मेरे प्यार की खातिर तू
इक बार जो लग जा गले
दिल में पत्थर बसा लूं
तेरी यादें भुला दूं
हसरतें मैं छुपा लूं
हर वो लम्हा भुला दूं
तेरे साथ क़दम जो चले
इक बार जो लग जा गले
दिल की धड़कन छुपा लूं
ये जहाँ भी भुला दूं
दर्दे दिल आजमा लूं
दर्द के गीत गा लूं
प्यार का नाम ना लूं
कुछ भी एहसास कर ले
इक बार तो लग जा गले
Sunday, October 31, 2010
सहारा
सहारा
मैंने स्वीकार तो कर ली है हार
किन्तु मैं कभी हारा नहीं हूँ
मेरी अपने ही दृष्टि में सही
मैं पूर्वाग्रहों में घिरा नहीं हूँ
मेरी हार में भी विजय हुई है
मैं इस मर्म को बिसरा नहीं हूँ
तुमसे तर्क वितर्क नहीं करता
किन्तु मैं कोई बेचारा नहीं हूँ
मैं हँसता भी संजीदा ही हूँ
किसी गम का मारा नहीं हूँ
मेरे जीवन में बहुत सुख है
दर्द का तलाशता सहारा नहीं हूँ
मैंने स्वीकार तो कर ली है हार
किन्तु मैं कभी हारा नहीं हूँ
मेरी अपने ही दृष्टि में सही
मैं पूर्वाग्रहों में घिरा नहीं हूँ
मेरी हार में भी विजय हुई है
मैं इस मर्म को बिसरा नहीं हूँ
तुमसे तर्क वितर्क नहीं करता
किन्तु मैं कोई बेचारा नहीं हूँ
मैं हँसता भी संजीदा ही हूँ
किसी गम का मारा नहीं हूँ
मेरे जीवन में बहुत सुख है
दर्द का तलाशता सहारा नहीं हूँ
सूरज
तुम चाँद की तरह कभी यहाँ
मेरे जीवन में घूमते मत आना
किसी का परावर्तित प्रकाश
तुम मुझे दिखा मत इठलाना
वो मुझसे बहुत दूर ही सही
फिर भी मुझे गंवारा हैं बहुत तारे
उनका अपने प्रकाश में टिमटिमाना
बन सको तो तुम कोशिश करना
मेरे इर्द गिर्द सूरज बनकर
अपने प्रकाश में चमचमाना
अंधेरों को प्रकट होने से पहले ही
प्रकाशमय कर देने की चेतावनी देना
हर शाम के धुंधलके में भी मुझे
एक नई सुबह की याद दिलाना
मेरे जीवन में घूमते मत आना
किसी का परावर्तित प्रकाश
तुम मुझे दिखा मत इठलाना
वो मुझसे बहुत दूर ही सही
फिर भी मुझे गंवारा हैं बहुत तारे
उनका अपने प्रकाश में टिमटिमाना
बन सको तो तुम कोशिश करना
मेरे इर्द गिर्द सूरज बनकर
अपने प्रकाश में चमचमाना
अंधेरों को प्रकट होने से पहले ही
प्रकाशमय कर देने की चेतावनी देना
हर शाम के धुंधलके में भी मुझे
एक नई सुबह की याद दिलाना
Tuesday, October 26, 2010
I guess!
In my solitude around
I think of all my days
Past, present and future
I do have fond memories
Of deeds and convictions
Friends and companions
Most people around me
These get me going in present
Will continue in future too
To improve, reform and excel
In all spheres and relations
Through my good deeds, efforts
Help build, improve systems
Society and people’s thinking
Until the very last moment
In utmost positive manner
I guess!
I think of all my days
Past, present and future
I do have fond memories
Of deeds and convictions
Friends and companions
Most people around me
These get me going in present
Will continue in future too
To improve, reform and excel
In all spheres and relations
Through my good deeds, efforts
Help build, improve systems
Society and people’s thinking
Until the very last moment
In utmost positive manner
I guess!
करवा चौथ
आओ प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी
मैं अपना करवा चौथ का व्रत करुँगी
तुम्हारे वर्ष भर के अत्याचारों को भी
एक बार फिर से आज बिसरा ही दूंगी
तुम्हारे कर्म-कुकर्म जान कर के भी
मैं तुम्हें सुधरने का नया अवसर दूंगी
तुम्हारी समस्त त्रुटियों को जान बूझकर
मैं इस अवसर पर फिर माफ़ कर दूंगी
मेरा क्या! मैं तो अपना धर्म निभाऊंगी
हाँ मैं तो करवा चौथ अवश्य मनाऊँगी
मैं अपना करवा चौथ का व्रत करुँगी
तुम्हारे वर्ष भर के अत्याचारों को भी
एक बार फिर से आज बिसरा ही दूंगी
तुम्हारे कर्म-कुकर्म जान कर के भी
मैं तुम्हें सुधरने का नया अवसर दूंगी
तुम्हारी समस्त त्रुटियों को जान बूझकर
मैं इस अवसर पर फिर माफ़ कर दूंगी
मेरा क्या! मैं तो अपना धर्म निभाऊंगी
हाँ मैं तो करवा चौथ अवश्य मनाऊँगी
Thursday, October 21, 2010
सहारा
हर कोई ढूंढता है यहाँ किसी का सहारा
बनते कम ही हैं लोग औरों का सहारा
कुछ लोग प्रयास तक भी नहीं करते
अपने से इतर एक सोच रखने की भी
उनकी मानसिकता में बसते हैं शब्द
'मैं भला किसी का कैसे बनूँ सहारा
मुझे खुद सहारे की है यहाँ तलाश'
उनकी स्वार्थी व हेय सोच देख भी
लोग 'नेकी कर दरिया में डाल' देते हैं
उनकी दृष्टी में निस्वार्थ होना ग्राह्य है
स्वार्थी चाहे उन्हें बेवकूफ ही समझें
वो अपना दृष्टिकोण बनाये रखते हैं
दुनियां उन्हीं के दम पर चलती है
वे ही बनते हैं ज़रूरतमंद का सहारा
बनते कम ही हैं लोग औरों का सहारा
कुछ लोग प्रयास तक भी नहीं करते
अपने से इतर एक सोच रखने की भी
उनकी मानसिकता में बसते हैं शब्द
'मैं भला किसी का कैसे बनूँ सहारा
मुझे खुद सहारे की है यहाँ तलाश'
उनकी स्वार्थी व हेय सोच देख भी
लोग 'नेकी कर दरिया में डाल' देते हैं
उनकी दृष्टी में निस्वार्थ होना ग्राह्य है
स्वार्थी चाहे उन्हें बेवकूफ ही समझें
वो अपना दृष्टिकोण बनाये रखते हैं
दुनियां उन्हीं के दम पर चलती है
वे ही बनते हैं ज़रूरतमंद का सहारा
Thursday, October 7, 2010
किनारा
हम नहीं आएंगे तुम्हारी राहों में
कभी कहीं कोई रोड़ा बन कर
इतना तो हक है हमारा भी
भटकेंगे कोई दीवाना बनकर
तुम तुम्हारी ही राह में चलना
हमसे अलग अनजाने बन कर
हम ज़माने में दर दर भटकेंगे
मोहब्बत की शमाँ थामे रखकर
वक़्त ने चाहा भी तो मत मिलना
हम भी चल देंगे किनारा कर
हम तो गुज़ारा कर ही लेंगे
वक़्त के ही हर थपेड़े खाकर
कभी कहीं कोई रोड़ा बन कर
इतना तो हक है हमारा भी
भटकेंगे कोई दीवाना बनकर
तुम तुम्हारी ही राह में चलना
हमसे अलग अनजाने बन कर
हम ज़माने में दर दर भटकेंगे
मोहब्बत की शमाँ थामे रखकर
वक़्त ने चाहा भी तो मत मिलना
हम भी चल देंगे किनारा कर
हम तो गुज़ारा कर ही लेंगे
वक़्त के ही हर थपेड़े खाकर
Wednesday, October 6, 2010
कुमाऊँ की महिलाएं
कल की यादें जैसे आज भी ताज़ा सी थीं
गाँव की कर्मठ बच्चियां और स्त्रियों की
हर भेदभाव और शोषण के चलते भी
एक जीवंत अंदाज़ में कर्तव्यपरायणता
अभाव के बीच सपने और किलकारियां
कुछ करने की ललक और उनके सपने
शहर में रहकर भी वे हर द्वन्द से जूझतीं
शिक्षा, कामकाज भी के हर क्षेत्र में बढ़तीं
कामकाजी स्त्रियों का समन्वय का प्रण
परिवार, व्यवसाय के बीच व्यस्त क्षण
कभी हार न मान भी चुपचाप रहकर
नियति मान हर हाल में खुश दिखकर
अगली पीढ़ी को भी सदा प्रेरित करतीं
उनकी गगनचुम्बी उड़ान के मंतव्य को
प्रतिक्षण निश्वार्थ वे सबका साथ निभायें
धन्य धन्य हैं वे सब कुमाऊँ की महिलाएं
....actually relevant for most Indian and South Asian Women:)
गाँव की कर्मठ बच्चियां और स्त्रियों की
हर भेदभाव और शोषण के चलते भी
एक जीवंत अंदाज़ में कर्तव्यपरायणता
अभाव के बीच सपने और किलकारियां
कुछ करने की ललक और उनके सपने
शहर में रहकर भी वे हर द्वन्द से जूझतीं
शिक्षा, कामकाज भी के हर क्षेत्र में बढ़तीं
कामकाजी स्त्रियों का समन्वय का प्रण
परिवार, व्यवसाय के बीच व्यस्त क्षण
कभी हार न मान भी चुपचाप रहकर
नियति मान हर हाल में खुश दिखकर
अगली पीढ़ी को भी सदा प्रेरित करतीं
उनकी गगनचुम्बी उड़ान के मंतव्य को
प्रतिक्षण निश्वार्थ वे सबका साथ निभायें
धन्य धन्य हैं वे सब कुमाऊँ की महिलाएं
....actually relevant for most Indian and South Asian Women:)
Tuesday, October 5, 2010
रौशनी
अपना आशियाना जलाकर हम
निकले थे रौशनी की तलाश में
रौशनी के हर कतरे की तरफ
हमारे हर क़दम बढ़ते गए थे
हर चीज जो अज़ीज़ थी हमको
दूर ही होती गई थी यहाँ हमसे
ना रौशनी ही रोशन कर सकी
हमारे सपनों से इस संसार में
ना मंजिल ही मिल पाई हमको
इस गहराते हुए से अंधकार में
फिर भी हम बढ़ते ही रहे हैं
दूर उसी रौशनी की तलाश में
निकले थे रौशनी की तलाश में
रौशनी के हर कतरे की तरफ
हमारे हर क़दम बढ़ते गए थे
हर चीज जो अज़ीज़ थी हमको
दूर ही होती गई थी यहाँ हमसे
ना रौशनी ही रोशन कर सकी
हमारे सपनों से इस संसार में
ना मंजिल ही मिल पाई हमको
इस गहराते हुए से अंधकार में
फिर भी हम बढ़ते ही रहे हैं
दूर उसी रौशनी की तलाश में
हमसफ़र
तुम मुझे मेरी तस्वीर से मत आंकना
मैंने भी संजोया है एक सुन्दर सपना
अगर हो सके तुमसे तो फिर ज़रा
कोशिश करके मेरे अन्दर झांकना
मन के मिलन की कुछ बात अलग है
ये तुम अपने मन को भी समझाना
दूरियां तो रहेंगी ये है एहसास मुझको
करीब आने की कोशिश ज़रा करना
राही हैं सफ़र के हम दोनों भी यहाँ
हमसफ़र ही हमें भी समझ लेना
मैंने भी संजोया है एक सुन्दर सपना
अगर हो सके तुमसे तो फिर ज़रा
कोशिश करके मेरे अन्दर झांकना
मन के मिलन की कुछ बात अलग है
ये तुम अपने मन को भी समझाना
दूरियां तो रहेंगी ये है एहसास मुझको
करीब आने की कोशिश ज़रा करना
राही हैं सफ़र के हम दोनों भी यहाँ
हमसफ़र ही हमें भी समझ लेना
good things
When you do one good thing in life, atleast two come back to you at a later date. But, one can come to you instantly, that's your own appreciation that enhances your self-esteem...Udaya Pant
Monday, October 4, 2010
Happy Knocks
Happiness was miles away from me
At least that's how I perceived
Life sounded like a misery to me
In spite of all efforts and deed
I looked for reasoning and logic
Took time and moved in slow speed
Look around with interest and see
You sure find happiness mind said
I started liking small li'l things
Unnoticing, happiness too appeared
Then I took more interest in people
All were like me and also confused
I set aside targets to be smiling
Every small moment of joy I laughed
Started looking in to the positives
Negativity had nearly disappeared
I don't care for happiness anymore
And it keeps knocking at my door
At least that's how I perceived
Life sounded like a misery to me
In spite of all efforts and deed
I looked for reasoning and logic
Took time and moved in slow speed
Look around with interest and see
You sure find happiness mind said
I started liking small li'l things
Unnoticing, happiness too appeared
Then I took more interest in people
All were like me and also confused
I set aside targets to be smiling
Every small moment of joy I laughed
Started looking in to the positives
Negativity had nearly disappeared
I don't care for happiness anymore
And it keeps knocking at my door
Sunday, October 3, 2010
इंसानियत
मुझे आज एक बार फिर बदस्तूर
इंसानियत पर तरस आ रहा है
भीड़ में ही चलता रहा है मगर
हर शख्स अलग को दौड़ रहा है
किसी के साथ नहीं जाना चाहता
उसके साथ भी वहां कोई नहीं है
हर कोई मौके की तलाश में सा
अव्वल नंबर की दौड़ में भागता है
अकेले दौड़ कर अव्वल ही आएगा
ये जानकर भी मानता नहीं है
उसके साथी कागजों और खातों में
सिर्फ नाम के और अंक ही हैं
उसका समाजशास्त्र और इतिहास
अंकगणित के नंबरों सा ही है
उसका भविष्य भी इसी तरह
रेखागणित के प्रयोग की तरह है
इतने सारे नंबर पा लेने के बाद भी
इंसानियत में बस सिफ़र पाया है!
इंसानियत पर तरस आ रहा है
भीड़ में ही चलता रहा है मगर
हर शख्स अलग को दौड़ रहा है
किसी के साथ नहीं जाना चाहता
उसके साथ भी वहां कोई नहीं है
हर कोई मौके की तलाश में सा
अव्वल नंबर की दौड़ में भागता है
अकेले दौड़ कर अव्वल ही आएगा
ये जानकर भी मानता नहीं है
उसके साथी कागजों और खातों में
सिर्फ नाम के और अंक ही हैं
उसका समाजशास्त्र और इतिहास
अंकगणित के नंबरों सा ही है
उसका भविष्य भी इसी तरह
रेखागणित के प्रयोग की तरह है
इतने सारे नंबर पा लेने के बाद भी
इंसानियत में बस सिफ़र पाया है!
Saturday, October 2, 2010
एहसान
रहनुमाई में खुदा की तो यहाँ
हम सभी इस ज़हां में जी लेते हैं
तुम्हारी रुसवाई में तो फ़क़त
एक हम ही गुज़ारा कर पाते हैं
बिसराई हुई मोहब्बत वो तुम्हारी
जीने का सहारा हमें दे देती है
किसी बीते हुए लम्हों की तरह
अक्सर ज़ेहन में चली आती है
ये भी एक एहसान था तुम्हारा
याद तो हमारी हमदम बनती है
आज भी हमारी मोहब्बत इधर
रोज़ तुम्हारे इर्द गिर्द घूमती है
हम सभी इस ज़हां में जी लेते हैं
तुम्हारी रुसवाई में तो फ़क़त
एक हम ही गुज़ारा कर पाते हैं
बिसराई हुई मोहब्बत वो तुम्हारी
जीने का सहारा हमें दे देती है
किसी बीते हुए लम्हों की तरह
अक्सर ज़ेहन में चली आती है
ये भी एक एहसान था तुम्हारा
याद तो हमारी हमदम बनती है
आज भी हमारी मोहब्बत इधर
रोज़ तुम्हारे इर्द गिर्द घूमती है
Friday, October 1, 2010
Relevance of Gandhi and Non viloence
Gandhi advocated his ideas on society and systems in very simplistic and practical ways. The whole thoughts move around truthfulness, non-violence, equality; and liberty with social responsibility.The World today needs to emulate all these ideas and practice them to make the earth worth living.
It was apalling and unfortunate that Gandhi was not given Nobel Peace Prize!If he was not awarded, no one else derserved it!Gandhi in any case was beyond such recognitions, individually; but as a civilized society we are ashamed to note this that such well known awards are also motivated by the polticsal and hegemonic reasons!
Gandhi of course is the people's choce all around the World for the 'super peace prize of the people'! Nothing is more relevant than the 'non viloence' today!
It was apalling and unfortunate that Gandhi was not given Nobel Peace Prize!If he was not awarded, no one else derserved it!Gandhi in any case was beyond such recognitions, individually; but as a civilized society we are ashamed to note this that such well known awards are also motivated by the polticsal and hegemonic reasons!
Gandhi of course is the people's choce all around the World for the 'super peace prize of the people'! Nothing is more relevant than the 'non viloence' today!
ज़ज्बाती
आओ आज हम भी कुछ ज़ज्बाती हो जाएँ
दुनियां की छोड़ अपनी ख़ुशी के गीत गायें
वक़्त की हिफाज़त में अपनी ही कुव्वत से
दो पल को ही सही तन मन को महकाएं
कर लें वो सारी गुफ्तगू जो भी दिल में हैं
हमें छोड़ कुछ पल को सब कुछ भूल जाएँ
साँसों के जज्बे से आती आवाजों को पहचान
हम भी अपने छुपे से मुक़द्दर को आजमायें
सब कुछ भुलाकर हम भी औरों की तरह
अपने ही अलग ढंग से करामाती हो जाएँ
दुनियां की छोड़ अपनी ख़ुशी के गीत गायें
वक़्त की हिफाज़त में अपनी ही कुव्वत से
दो पल को ही सही तन मन को महकाएं
कर लें वो सारी गुफ्तगू जो भी दिल में हैं
हमें छोड़ कुछ पल को सब कुछ भूल जाएँ
साँसों के जज्बे से आती आवाजों को पहचान
हम भी अपने छुपे से मुक़द्दर को आजमायें
सब कुछ भुलाकर हम भी औरों की तरह
अपने ही अलग ढंग से करामाती हो जाएँ
Religion is Private
It is a sense of great relief and proud moment to witness Indian politicians, media, the religious leaders talking and speaking in favor of communal harmony and abiding by the court orders.This actually shows the maturity of te stakeholders, general public and others; of course the manifestation of this maturity if emboldened and bolstered by the Hon'ble court's judgement proniunced.
If no one tells an infant and child to folllow certain religious practices, religion will be just another thing for him in the society. One can still choose to be follower of any religion on option; without being too fanatic and resorting to the religious frenzy.
In any case no religions excludes any of the creations of the universe and its salvation approach.As a matter of fact, "God is goodness personified." It is important to have faith on spirituality, without actually following particular religion/s.
Also true is the fact that the religion is not just a social institution; it did develop to control the political power in the society; at least the politicsal power centres.It was then used to prescribe certain common socail and behavioral norms; and canventions to be followed by the population. If one treats religion as purely private matter of the individuals (not groups)there is no case for social stress due to religion and religious practices.
I also rate religions as important and private social institution. If we can be tolerant to almost everything others do in their private capacity (subject to not abridging the similar behavior and rights of others; why cann't we leave everyone else alone to practice his religion; and follow our own - in all our own specific way!
If no one tells an infant and child to folllow certain religious practices, religion will be just another thing for him in the society. One can still choose to be follower of any religion on option; without being too fanatic and resorting to the religious frenzy.
In any case no religions excludes any of the creations of the universe and its salvation approach.As a matter of fact, "God is goodness personified." It is important to have faith on spirituality, without actually following particular religion/s.
Also true is the fact that the religion is not just a social institution; it did develop to control the political power in the society; at least the politicsal power centres.It was then used to prescribe certain common socail and behavioral norms; and canventions to be followed by the population. If one treats religion as purely private matter of the individuals (not groups)there is no case for social stress due to religion and religious practices.
I also rate religions as important and private social institution. If we can be tolerant to almost everything others do in their private capacity (subject to not abridging the similar behavior and rights of others; why cann't we leave everyone else alone to practice his religion; and follow our own - in all our own specific way!
In your small way
There may be divergence of views and thousands of opinions about the global warming and climate change; but we have witnessed the climate change in the past few years.One opinion that is for sure to take home for everybody is to conseverve the ecosystem, natual and forest resources,reduce emissions and do our bit to protect the environment.
Each one of us in outr small ways can contribute to this from one's side. Using bio-degradable products and waste management at home can be the easiest way for the people at thier home level. Environmental awareness in the family is crucial and we all can do our bit on this. Green surroundings and planting of trees, plants in and around our homes is another small way. Conserving energy, use of recycled products like paper add a lot to the effort with your small way.There are many other samall things that we can start doing and motivate others to do to make our planet safe and green! Try all that you can..in your small way..:)
Each one of us in outr small ways can contribute to this from one's side. Using bio-degradable products and waste management at home can be the easiest way for the people at thier home level. Environmental awareness in the family is crucial and we all can do our bit on this. Green surroundings and planting of trees, plants in and around our homes is another small way. Conserving energy, use of recycled products like paper add a lot to the effort with your small way.There are many other samall things that we can start doing and motivate others to do to make our planet safe and green! Try all that you can..in your small way..:)
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