जीने का तो मक़्सद होता है
उम्र तो यूं भी गुजर जाती है
लेकिन हम कहां समझते हैं
ज़िन्दगी सिर्फ़ अपनी नहीं
इसमें कई किरदार होते हैं
लेकिन हम कहां समझते हैं!
ये रास्ते कभी मिलते नहीं हैं
आस-पास होते गुजर जाते हैं
लेकिन हम कब समझते हैं!
अच्छाइयां याद रखनी चाहिए
बुराइयां तो सब याद रखते हैं
लेकिन हम ये कहां समझते हैं!
जीवन में सुविधा बढ़ाने के लिए
सब लोग जटिलतायें ले आते हैं
हक़ीक़तन हम कहां समझते हैं!
औरों की सुन उनका नज़रिया लें
अपने हित की बात सब करते हैं
लेकिन हम औरों की कम सुनते हैं!
जीवन-व्यवहार में सरलता लाइये
इसी से मन व संबंध सरल बनते हैं
लेकिन हम शायद कम समझते हैं!
ख़ुद को सुधार नसीहत दीजिए
औरों को सब सुधारना चाहते हैं
लेकिन सब लोग कहां समझते हैं!