, 2016

प्रेम सुधा

सर्वस्व भस्म हो सकता है तो
बचा रहा क्या दिखलाना होगा
सपने तुमने भी हमने भी देखे
जीवन का सच बतलाना होगा
जीना तुमने भी हमने भी चाहा
कुछ ज्ञान मार्ग अपनाना होगा
कितने थे मरे हैं कितने घायल
ख़बर को ऐसी भुलाना ही होगा
क्या यही प्रगति का मानक है
राष्ट्र है क्या ज़रा समझना होगा
कितने मानुष शव में हैं बदले
हासिल क्या खुद समझाना होगा
मरघट में अब है जगह नहीं
बस दिल में तुम्हें बसाना होगा
मार्ग शांति का चुन लो अब तुम
आतंकवाद झुठलाना ही होगा
शांति, ज्ञान , मानव स्वभाव है
अब प्रेम सुधा बरसाना होगा


Wednesday, August 24, 2016

यो कसी नराई लागि

यो कसी नराई लागि यो कसो उदास
तन यहाँ मन पहाड़ कस् छू यो निश्वास
मैं पहाड़ जूंलो दाज्यू मैं पहाड़ जूंलो
मैं मुलुक जूंलो भागी मैं पहाड़ जूंलो

गों घरका सब लोगन मैं भेटन जूंलो
आम बड़बाज्यू गों घरकी कुशल मैं लि ऊंलो
बाल अवस्था युवा दगड़िया सबन मिली ऊंलो
नानछाना का खेल माल फेरि खेली ऊंलो
चार दिना शुद्ध हवा मा मैं बिताई ऊंलो
मैं पहाड़ जूंलो दाज्यू मैं पहाड़ जूंलो
मैं मुलुक जूंलो भागी मैं पहाड़ जूंलो

नील आकाश सेत हिमाला मैं निहारी ऊंलो
हरियूँ पाणी गाड़ नदी छपछपाई ऊंलो
शीतल पाणी में डुबुकी मैं लगाई ऊंलो
बनफल बाड़ों का फल चटपटाई ऊंलो
म्यर मन कि बात जसि देखि भाली ऊंलो
मैं पहाड़ जूंलो दाज्यू मैं पहाड़ जूंलो
मैं मुलुक जूंलो भागी मैं पहाड़ जूंलो

डांडा काना रूख बेला आँख बसाई ऊंलो
रोज़गार बिकास कस छू मैं ले देखि ऊंलो
और मैं ले के करि सकूं देखि भालि ऊंलो
नानातिना बुड़ा बूड़ीन के सुजौती द्यऊंलो
आपण मुलुक आपण लोगन भलि बटाईं ऊंलो
मैं पहाड़ जूंलो दाज्यू मैं पहाड़ जूंलो
मैं मुलुक जूंलो भागी मैं पहाड़ जूंलो

Sunday, August 21, 2016

Privileged and Compradors

Hopes of happiness
to the people many
Independence brought
With end of empires
The new rulers came
And they had created
The new privileged one
Internal colonialism
Intra-nation disparities
And the exploitation
In the name of leading
Communities and nations
The have's prospered
Few compradors too
The nexus in many kinds
Made laws as puppets
To subserve privileged
Have-not's their means
Of business, politics
Liberty and equality
Equity and prosperity
Law and good governance
Freedom brought seldom
While still await them
We see them in parts
In most nations around
Suppressing the interests
Of have-not, vulnerables
In so many ways and means
For the privileged ones
And their compradors!



Sunday, August 14, 2016

India's 70th Independence Day!

When the Nation celebrates the 70th Independence Day today, we recall the sacrifices, service and contribution of all those who made this happen for us.Many of them never saw it happen in their lifetimes; yet paved way for benefit of others like us and future generations.

Today we celebrate the Independence Day; but the spirit of Independence we all shall always relish, live and promote for all the paths and ideals to emulate, that our freedom struggle dreamt about!

India in our hearts and independence for all in our deeds, shall be our motto! Freedom from colonial rule makes us the owners of independence; and we now have to onus to strengthen, protect and proliferate it for all!

We see that the true freedom from social exclusion, gender discrimination, vast disparities of income and oppotunities need to be addressed and ensured. We all are stakeholders in achieving the benefits of independence for all!


Wednesday, August 3, 2016

जांबाजी

हँसते-हँसते जान दिया करते थे वो
आज़ादी की राहों में चलते मतवाले
मुल्क़ की ख़ातिर फ़ना होते अब भी
जांबाजी से सरहदों को बचाने वाले
खुदगर्ज़ी की हदों में हैं बाक़ी लोग
ऐशो-आराम का हक़ समझने वाले
अब हर कोई है आज़ाद हर तरफ़
मुल्क़ के नाम पर खुद बिकने वाले
तारीख़ से मिसाल देते हैं भाषण में
मुँह बनाकर पन्ने ही पलट देने वाले
शायद किसी को नहीं होता एहसास
कैसे थे मुल्क़ पर क़ुर्बान होने वाले

Monday, August 1, 2016

बस यही तो है!

यूँ तो होती रही हर रोज़
ज़िन्दगी से मुलाक़ात
लेकिन, शायद कभी
न ज़िन्दगी हमें समझ सकी
न हम ज़िन्दगी को समझे
कोशिश भी नहीं की हमने
वो भी जान-बूझकर
सुना था हमेशा हमने
ज़िन्दगी अपनी सुनती है
अपनी रफ़्तार से चलती हैं
न ये समझती है किसी को
न कोई समझा है इसे
बस जैसे मिले जीते जाओ
कोशिश अपनी करते जाओ
जो मिले खुश हो जाओ
गम हों तो संग-संग भुलाओ
तभी समझ पाओगे इसे
बस यही तो है ज़िन्दगी!