Wednesday, February 2, 2011

मुख़्तसर

जब जब भी वो मेरे करीब आये होंगे
हर लम्हा आजमाइशों का रहा होगा
भूल कर ही सही कभी तो हमको
उन्होंने सराहा कभी तो ज़रूर होगा
ये भी एक बड़ी मुख़्तसर सी बात है
हमारे नाम हाथ दामन से छुआ होगा
इश्क न भी हुआ होगा उन्हें हमसे
कोई सदमा तो लगा कभी ज़रूर होगा
मुश्किल तो राह थी नहीं ऐसी कोई'
ये समझने में वक़्त कुछ लगा होगा

2 comments:

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

आज ४ फरवरी को आपकी यह सुन्दर भावमयी विचारोत्तेजक पोस्ट चर्चामंच पर है... आपका धन्यवाद ..कृपया वह आ कर अपने विचारों से अवगत कराएं

http://charchamanch.uchcharan.com/2011/02/blog-post.html

Udaya said...

nutanji thanks for the link:)
bEST:)