Thursday, July 11, 2019

विश्वगुरु

हमारी बिडम्बना है
हम पले बढ़े हैं
रूढ़ियों एवं
अंधविश्वासों के साथ
सीख रही है हमारी
मिथक के आस-पास
कपोलकल्पित कहानी भी
हमें सत्य प्रतीत होती हैं
हमारे निर्णय भी
भाग्य के सहारे होते हैं
या भाग्य पर छोड़ते हैं
अवैज्ञानिक रहती है
हमारी तर्कशक्ति
हमारे लिए प्राय:
आलोचना ही विवेचना है
हम माहिर हैं
विकास की नई व्याख्या में
हमारी राजनीतिक समझ
असत्य व लफ़्फा़ज़ी से
अपनी सोच-समझ पर
हमें बड़ा अहंकार है
लेकिन आज भी हमारा
विश्वगुरु होने का विचार है 

Tuesday, July 9, 2019

बेमिसाल

ये ज़मीन है
आसमान नहीं
बेमिसाल नहीं होती
यहां की हर चीज
क़ोशिश से शायद
बनाई जा सकती है
हरदिल अज़ीज़ नहीं
यहां की हर बात
बनाना चाहो तो
बनाई जा सकती है
सपनों सी नहीं
दुनियां की हर चीज
समझने से लेकिन
समझी जा सकती है
उलझी है गुत्थियों में
यहां की हर चीज
तुम अग़र चाहो तो
सुलझाई जा सकती है
आसमान न सही
ज़मीन आसमान सी
बनाई जा सकती है!

Friday, July 5, 2019

ज्ञान और पल्ला

खज़ाना है बड़ा
उनके पास तो
नसीहतों का ऐसा
बड़ा इसलिए हुआ
वो ख़ुद नहीं करते
इस्तेमाल इनका
औरों से अपेक्षा
है कोशिश उनकी
जानते हैं वो
इस्तेमाल लायक नहीं
बस झाड़ देते
अपना ज्ञान
अपना पल्ला