सहारा
मैंने स्वीकार तो कर ली है हार
किन्तु मैं कभी हारा नहीं हूँ
मेरी अपने ही दृष्टि में सही
मैं पूर्वाग्रहों में घिरा नहीं हूँ
मेरी हार में भी विजय हुई है
मैं इस मर्म को बिसरा नहीं हूँ
तुमसे तर्क वितर्क नहीं करता
किन्तु मैं कोई बेचारा नहीं हूँ
मैं हँसता भी संजीदा ही हूँ
किसी गम का मारा नहीं हूँ
मेरे जीवन में बहुत सुख है
दर्द का तलाशता सहारा नहीं हूँ
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