Sunday, October 31, 2010

सूरज

तुम चाँद की तरह कभी यहाँ
मेरे जीवन में घूमते मत आना
किसी का परावर्तित प्रकाश
तुम मुझे दिखा मत इठलाना
वो मुझसे बहुत दूर ही सही
फिर भी मुझे गंवारा हैं बहुत तारे
उनका अपने प्रकाश में टिमटिमाना
बन सको तो तुम कोशिश करना
मेरे इर्द गिर्द सूरज बनकर
अपने प्रकाश में चमचमाना
अंधेरों को प्रकट होने से पहले ही
प्रकाशमय कर देने की चेतावनी देना
हर शाम के धुंधलके में भी मुझे
एक नई सुबह की याद दिलाना

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