Friday, July 17, 2015

कुछ पास कुछ उधार

स्याह रातों के बीच भी
उजालों की रंगीनियाँ हैं
सौ झँझट की ही सही
खुशियाँ हज़ार है यहाँ
कई दुश्मन हैं ज़रूर
पर दोस्त बेशुमार हैं
तंगदिल कुछ एक सही
भरमार दरियादिलों की
चंद रोज़ की बीमारियाँ
सेहत भी इफ़रात में है
वक़्त इधर थोड़ा सही
मगर बहुत है मेरे पास
दोस्ती ज़िन्दगी भर की
अदावत कुछ पलों की
समझो तो सब हैं यार
छाया भी नहीं रक़ीब की
कुछ पास कुछ उधार
ज़िन्दगी चार दिन की


No comments: