Saturday, March 17, 2018

दावेदार

जाने कितने दावा करते हैं
ख़ुद पर दारोमदार का
जहाॅ तरक्क़ी नज़र आई
मानो वही तरक्क़ीनशीं हैं
बग़ैर कुछ किए ही कर गए
सब उन्हीं की है रहनुमाई
अब बस भी करो यारो
ज़रा उनको मिलने दो तवज्ज़ो
जिनकी वज़ह से तरक्क़ी हुई

Tuesday, March 6, 2018

स्तर

उसने आज फिर
मिठास भर ली थी
बातचीत के अन्दाज़ में
शायद मुझसे अपेक्षा थी
हाल में उसने की थी बात
बड़ी उपेक्षा व उलाहने से
तब कोई काम न था मुझसे
दोनों अवसरों पर मैंने
कोई प्रतिकार नही किया था
शायद जान बूझकर मैंने
जो भी कर सकता था
किया था अवश्य मैंने
वरना अपनी ही नज़र में
गिर गया होता मैं शायद
उसी के स्तर पर मैं भी

Saturday, March 3, 2018

Limits Limiting

People around me
When I see disheartened
For reasons both
With or without me
It makes me saddened
Not for my wilful reasons
But at times, to me
My helplessness
Overriding my intents
And all my efforts
Unknown to them
Or not recognized
My endeavors disappear
In results they expect
For no faults of mine
Despite all my efforts
To salvage the issues
I do feel guilty within
Yet helpless outside
For my limits limiting!