Monday, February 27, 2012

Equilibrium

Today is indeed my day
Yesterday was mine too
Yet I was confused about
The essence of this life
Now I find this my own
With so many around me
Thousands unknown ones
Waiting to know some day
In sheer chance and destiny
Uncertainties, morale boosters
Untold are the inspirations
Unknown are future hopes
Keeping us occupied always
Till the logical end of journey
When people start leaving us
We get momentarily upset
And return to equilibrium
As early as possible always
The moot principle we learnt
Life is for sure amorphous
But living is so wonderful

Sunday, February 26, 2012

my random couplets-4

व्यग्र या अधीर होने से मिलता नहीं कुछ समय से पहले
कर्तव्यपालन व धैर्य समय के भी सब मिटा देते हैं फ़ासले
Uneasiness and impatience don't get you anything before time
Dutifulness and patience can even cover the distances of time

जो कुछ भी हूँ मैं तेरी बेवफाई से हूँ
जहाँ भी हूँ मैं रहम-ए-खुदाई से हूँ
तेरा सजदा करने को मन करता है
अब भी मैं यहाँ बस रहनुमाई से हूँ
Whatever I am is 'cause you deserted me
Wherever I am now is due to God's grace
Feel like sending loads of thanks to you
Where I'm now is due to call of destiny

सुबह होने तक अभी और इम्तहान बाक़ी हैं
सब्र बाक़ी न सही लेकिन रात अभी बाक़ी है
Before it's the dawn more testing times remain
Patience may be over yet the darkness remains

बस शुरुआत में ही ज़िक्र था हमारा
मानो कि मतला हों कोई ग़ज़ल का
I was referred to only at the start up
As if was the first couplet of a ghazal

तुम से दूर रह कर बस इतना ही फ़र्क़ पड़ता है
धडकनों और साँसों का हिसाब रखना पड़ता है
Away from you beloved this is the only difference
I have to keep a count of breaths and heart beats

यक़ीनन तुम्हारे हरेक दर्द का एहसास है हमको
अपने ख़ुद के दर्द का हम एहसास तक भूल गए
For sure I do realize each of your pains
I forgot even the feel of my own pains

हर शख्स मानो इधर हम पर रश्क़ करने लगा
मौसम भी अब मुखालफत ख़ुद से करने लगा
As if everyone around started envying me
Weather also started defiance with itself

देश देश शहर शहर घूम गली गली भटक कर भी देखा
अपने वतन में अपना छोटा सा गाँव सा कहीं न देखा
Wandered around countries cities and the lanes
My small village in own country stands out alone!

न जाने क्यों लोग आंसुओं से परहेज़ करते हैं
हमने तो देखा है इन्हें ख़ुशी में भी छलकते हुए
I don't know why people avoid or dislike tears
I've seen them overflow in moments of happiness!

उनको भी मुझको भी बस इसी एक बात का गम है
हमें दोस्तों से दुश्मनी और दुश्मनों से दोस्ती कम है
My friend and me both have regrets of only this trait of mine
I have less of enmity with friends and friendship with enemies

ज़िन्दगी देना चाहती है हमें हर रोज़ नए नए सबक़
मग़र हम तो ज़िन्दगी को देना चाहते हैं नए सबक़
Life wants to teach us new lessons everyday
I want to teach life new lessons day by day!

मैं चाहता हूँ अब कि और खामियाँ ढूंढा करो तुम मुझ में
क्या मालूम तुम्हें मेरी अच्छाइयाँ भी यूँ आ जाएँ नज़र
I want you to try finding more shortcomings in me
Who knows that way you found good things in me

उन पर ऐतबार कर के हमने खुद से बेवफ़ाई कर दी
वफ़ा ने वफ़ा की लेकिन जाने क्यों जगहंसाई कर दी
Bestowing trust on him I evinced unfaithful to myself on the matter
Mysterious as to why the trust made trust be the matter of laughter

ज़िन्दगी हर उतार चढ़ाव पर हमारा इम्तिहान लेती रही
हमारी रफ्तार फिर भी लगातार सीधी राह ही चलती रही
Life continued testing me through all it's up's and down
My walk in life had yet continued through a straight lane!

अँधेरा था घना इतना कि हाथ को हाथ तक भींच गया
लेकिन कोई जुगनू आकर रोशनी की लकीर खींच गया
It was such pitch dark that the hand squeezed hand
But a firefly came and drew the line of light around

हक़ीक़त से इतना भी क्या डर है तुम्हें
जो तुम ख़्वाब से आ जाते हो हर बार
Why are you scared of reality so much
That you pop up like a dream each time

एक इरादा होना भर काफ़ी नहीं मिज़ाज़ ठीक होना भी ज़रूरी है
सिर्फ़ एक सीरत ही काफ़ी नहीं नीयत का ठीक होना भी ज़रूरी है
Just good intent is not adequate, ways to treat is also important
Mere behaving is not enough, good motive is also equally important

यूँ बीच राह पहुँच भी रास्तों का पता पूछते हैं लोग
हमें नहीं पहचानते या रास्ते का पता भूलते हैं लोग
After arriving mid-way people start asking the destination
They either don't know us or forget the way to destination

बड़े बदले बदले से अंदाज़ हैं आज हुज़ूर के
फरमाएं आज हम आपके हैं किस काम के
Very changed ways of yours are there today
Please tell me what all can I do for you today

न है कोई शुबहा न हमें कोई दरयाफ्त करनी है
अपनी फ़ितरत सुधारें यही दरख्वास्त करनी है
Neither do I have a doubt nor any intent to investigate
Please mend your nature is the appeal I have to make

रास आई है बड़ी ज़िन्दगी में बस एक ही चीज अपनी
और वो कहते हैं कि अच्छी नहीं हमारी बेवाक़ी इतनी
I have valued most just this one thing of myself in life
They say that I should control my straightforwardness

वसंत बहार

ये दूरियाँ तो कम न कर सकूँ
बस मन से मिला रही हूँ तुम्हें
हमेशा की भाँति वसंत बहार है
कितना याद कर रही हूँ मैं तुम्हें
मेरे भेजे नव वसंत के चित्रों में
दर्शन हुए होंगे वसंत के तुम्हें
अब ये वसंत सुरभि कैसे भेजूं
इन चित्रों के माध्यम से तुम्हें
तुम्हारे शहर में भी वसंत होगा
पर फुर्सत कहाँ होगी तहाँ तुम्हें
तुम्हारे लैपटॉप पर सब होगा
पर मिलता शायद ही होगा तुम्हें

Saturday, February 25, 2012

हकीकत

चलो आज हकीकत पर उतर आयें
किसी सूखे दरिया को पानी पिलायें
किसी पर्वत को शिखर का भान करायें
किसी और के नज़रिए से नज़र उठायें
किसी पंछी को कहें और पँख फैलायें
छोटी सी दुनियाँ की विशालता देख आयें
किसी बड़े सागर को थाह बता आयें
किसी को ख़ुद रूठने का कारण बतायें
उखड़ती साँसों में ज़िन्दगी तलाश आयें
किसी मुस्कुराते को तसल्ली दिलायें
अपने ही से मिले दर्द में अब मुस्कुराएँ

Thursday, February 23, 2012

शिकायत /Complaint

तुम खोये हो कहाँ गुमसुम आहट भी नहीं सुनते हो
इतने दबे पाँव चलते हो और शिकायत भी करते हो
Lost in thoughts to hear my footsteps around
And you walk with silent footsteps yet complain

Monday, February 20, 2012

शिव

शिव की महिमा सुनकर भी
जपें न शिव को लोग कभी
भोले बाबा जान सभी जन
बिसराते जब रहे न भय
रूद्र रूप में देख जपें शिव
शिव शिव महिमा हैं गाते
यम के भय से हो भयभीत
महामृत्युंजय मन्त्र जपें
आर्तनाद के भाव सहित
त्रस्त मनुज हैं हो जाते
शिव के ताण्डव का डमरू
डम डम के सुर से बजता
जपो न शिव भजो न शिव
'शिव' का जो व्यवहार करे
भोले बाबा भंडारी बन
शिव उसका कल्याण करे

अज़ीब

मेरा अभिप्राय समष्टिगत हो
मेरे साथ असंख्य लोग जुड़ें हों
औरों की भी सोच ऐसी ही हो
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरी दैनंदिन दिनचर्या में सदा
अधिकांश लोग शामिल रहें
हमारी चर्चा सकारात्मक हो
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरे प्रयासों के फलस्वरूप
औरों के भी मार्ग प्रशस्त हों
उनका भी यही मंतव्य रहे
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरा यहाँ जो भी विद्यमान है
वो कभी मेरा मात्र नहीं है
इसलिए यहाँ मेरा कुछ नहीं है
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरा जीवन कोई रहस्यमयी
ज़हाज़ के पंछी की उड़ान भर है
इसमें कुछ भी स्थायित्व नहीं
ये लोगों को अज़ीब लगता है

मेरा समस्त विश्व-सम्बन्ध
काल-चक्र की स्थिति मात्र हैं
औरों में भी कुछ नया नहीं हैं
ये लोगों को अज़ीब लगता है

Saturday, February 18, 2012

अप्रतिम

झनझनाते तारों ने छेड़ा है संगीत
मैं भी तो गाना चाहता हूँ एक गीत
जहाँ लय सुर ताल समन्वयित हों
शब्दों से बरसती कोई मधुर प्रीत
मैं यदि दावानल के बीच घिरा होऊं
चंदन वन की सुरभि सी हो प्रतीत
कहीं नेपथ्य में सुनाई देते कटु वचन
एक तीव्र संगीत में हों परिवर्तित
पराकाष्ठा स्वरुप अप्रतिम शांति हो
गाऊं मैं जीवन का ऐसा मधुर गीत

आसमाँ

सब उनके दिन बने रात और रातें बनी दिन थीं
चाह तो आसमाँ की थी पर कोशिशें कुछ कम थीं
उन्हें अपनी ज़िन्दगी की हो रही थी कशमकश
बेपरवाह पहले ही थे अब लापरवाह और हो गए
होश आया जो वक़्त रहते उन्हें फिर आखिरकार
ज़िन्दगी के लम्हे अब गुल-ओ-गुलज़ार हो गए
खिदमत की थी चाहत उनको हरएक से बेवजह
बदले बदले से अब बड़े खिदमतगार थे हो गए

उधार

सूरज रोज़ अपनी दिन भर की रौशनी बिखराने के बाद
चाँद को सौंप अपनी रौशनी अपना मंतव्य दिखलाता है
चाँद अपने इस उधार की चांदनी पर भी यूँ इतराता है
उसे मालूम है कि फिर रात होगी और चांदनी छिटकेगी
बहुत दूर के तारों की रौशनी हम तक पहुँचती कम सही
वे टिमटिमाकर हमारे संग संग मुस्कुराते से लगते हैं
हम रोज़ कुछ न कुछ सभी से ले लेने की कोशिश में हैं
जाने कितने लोग फिर भी हमें बेहतर बनाने में जुटे हैं

Thursday, February 16, 2012

रोशन फिजा

उनसे भी और खुद से भी अनबन रही
ज़िन्दगी हर एक शिक़ायत करती रही
रात भर यूँ ही कशमकश थी होती रही
करवटें भी बार बार कम सी लगती रहीं
सुबह की रोशन फिजा में धुल सी गई
ख़ामोशियाँ भी थीं ज़रा मुस्कुराती रहीं
नींद अब आँखों से शिक़ायत कर रही
आँख दिल की ओर उँगली है दिखा रही
दिल ही दिल में बात कुछ बनती रही
ज़िन्दगी से अब शिक़ायत कुछ नहीं

रश्क

उसके लवों से निकले अल्फाज़ झूठ का पुलिंदा बनाते रहे
हम फिर भी जानबूझ कर इसको सच सा ही समझते रहे
बाद में वो ज़िन्दगी भर गलतियों पर अफ़सोस करते रहे
हम अपनी ईमानदारी पर खुद-ब-खुद रश्क भी करते रहे
His words continued to add up to pile of lies
I willfully accepted them as true utterances
Later he always regretted after confessions
I retained my pride of honesty at all times!

Wednesday, February 15, 2012

सादगी

सादगी से जीने का अंदाज़ क्या निराला है
फिर भी लोगों को सादगी से परे ही देखा है
सुना था सादगी पे मरते थे लोग यहाँ कभी
हमने तो लोगों को सादगी पे सवार देखा है
फिर भी हम सादगी के ही हिमायती रहेंगे
सादगी से बढ़कर क्या यहाँ किसी ने देखा है
मरना तो सवार को भी है शायद एक दिन
इसके बाद ज़हां यहाँ कब किसी ने देखा है

Tuesday, February 14, 2012

बस्ती

हमने तो इधर बस बेवफ़ाई देखी है
हमें क्या मालूम वफ़ा क्या होती है
बेवफ़ाओं से जो वफ़ा करने लगते हैं
तो वफ़ा भी चुपके से रोने लगती है
हम फिर भी बेवफ़ाओं से कभी नहीं
नज़र बेवफ़ाई से क़तराती रही है
ग़म नहीं फिर भी कोई यहाँ हमको
ज़िन्दगी बस यूँ ही चलते रहती है
उनके दिल में क्या है ये वही जानें
यहाँ तो बस वफाओं की बस्ती है

Monday, February 13, 2012

प्यार का इज़हार

दबी दबी सी साँसों में सही प्यार तो छुपा ज़रूर था
सुर हौले सही फ़िज़ा में मौशिकी का असर तो था
मचा कर शोर न भी किया मैंने प्यार का इज़हार
कहीं किसी शहनाई की धुन का सा ख़ुमार तो था
शर्मा कर कभी कभी कर दिया हो इनकार भी सही
दिलो जान में बसा प्यार का इकरार तो ज़रूर था
हमने चाहे पुकारा न हो नाम लेकर कभी तुम्हारा
पर दिल के हर छोर में बसा तुम्हारा नाम तो था

Sunday, February 12, 2012

Whither Valentine Day

It is both interesting and intriguing to read in the newspapers and magazines giving tips to people of all ages and marital status about celebrating Valentine Day. This morning several of them have suggested way to cheat on the spouses and friends and go for dates with like minded people!

It's really amazing that the print and visual media playing with sentiments and emotions of people; and knowingly or unknowingly promoting adultery and cheating on loved ones! And this all is in the name of Valentine Day that promotes love and pure love!

I don't understand the logic behind such publicity and writings. I hope those writing these tips have still left some sanity left in them and will stop such utter nonsense and people alone to decide for themselves on their definitions and treatment of the V Day!

Amen!

Friday, February 10, 2012

सपने से पल

किसी ओर या किसी भी छोर में हो
कहीं न कहीं तो मिलेंगे वो पल मेरे
मैं आज भी तलाश रहा हूँ लम्हों को
खोई हुई उम्मीद में बसे हैं सपने मेरे
मैं बार बार मिलना चाहता हूँ उनको
चाहे कितना मुझसे रूठे हों अपने मेरे
मुझे गुमान नहीं किसी भी चाहत का
बस छोटे छोटे से ही हैं ये सपने मेरे
कल नहीं पर आज या कल ही सही
ढूंढ़ ही लूँगा मैं वो सपने से पल मेरे

Wednesday, February 8, 2012

अक़सर

उनके पास मेरे इम्तहान के तरीक़े अभी बाक़ी हैं
मुझ में अभी मेरे वजूद के भी चन्द सवाल हावी हैं
वो हमेशा अपनी ही नज़र से मुझे देखना चाहते हैं
मेरे तौर तरीक़े उनके तरीक़ों से कुछ अलग से हैं
लेकिन एक बात हम में ज़रूर मिलती जुलती है
वो मुझे और हम उन्हें अजीब ओ गरीब लगते हैं
हाँ एक और बात भी बड़ी अच्छी है हम दोनों में
हम फिर भी दोनों अक़सर मिलते जुलते रहते हैं

हकीक़तें

वो तनहाइयाँ जो मुझे सताने सी लग गई थीं
ग़ज़ल और रुबाइयों का सबब बनने लगी थीं
शब्द जब अपनी खुसूसियत जतलाने लगे थे
ग़म के बीच भी शहनाइयाँ सी बजने लगी थीं
जो उदासी मेरी रुबाइयों में झलकने लगी थी
वही अब वसंत के गीत भी गुनगुनाने लगी हैं
जिन खुशियों को मैंने खुद से दूर ही सोचा था
वो अक़सर मेरे आस पास आने जाने लगी हैं
ज़िन्दगी की कई हकीक़तें जो अनजानी थीं
वही अब मुझे गीत सी समझ में आने लगी हैं

Monday, February 6, 2012

मैं

मैं इश्क में पागल मजनूँ या फ़रहाद नहीं हूँ
मैं तो नचिकेता बन स्वर्ग तक हो आऊंगा
मुझे सत्यवान बन कोई यम न ले जा पाए
इसलिए मैं भी कोई सावित्री ले ही आऊंगा
मैं दुर्योधन या दुशासन सा कोई कायर नहीं
मैं भीम बन कर उनका अंत ही कर जाऊंगा
मैं जयद्रथ सा छिपने वालों में से भी नहीं हूँ
मैं तो अभिमन्यु सा लड़ते मर जाना चाहूँगा
मैं किसी का संसार में कोई मोहताज़ नहीं हूँ
मैं सब को कुछ न कुछ देकर ही चला जाउँगा

Sunday, February 5, 2012

इनक़ार का इक़रार/ Acceptance of Denial

वो भी हैरान थे अनजाने ही दिल लगा लिया था मैंने
अपनी ही उस गलती का एहसास कर लिया था मैंने
उनके इनक़ार के इक़रार को गले लगा लिया था मैंने
पर भुलाते भुलाते भी उनसे दिल लगा लिया था मैंने
He was also flabbergasted at my sudden 'love'
I had then accepted my mistake of such folly
I endeared his acceptance of the denial for me
Yet, in process of forgetting I did fell in love

Saturday, February 4, 2012

सबब

मुझसे मेरे हालात का ये सबब मत पूछो यारो
मैं तो बस ज़िन्दगी में मायने ढूंढते फिर रहा हूँ
मेरी जिज्ञासा लोगों में और भी बढती जाती है
जब भी मैं लोगों को क़रीब से जानने लगता हूँ
लोग कितना कुछ करते रहते कोई रहनुमा से
मैं तो बस यहाँ अपनी नज़र में गिरता रहा हूँ
कई लोगों के मज़बूर हालात को देखते देखते
मैं यहाँ खुद को ख़ुशनसीब समझने लगा हूँ
सबको समझाने वाले ख़ुद कभी नहीं समझते
बस इसीलिए मैं तो ख़ुद को समझाने लगा हूँ

Thursday, February 2, 2012

Everything

When the darkness is prevailing
I do await the lights of morning
When the words are not coming
I seek solace in deep breathing
Whenever no good is happening
I await the good things coming
Whenever the stakes seem high
I could try seeing them lowering
Even without their actual arrivals
I can see things my way coming
There’re no people forgotten me
I can think of them remembering
I hardly matter for anyone, sure
Yet many consider me everything
Whatever I achieved or did here
I owe it to others for everything