Wednesday, February 27, 2013

अंजुमन/Agora

शायद समझ नहीं पा रहा हूँ महफ़िल को
अंजुमन भी अब लगने लगा है अनजान
मुझे लगा कि लोग नहीं समझ पाए मुझे
कुछ मैं अनजाना कुछ महफ़िल अनजान
Perhaps I do not understand musicale
Agora now I feel like a place unknown
I thought people didn't understand me
Me some and some musicale is unknown

Monday, February 25, 2013

कह लेने दो

आज कह लेने दो गीतों को मेरे ऐसा कुछ
अब भी ज़िन्दा हूँ मुझे बस ये यकीं हो जाए

चुप रहा बरसों मैं यहाँ किसी न किसी डर से
सोचा न कभी कब डर ये मुझे भी खा जाये
अब मैं बोलूँगा बिना किसी से भी डर कर
दामन में लगा हरेक दाग़ मेरा यूँ धुल जाये

मैंने देखे हैं कई वो ज़ुल्मो सितम औरों पर
जाने क्यों न करी इनकी खिलाफत मैंने
खाता हूँ क़सम अब ये ख़ता न होगी मुझसे
मेरा हर नगमा नया इंसाफ़ के नाम हो जाये

ज़ुल्म सहना भी गुनाह है ज़ालिम की तरह
है ये भी ज़ुल्म जब नज़रंदाज़ कोई कर जाये
ये ज़हां है नहीं मिल्कियत बस चंद लोगों की
सबको हक है कि उन्हें भी इन्सां समझा जाये

Saturday, February 23, 2013

सम्बन्ध

बादलों के बदलते रंगों में
देखता हूँ मैं कभी कभी यहाँ
बनती बिगड़ती तस्वीरों को
कुछ कुछ समझने भी लगा हूँ
समय और इनका सम्बन्ध
सूरज़ के साथ रंग बदलते
अंधेरे में तारों के साथ खुश
हवाओं के साथ रुख बदलते
जल चक्र के सतत प्रहरी
कभी असमंजस में से पड़ते
कभी अप्रत्याशित भी करते
बिलकुल जैसे हमारी ही तरह

Friday, February 22, 2013

हुजूम

आज कोई दस्तक
चाहे कितनी ज़ोर की
नहीं पहुँच पाती है
दिल के दरवाज़े तक
बहुत शोर है इधर
कुछ सुनाई देता नहीं
कोई नहीं दिखाई देता
बड़ी दूर दूर तक
क्या बिडम्बना है
इतने लोग हुजूम में हैं
चेहरा पहचाना नहीं जाता
कितने पास तक

Monday, February 18, 2013

फेहरिस्त

हाँ याद करता था कही मैं भी इधर
मेरा भी कोई मुक़ाम था मंज़िल थी
अनज़ान रास्ते मेरे भी अज़ीज़ थे
मेरे भी कोई खैरख्वाह और मुरीद थे
हर साँस मेरी महकी महकती थी
हर धड़कन में संगीत सा बजता था
वक़्त कब गुज़रा ये मालूम नहीं था
वक़्त के हर पल का हिसाब पता है
मुझे और कोई यहाँ दिलचस्पी नहीं
अब तो मैं बस फेहरिस्त बनाता हूँ
कि कब क्या खोकर क्या पाया था
और कब क्या पाकर क्या खोया है

Sunday, February 17, 2013

ज़रा झाँकना

बात अपनी कहो या फ़िर अपनी ही सुनो
मेरी बातों का मतलब भी ज़रा भाँपना
अपनी कुर्सी पे बैठे भी क्या आँकना
ख़ुद को दफ्तर के बाहर ज़रा झाँकना

दम दिखाते हो कमज़ोर लोगों पे जो
उनकी हिम्मत से ख़ुद को ज़रा तोलना
हो दिखाना जो तुम को ये दम आपका
राह चलते की कोशिश के हमदम बनो

कैसे सोओगे अब चैन की नींद तुम
नींद में डर है कोई पकड़ तुम को ले
इसके बदले कि तुम अपनी झोली भरो
देश की तुम है बेहतर तिजोरी भरो

तुम अलग कुछ नहीं हो किसी और से
तुम न मानो तो गिरहबां ज़रा झाँक लो
रखते हो जो नज़र तुम ये जग पर बुरी
हर बुरे पर बुरी तुम नज़र जो करो

Saturday, February 16, 2013

रस्म-ए-अदायगी

वही नगमे वही महफ़िल रोज़ सजती है
साक़ी के काम सी होने लगी ज़िन्दगी है
फ़र्ज़ निभाती हर तरफ़ सी ये कहानी है
कुछ अपनी है तो कुछ फ़क़त बन्दगी है
ग़म भी ख़ुशियाँ भी बेहिसाब मिलती हैं
आख़िर तो सिफ़र सी लगती ज़िन्दगी है
जीते हैं हरेक से बस इतनी निशानी है
और कुछ नहीं बस रस्म-ए-अदायगी है

Friday, February 15, 2013

क्या जाता है/ Lose Nothing

किसी की ख़ातिर न सही मैं भी अपनी ख़ातिर
हँस लूँ तो कुछ पल दिल को सुकूँ मिल जाता है
हँस लूँ ज़माने पर जो मैं किसी का क्या जाता है
हँस ले जो कोई मुझ पर तो मेरा क्या जाता है
Not for anyone else but just the myself
If I laugh around I find it very comforting
If I laugh at World no one loses anything
If people laugh at me I lose just nothing!

Thursday, February 14, 2013

हिफ़ाज़त

कितनी हिफ़ाज़त से संभाल के रखा है
ये फितरत है हमारी कोई कोशिश नहीं
दिल में बदस्तूर संभाले हुए हैं दुनियाँ
जीने मरने की क़सम तो हम खाते नहीं
हमारी इस खामोश ज़ुबां के चलते तुम
कहीं ये न समझ बैठो की मोहब्बत नहीं
आज भी न जाने कितने अरमान बसे
ये अब भी मेरा दिल है कोई पत्थर नहीं
लाख कर के कोशिश भी देख ले हर कोई
हसरतें मोहब्बतें हैं कभी मिटती ही नहीं

मोहब्बत के फलसफे / philosophies of love!

मुझे ज़रूरी नहीं लगता की हर शख्स की तरह
दोहराता फिरूँ मैं भी मोहब्बत के फलसफे यहाँ
आखिर ये एक एहसास ही तो है बस मोहब्बत
कोई और क्यों और कैसे समझ पाएगा इसे यहाँ
I don't find it necessary that like everybody
I should also repeat the philosophies of love
After all this just an internal private feeling
How and why anyone could understands my love!

Wednesday, February 13, 2013

हद कर दी/ Too Much

वही कह दिए अल्फाज़ जो कि कहने मना थे
आज मेरी ज़ुबान ने फिर से साजिश कर दी
बिन सोचे कह गए क्या करते हम मज़बूर थे
मुझे आगाह तक न किया तुमने हद कर दी
The same words I uttered that were forbidden
Today again my tongue conspired against me
In the reflex I said was helpless too what to do
You too were too much by not having cautioned me

Tuesday, February 12, 2013

सपने

मन न जाने क्या क्या दिखलाना चाहता मुझे
सपने क्या बस ख़याल से ठिठक उठता हूँ मैं
आज भी सपनों की दुनियाँ खूब भाती है मुझे
हक़ीक़त के नाम से ही सिहर सा उठता हूँ मैं
जानता हूँ कि सपने आख़िर सपने ही होते हैं
कुछ पल को सही यहाँ डूब महक उठता हूँ मैं
फिर भी हक़ीक़त से गुरेज़ कब तक करूँगा
मत दिखाओ ये सपने मुझे बहक़ उठता हूँ मैं

Monday, February 11, 2013

Inimitable Dushyant Kumar 's verse

होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये

गूँगे निकल पड़े हैं, ज़ुबाँ की तलाश में
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये

बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन
सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिये

उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें
चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिये

जिसने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ
इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिये

राज़ की बात

मोहब्बत में नाकामयाबी का नहीं देखा
इससे बड़ा ज़श्न मनाना कभी यहाँ मैंने
वेलेंटाइन दिवस में प्यार का इज़हार भी
लगभग क़ामयाब भी होते देखा नहीं मैंने
इज़हार-ए -मोहब्बत का अपना तरीक़ा है
सिर्फ़ ये तरीका तक़दीर का नहीं देखा मैंने
माना कि इज़हार करना नहीं आता मुझे
उल्फत व मोहब्बत में फर्क न किया मैंने
इज़हार ख़ामोशी की ज़ुबां से हो सकता है
ऐसी नज़र का पारखी ढूँढना चाहा है मैंने
मुझे नहीं एतराज़ किसी के कोई तरीके पर
बस यही राज़ की बात बताना चाहा है मैंने

नुमाइश/ exhibition

कोई ऐतबार नहीं है यहाँ किसी के दिल का
ज़िन्दगी भी न जाने कब क्या खेल खेल ले
बैठा हूँ मैं लगा के नुमाइश अपने दिल की
चाहे जो आजमा ले या दिल लगा के देख ले
There is no reliability of anyone's heart here
It's unpredictable what game life might play
See me with the exhibition of my heart here
Whoever want can test, get involved anyone may

Sunday, February 10, 2013

Normal-self

Whenever we see people around
Behaving weird and selfish too
Sounding the way again and again
Arrogant, egoistic and unnatural
Give few chances to mend them
They may not be as bad people
As we think at the first instance
As long as it is evident enough
It interferes with our core values
We treat them normal humans
If they repeat the same behavior
Forgive them altogether and leave
They deserve to be object of pity
To the extent possible for you
Without compromising with core
If we change behaving normal-self
How are we different from them?

Saturday, February 9, 2013

अपना कलाम

वो नगमे वो एहसास क्या खूब थे सब
अनज़ाने में भी कभी गुनगुनाता हूँ मैं
कितना मिलता था सुकूँ उस शायरी से
याद वो गुज़रा ज़माना किये जाता हूँ मैं
अब तो गीतों में बस फिकरे कसे जाते हैं
एक मीठे गीत की ख़ातिर मरा जाता हूँ मैं
आज भी आस है मुझे हसीं महफ़िल की
उसी की ख़ातिर गीतों में दिल लगाता हूँ मैं
शोर है मौसिकी में यहाँ अब बहुत ज्यादा
सिर्फ़ अपना कलाम धीरे से गुनुनाता हूँ मैं

Friday, February 8, 2013

That Day/ उस रोज़


आईने में जो गौर से देखा ख़ुद को उस रोज़
अपना ही अक्स चिढ़ा रहा था हँस हँस कर
नश्तर सी चुभती थीं बातें तुम्हारी उस रोज़
फ़िर भी हँस दिए थे हम अपना समझ कर
When saw attentively myself in the mirror that day
My very own image was laughing out loud at myself
Your utterances were pricking like lancet on that day
Yet I laughed away knowing you very close to myself

Thursday, February 7, 2013

गौर से

फ़िलहाल एकतरफ़ा ही सही
मन से गुफ़्तगू में शामिल हूँ
कहते जाओ कोई बात नहीं
तुम्हारी बात मैं समझ रहा हूँ
तुम मेरी बात सुनो न सुनो
मैं बड़े ही गौर से सुन रहा हूँ
फिर कभी कहूँगा फुर्सत में
मैं अपनी बात सोच रहा हूँ
तुम में अभी हौसला कम है
इन हालात को समझ रहा हूँ
हौसला हो सुनने का जब तुम्हें
मैं वही इन्तजार कर रहा हूँ

Wednesday, February 6, 2013

तुम

मेरी ही सोच मेरी धड़कन बन कर तुम
मेरे जिस्मो ज़ेहन में तुम यूँ छा जाना
तनहाइयों में मेरा साथी बन कर तुम
हो कहीं भी मेरी नस नस में समा जाना
ऊँचे पहाड़ों की वादी में ज्यों गुनगुनाते
कोई मीठा सा गीत सी तुम आ जाना
बेक़रारी के सताये पलों में भी देख मुझे
किसी रूमानी ग़ज़ल सी तुम आ जाना
गर्मियों से झुलसते हुए लम्हों में कभी
भीगे हुए मौसम की तरह तुम आ जाना
नींद में तुम करवटें बदलते देख मुझे
एक हसीं ख्वाब सी तुम बस आ जाना
मुझे सोता भी समझ मेरे ख्यालों में
एक हकीकत की तरह तुम बसा करना

साँसों की सरगम beats of breath

धूप के सुनहरी रंग होंगे तब तक
सूरज नहीं ढल जायेगा जब तक
संगीत की ख़ुशबू महके तब तक
साँसों की सरगम होगी जब तक
बूँदों की टिप टिप होगी तब तक
बादलों का है संग यहाँ जब तक
दुनियाँ की आपाधापी भी तब तक
ज़िन्दगी चलती जाएगी जब तक
मोहब्बत मग़र रहेगी इधर हमेशा
दोहराई जाएगी ज़हां में जब तक
Golden colors of sun will last
Until it is time for the sunset
Fragrance of the music will last
Until we continue beats of breath
Dripping sound of droplets last
Until the company of the clouds
Hustle bustle of life will last
As long as the life walks fast
Story of love shall however last
Until it is repeated on the earth

Tuesday, February 5, 2013

being human

चाहे साथ तू मेरे रहे न रहे हरदम
तेरे पास तो मैं हर वक़्त रहता हूँ
मैं यूँ कोई ख़ुदा तो हो नहीं सकता
बन्दा बनने का तो दख़ल रखता हूँ
Whether you accompany me or not always
I sure am by your side all the times all ways
I can not become heavenly power such ways
I can have a mastery of being human always

Keys!

क्या होता अगर मेरे साथ रहनुमाई न होती
अगर ख़ुशनसीबी किसी ने दिखाई न होती
हर शह मुझे अपने पास नज़र आई न होती
पर इसकी चाबी अपनी होती पराई न होती
What happened if guidance was not by my side
If not one had told me what the good lucks hide
Every moment around was not found my beside
But keys to those would have been in my stride

Monday, February 4, 2013

Smilngness/ Tabassum

फिज़ा में कुछ ख़ुशबू से महकने लगा है
भूला बिसरा सा कुछ याद आने लगा है
फिर तेरे प्यार का एहसास होने लगा है
तभी तबस्सुम का रंग निखरने लगा है
Some fragrance in the midair once again
Some forgotten comes in the visualization
Your love has started cropping up yet again
That's why the smiling has improved again

Sunday, February 3, 2013

comeback

इन्तहा देखना चाहता हूँ इस नए दौर की सोच की
यूँ तो मालूम है मुझे ज़माना फिर लौट के आयेगा
I wanted to see the culmination of new age thinking
Though I know that old times will stage a comeback

Saturday, February 2, 2013

Those days

फिर होंगी कभी उसी दौर की बातें
फ़िलहाल कर लें इस दौर की बातें
ख़ुद ब ख़ुद आ जाएँगी पुरानी बातें
जब विस्तार से होंगी सब नई बातें
Some other times we shall talk of those days
At the moment we shall talk about these days
Of their own will come the talks of olden days
When we talk in detail the issues of these days

भ्रष्टाचारी


पहचान सको तो पहचानो तुम उन लोगों को
तुम्हारे बीच ही और कोई परिचय नहीं होता
उनको केवल अपने हित से सरोकार है बस
भ्रष्टाचारी का अपना कोई मज़हब नहीं होता
किसी का भी इस्तेमाल करना हैं ख़ूब जानते
उनका कोई दल नहीं कोई इतिहास नहीं होता
औरों के कंधे से ही वो अपनी बन्दूक चलाते
उनका अपने का कोई सियासी दांव नहीं होता
सब कुछ सर्वहित के अल्फ़ाज़ हैं वो दोहराते
बस एक ही बात उनका कोई ईमान नहीं होता
जब तक मुमकिन हो खायेंगे दीमक की तरह
तुमको अब कब तक इसका एहसास नहीं होता

Friday, February 1, 2013

मेरे हिस्से/ My Share

बेशक़ तुम आसमान निहारते रहो
तुम्हें होगा शौक़ आसमान छूने का
शायद तुम्हारे पास तो पँख भी हों
आसमान की ऊँचाइयों में उड़ने को
मुझे ये सब्ज़ बाग़ मत दिखलाओ
मुझे तो कोई मति भ्रम ही नहीं है
न मैं आसमान को छूना चाहता हूँ
मेरे पास बहुत कुछ है करने को
मुझे तुम ज़मीन पर बना रहने दो
मेरे भाग का आसमान भी रख लो
मेरे हिस्से की ज़मीन ही मुझे दे दो
और कुछ नहीं मेरे पास कहने को
Sure you keep gazing at the skies
You may have liking to touch skies
May be you have some wings with you
To fly you very high into the skies
Don't try to show me the daydreams
For I have no defects in my wisdom
Neither do I want to touch the skies
I have many things to deal in pieces
You let me remain attached to my land
Also keep with you my share of skies
Leave my land with me for my rejoices
I don't have more to add to your lies

तस्लीम/ to own

बड़ा लम्बा सफ़र तय कर है देखी हर रज़ा
हाज़िर हूँ फिर एक बार मुज़रिम सा सजा
अब न कोई इब्तदा है और न कोई इल्तज़ा
बैठा हूँ तस्लीम को जो भी अब दे दो सज़ा
Seen all dismissals during long journey
I'm around as the accused once again
There isn't new start and no request any
Ready to own the punishment any is given

न्यौता / Invite

किसी खैरख्वाह की शायद दुआ लग गई
ज़िन्दगी फिर एक बार नया ज़ख्म दे गई
बेपरवाह थे हम शायद कोई खता हो गई
न्यौता सा दर्द की दास्ताँ-ए-बज़्म दे गई
Seems some well-wisher's blessing worked
Life has one again the new wound provided
Inadvertently perhaps a mistake I committed
Invite for event of poetry of pain extended