Tuesday, January 29, 2019

मन से

चमकते प्रकाश के अंधेरे
रोशन कर सकेंगे
अंतर्मन को चमकाने से
प्रचुरता से लब्ध कमी
क्या बदल सकेगी
पांव पसार चादर में
विनाश बढ़ाते विकास
शायद परिणत हों
चल कर सरल मार्ग से
अज्ञान बढ़ाते ज्ञान
किंचित साधन हों
मिलकर ज्ञान चक्षु से
मन से उपजी व्यथा
सजग कर सकती है
मन की व्यथा से


Gilt

I take no credit for others' work
I don't envy others' achievement
I take no offence to people evil
And seldom market my wisdom
Let anyone play games behind me
I still don't react or even respond
I know how people act as people
But I walk my path the I way I am
They may try be evil I allow them
I just smile at it for I'm like that
They may carry their envy or guilt
I am happy with my persona gilt
I must manifest goodness to all
In own eyes it makes me look tall


Monday, January 28, 2019

पैबन्द

हसरतें यूं तो मोहताज़ न थीं
बस असमंजस के पैबन्द लगे
चंद रूबरू मुलाक़ातों के होते
चाहतों के सिलसिले बनने लगे
न तो हम न वो ही मुस्तैद रहे
ज़िन्दगी के कारवां बढ़ने लगे
फ़ैसले का लेकिन वक्त आया
दिलो-दिमाग में ही उलझे लगे
सूख गए थे जो मचले अरमान
फिर से अब सब्ज़ से होने लगे
दिल-दिमाग़ की जंग तो लेकिन
अब भी वहीं कहीं उलझी लगे

Saturday, January 26, 2019

आशा के दीप

सुख के सागर यहां हैं बिखरे
विवश-विचार के राग न गायें
रहना क्यों धर हाथ पर हाथ
कर्मठ-क्रम परचम लहरायें
यह जग वैसा ही जग होगा
जैसा भी हम-तुम इसे बनायें
छोड़ो व्यर्थ प्रलय के प्रलाप
जीवन की कलियां महकायें
तार -तार जो करे व्यथा को
आओ कुछ ऐसे फ़र्ज़ निभायें
अंधियारे सारे मिट सकते हैं
आओ आशा के दीप जलायें