Saturday, November 30, 2013

उत्सव पतझड़ का

दुःख होता है इस ऋतु में
इन पत्तों का हश्र देख
इनके जीवन की कहानी
अनायास दीखती हैं
ये पतझड़ मात्र नहीं
संदेश है जीवन पथ का
आओ उत्सव मनायें
इन पीले पत्तों के साथ
जाते जाते भी रँग इनके
लुभावने हुए जाते हैं
फिर कोंपलों और
हरी व रंगीन पत्तियों की
नई-नई राह बनाते हैं
अपना सफ़र जीवन का
तय करते-करते भी
आने वाले कल का मार्ग
प्रशस्त किये जाते हैं

>

Warmth of Snow


We love the snowfall and around
Phenomenon so unique and dear
The all white snow and the ice
Just good enough to melt the ice
When two of us emulate them
The aesthetically crafted here
A snowman and snow-woman pair
In this biting cold we handhold
Trying to live this experience
Of warmth in the coldest times
With and around the nature
Making resolve of eternal love
Skidding and fumbling on ice
Lending helping hand to other
Even in the testing times too
Holding each other in arms
Together try living the bliss of
Togetherness in lives and time

जाड़ों की धूप


जाड़ों की धूप में जाना हमें अच्छा लगता है
तेरा ख़याल जो जाड़ों की धूप सा लगता है

इन सर्द हवाओं का साथ अच्छा लगता है
तेरा इधर आना ही धूप सा खिलने लगता है

हर तरफ ही धूप का तबस्सुम सा लगता है
ऐसी धूप में वक़्त बिताना अच्छा लगता है

दौलते इश्क़ की कोई नेमत सा यहाँ लगता है
जाड़ों की धूप में तन मन खिलखिलाने लगता है

ये भी रूप

सुना था बड़ी ठंड है यहाँ
लेकिन कम्बल के अंदर
तुम और हम पहली बार
बाहर लाज के परदे थे
यहाँ हम और कम्बल
यहाँ ठन्डे हुए हाथ तुम्हारे
अपनी हथेलियों में रख
गर्मी का एहसास हुआ
अब मेरे ये ठन्डे पाँव
तुहारे पैरों के बीच रख
तुमने गर्म करते करते
मेरी सुध-बुध भुला दी
आलिंगन और नज़दीक़ी
महसूस करते पहली बार
सिहरन तो ज़रूर हुई
लेकिन ठण्ड का नहीं एहसास
हमें महसूस हो गया
ये भी रूप और मिठास
इक़रार और प्यार का
दोनों साथ-साथ!

Friday, November 29, 2013

इश्क़


जान जाती रही मग़र है जान बाक़ी अभी
सलामती को जान की बस दुआ कीजिये

चन्द क़िस्से मोहब्बत के क़िताबों में हैं
इनको हक़ीक़त समझ न कहा कीजिये

इश्क़ एहसास भर बस है हक़ीक़त नहीं
जान की बाज़ियाँ यूँ न लगाया कीजिये

इश्क़ रब है या ख़ुदा है जिनको देखा नहीं
इसको क़िस्सा समझ पढ़ लिया कीजिये



Thursday, November 28, 2013

दिल या जेहन

दिल को दिल से शिकायत जो होने लगी
कोई ख़ूबसूरत शरारत भी होने लगी
देखना यही था ज़िन्दगी पर असर
आग दिल में लगी या जेहन में लगी

कितने गुंचे मोहब्बत में संजोये मगर
गुलों की किल्लत यहाँ क्यों होने लगी
इश्क़ हमने किया कोई नादानी नहीं
यकबयक ज़िंदगानी क्यों रोने लगी

अब मुक़द्दस मेरा इश्क़ ये हो गया
अब रूहानी कहानी रूमानी लगी
ज़िन्दगी जब जिये ज़िन्दगी की तरह
ज़िन्दगानी यूँ हर पल सुहानी लगी

Small world


With every comforting moment
I think of you and benefaction
That I always derived from you
Me! What is the my existence
If you are not together with me
And not around and behind me
Seeking solace in your company
Real or virtual or just imaginary
Whatever be that form it may
I’m overwhelmed with that all
This feeling of my companion
In and around me at all times
If this World is the truth it may
Or if it's imaginary it may so be
I am there to recognize you
In my existence and the essence
Of living in this small World!

भोर की लालिमा

चाँदनी में रँग छुपे सही
पर ये चाँद की कृतज्ञता है
सूरज के प्रकाश को
अपना न बताने की
चाँद की सी शीतलता हो
मौन सहित आकाँक्षाओं की
आकर्षक हैं जीवन के रँग
भोर की लालिमा से भी
सूचना देते नव प्रकाश की
सूर्य के तेज के आने की
भुवन रथ का आगमन
चमकती किरणों के साथ
पर्वतों और और बादलों के
निखरते रँग एवं दृश्य
यात्रा एक सतत पथ की
चराचर जगत की प्रतीक्षा की
हर सुबह नया सन्देश देती
एक नए दिन के प्रारंभ की
pic of a morning view in Pithoragarh..credit Sanjay Chauhan :)


Wednesday, November 27, 2013

Stolen Moments

When odd take over the lives
Patient and positive prevails
The times get past their ways
It’s just like we feeling feverish
A frisson of surprise at times
When an unexpected arrives
The moments of happiness
The bulls take on the bearish
Delving deep looking for joy
The days of darkness around
Those taught essence to live
I would always like to cherish
When sound like those so few
Endeared stolen moments from
The jaws of any depressions
Joy and happiness do flourish

Tuesday, November 26, 2013

कभी कभी यहाँ

कभी कभी यहाँ
मुझे तन्हाइयाँ सताती हैं
मगर डर नहीं लगता
मुझे तनहाइयों से
ये तो साथी हैं
मेरे जीवन की
मेरे नितांत व्यक्तिगत
दुर्लभ क्षणों की

कभी कभी यहाँ
मुझे डर लगता है
लोगों के बीच
उनकी डरावनी
मानसिकता से
उनके आचार-व्यव्हार से
उनकी अक्षुण्ण पिपाशा से
लेकिन भान होता है
मुझे भी रहना है
इन्हीं के बीच

कभी कभी यहाँ
मुझे डर लगता है
हो न जाऊं कहीं
मैं भी इन्हीं कि तरह
फिर अहसास होता है
जब तक मैं मेरा है मुझमें
मैं स्वयं से
बहाना कैसे कर सकता हूँ

Monday, November 25, 2013

कभी कभी यहाँ

कभी कभी यहाँ
मुझे तन्हाइयाँ सताती हैं
मगर डर नहीं लगता
मुझे तनहाइयों से
ये तो साथी हैं
मेरे जीवन की
मेरे नितांत व्यक्तिगत
दुर्लभ क्षणों की

कभी कभी यहाँ
मुझे डर लगता है
लोगों के बीच
उनकी डरावनी
मानसिकता से
उनके आचार-व्यव्हार से
उनकी अक्षुण्ण पिपाशा से
लेकिन भान होता है
मुझे भी रहना है
इन्हीं के बीच

कभी कभी यहाँ
मुझे डर लगता है
हो न जाऊं कहीं
मैं भी इन्हीं कि तरह
फिर अहसास होता है
जब तक मैं मेरा है मुझमें
मैं स्वयं से
बहाना कैसे कर सकता हूँ

मैं बदल गया हूँ

सब कहते हैं
मैं बदल गया हूँ
मैं नहीं मानता
हाँ ये सच है
सब बदल गया है
मेरे आस पास
लोग भी तुम भी
खेल, खिलौने
खान-पान
वेश-भूषा, पहनावा
स्कूल, शिक्षा
सवारी साधन
शहरों से गाँव तक
लोगों के आचरण
सब बदल गए हैं
मैंने स्वीकार किया है
इस बदलाव को
इस लिहाज़ से शायद
मैं बदल गया हूँ

Sunday, November 24, 2013

Whispers


As I wake up remember dreams
Start my dreams of open eyes
I need to catch at many things
Are my early morning thoughts
Things and views have changes
As the journey of day proceeds
Accomplishment and failures
They all become the experiences
Evening whispers in my ears
Now time to recapitulate comes
Before I have meals and I crash
Making the next day’s resolves
I try entertainment that helps
Of the days mind now dreams
And whole cycle thus continues
Whispering of the life continues

Wednesday, November 20, 2013

28th Anniversary with Uma

We still argue, scream; and forget
As if it is just a recent event in life
Together we've traveled 28 years
In beautiful togetherness of this life
Enjoying all sweet & sour moments
Everything adding a new joy to life
Having a constant companion a bliss
I pity those continue living single life
Everyday adding new experiences
The care and the mutual love grew
Through this travail and shared life
At times we dislike control by other
Then prevails the spirit of shared life
I know you don’t like to hear publicly
But that’s how I’m and my open life
Many happy returns of the Day Uma
I owe you many things in my life 

डर लगता है

मुझे डर लगता है
रातों-रात अमीर बनने के
लोगों के जज्बातों से
औरों का ख़ून चूस कर
अपनी झोली भरते लोगों से
कुछ भी कर गुजरने की
मंशाओं के जुनून से
उनके जीने के उसूलों से
बदलते वक़्त के साथ
लोगों की हवस की खातिर
ख़वातीन के हालात से
ख़ून ख़राबे और क़त्ल की
मज़हब के नाम पर
इंसानियत की रुसवाई से
सियासत और लोगों में
मुल्क़ तक दाँव पर लगा
अपनी तिज़ोरी भरने से
तरक्क़ी के नाम पर होती
हर चीज की तबाही से
अख़बार में ख़बरें पढ़ कर
अपने बारे में सोच कर
कुछ भी न कर पाने से

Tuesday, November 19, 2013

सनद रहे


पास आओ !
आज कुछ नया सोचो
पुराना बिसरा दो
मत बातें करो !
सिर्फ़ सरगोशियों से
आग़ोश में आ जाओ
सोचा कम करो !
भूल कर गिले शिक़वे
मोहब्बत में खो जाओ
आज़माया न करो !
मोहब्बत में आज़माना कैसा
बस डूब जाया करो
मोहब्बत करो !
ये सिर्फ़ रूमानी नहीं
रूहानी रिश्ता भी है
सनद रहे !
हम को समझाने से पहले
ख़ुद को समझाया करो

मैं और तुम!


मैं!
समझ लूँगा
ये कोई सपना था
टूट गया
तुम!
मत करना
रुसवाई मोहब्बत की
अपनी ही खातिर सही
अगर चाहो!
बेझिझक तुम
किसी और को दे देना
मेरे हिस्से की मोहब्बत
मैं!
कोई शिक़वा न करूँगा
बस दुआ करूँगा
तुम!
मेरी मोहब्बत तो
भुला न पाओगी
ख़ुश रहना
मुझे भुला देना!

सिंहासन हिल उठे: रचनाकार: सुभद्रा कुमारी चौहान



सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार।

महाराष्ट-कुल-देवी भी उसकी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,
वीर बुंदेलों सी विरदावली सी वह आई झाँसी में।

चित्रा ने अर्जुन को पाया,शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।

अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।

रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

छिनी राजधानी दिल्ली की,लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी रोयीं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,
'नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार'।

यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

कुटियों में थी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।

हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपूर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,

जबलपूर, कोल्हापूर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।

लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वन्द्ध असमानों में।

ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।

अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अब जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुँह की खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।

पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किन्तु सामने नाला आया,यह था संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।

घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आयी बन स्वतंत्रता-नारी थी,

दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
तेरा यह बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।

तेरा स्मारक तू होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

Sunday, November 17, 2013

Moon in the Lake

Wow! I thought you’re just one
But the lake and its waves don’t
Thousands of Moons reflecting
The beauty of thee and the feel
In the two lakes of my eyes too
I’m beholding you too beloved
Making me to visualize my love
The glittering images of Moon
Also do multiply my visualization
Touching deep into my emotions
You are sounding omnipresent
Just like my feelings for my love

Saturday, November 16, 2013

चाँद तेरे कितने रूप

चाँद तेरे कितने रूप हैं
हर अदा में तू बेमिसाल
सूरज के छुपने के बाद तू
उसकी रौशनी की उष्णता
सह कर हम तक पहुँचाता
प्रकाश व उसकी शीतलता
अमावस के बाद आता है
तू दूज का चाँद बन कर
प्रेमियों कि आशा बन कर
कवियों कि कल्पना बन
बढ़ते अर्धचंद्र के वेश में
पूनम के चाँद की प्रतीक्षा
जीवन की आशा जगाता सा
फिर उलट क्रम में घटते
अमावस के अँधेरे में छुप
बस एक रात के लिए
फिर उज़ालों का सन्देश दे
बढ़ने-घटने के क्रम में

Who is Sachin?

Who is Sachin
Tendulkar ...??
.
Wasim
Akram - A Player Who
Is Directed Gifted By God.
.
Michael Clarke - A
Man Who Has The
Capability To Hit The
Same Ball In 5 Different Areas On The Field...
.
McCgrath - A Player Who
Can Hit You For Sixes
inspite Of Your Bouncer...
. Shane Warne - My
NightMare...
.
Steve
Waugh - Our All Plans
Were Made For Him Only...
.
Ricky Pointing -
God Of Straight Drive...
.
Lara - Best Batsmen Of Among All Era "I Want
My Son To Become
Sachin Tendulkar."
.
"We
Did Not Lose To A Team Called India, We
Lost To Man Called
Sachin"-
Mark Taylor
(Aus)
. 'Nothing Bad Can
Happen To Us If We
Were On A Plane In India
With Sachin Tendulkar
On It."
- Hashim amla {SA}
.
"There Are To Kind
Of Batsman In The
World. 1. Sachin
Tendulkar And 2. All The Others.-Andy Flower
(ZIM)
.
"I Have Seen God.
He Bats At No.4 For
India In Tests.- Matthew Hayden (AUS.)
.
"Do Your Crime When
Sachin Is Batting,
Because Even God Is
Busy Watching His Batting. - Australian Fan
.
Barack Obama"I Don't
Know About Cricket But
Still I Watch Cricket To
See Sachin Play..Not Because I Love His Play
Its Because I Want To
Know... The Reason Why
My Country's Production
Goes Down By 5% When
He's In Batting"...

Moon : Beacon of Love

चाँद का हुस्न बेमिसाल है मगर
कहते हैं रौशनी तो उधार की है
हमें क्या लेना हकीकत से यहाँ
हमने चाँदनी में मोहब्बत की है
हमें अपनी मोहब्बत का सुरूर है
हमने कब इस की तस्दीक़ की है
रहनुमा है चाँद इस मोहब्बत का
हमने मोहब्बत की ताकीद की है
Moon is immensely beautiful yet
Some say lives on borrowed light
We are not bothered about reality
We have loved in the moonlight
We are just engrossed in our love
Don't want to carry a searchlight
Beacon is the Moon of our love
We just enjoy love and the moment

Friday, November 15, 2013

Crass


Gone are now the olden days
When there were statesmen
Camaraderie among adversary
Of course they were politician
The ways of campaigning too
Within limits of sophistication
There were the political agenda
Albeit no personal insinuation
Now decency is in backburner
New ways to lure voters for win
Language of streets the crass
Free for all without exception
In parties without the principles
Everyone has individual ambition
Vested interests reign supreme
No one now cares for the nation

मेरा क्या जाता है


आरज़ू धूमिल होने लगी हैं
वक़्त के बदले रंगों के साथ
कोई अनजाना सा समां है
इन नए-नए चेहरों के साथ
पुराना याद नहीं किसी को
पर पुराने प्रसंग मरोड़ते हैं
अपने मतलब की ख़ातिर
ये किसी को नहीं बख्शते हैं
भीड़ की मानसिकता है बस
सब कुछ बदरंग हुआ जाता है
भाड़ में जाये ज़माना कह कर
हरेक सोचता मेरा क्या जाता है

Tuesday, November 12, 2013

क़ामयाब


हम ने कभी नहीं की थी कोई बात
तोड़ कर यूँ चाँद-तारे ले आने की
मालूम है अपने हुनर की ये बात
सब ज़मीन से हासिल करने की

हम ख़ुश हैं नाक़ामयाबी से अपनी
हम में औरों की तरह नहीं हैं हुनर
हमें कामयाबी मिली है बस इतनी
नहीं तलाशते जो भी है उस से इतर

हम को होता नहीं रश्क़ तुम पर
हाँ वाक़िफ हैं तुम्हारी फितरत से
तुम्हारी राहें तुम ने ही ख़ुद चुनी हैं
आज जीते कल हारोगे क़िस्मत से

तुम्हारी नज़र में तुम क़ामयाब हो
हमारी नज़र में हम ही क़ामयाब हैं
जो भी कह दो तुम अपनी मत कहो
मेरी नज़र से देखो हम क़ामयाब हैं

हमसफऱ

वो न थे जब हमारे पास उनके खयाल आते थे
ज़िन्दगी ख़ूबसूरत होने का एहसास कराते थे

फूलों में बहार में चाँदनी में वो ही दिखाई देते थे
मौसम कोई भी हो बस वही पास नज़र आते थे

ज़िन्दगी के सफ़र को और हसीन बना जाते थे
हमारी मंज़िल नज़दीक़ है वो ये याद दिलाते थे

लोग तो बस चाँद सितारों की तमन्ना करते थे
पर हमें महताब कभी आफ़ताब नज़र आते थे

आज भी ज्यों ही वो मेरे जेहन में चले आते थे
कल के ही से आज भी हमसफऱ नज़र आते थे

Monday, November 11, 2013

If Politics is Good, Politicians too Have to be Good ~ Udaya Pant


Politics even in its narrowest sense deals with the statecraft; and it pursues the path of improving the political systems and individual ambitions for the betterment of the society and people. Nonetheless, in modern parlance politics is generally viewed more as conman-ship than the statesman-ship, for whatever reasons.

It is untenable to say that politicians have played the spoilsport in politics. In the democratic countries people reign supreme and they decide who should represent them. It’s possible to be fooled by populist gimmicks once not always. After all they get the chance to make use of their franchise intermittently. No one has stopped them from becoming responsible electorate to vote for the best possible interests of themselves. The frenzies and war-like dramas in elections everywhere is not possible without the support of people joining the party hosted by politicians during elections.

As responsible citizens we have failed to be responsible electorate and voters and have taken the recourse to politician-bashing to escape from the blame we all need to share and be ashamed of. I for one wouldn't blame politicians more than the voters behave as irresponsible citizen and owners of the sovereignty!

Without politics, the World polity and political systems are unimaginable. Gone are the days when monarchs, oligarchs or the authoritarian were all powerful! The majority in whatever form is a prerequisite of running the state of affairs if the state by politicians. As citizen we provide them the support and majority all the time.

As the main stakeholder in pre and post elections scenario, people have to make sure that the politicians are good or share and own up the blame on to themselves for not finding and electing good politicians.