Tuesday, April 30, 2013

स्वाभाविक

गहरे घने कुहासे के बीच
लगभग अंधकार में भी
अलग दृष्टि से देखने पर
ज्यों विलक्षण आनन्द की
हो सकती है प्रायः अनुभूति
जीवन के किसी तम में भी
भिन्न दृष्टि से नज़ारा कर
शायद दृष्टिगोचर होना
एक नवीन पक्ष का
स्वाभाविक सी बात है
किन्तु धैर्य एवं मुक्त मन
इसके हैं आवश्यक तत्व
विश्लेषण एवं परिणाम
उभय पक्ष के लिए

Monday, April 29, 2013

सजा अपराध की


कोई वहशी दरिन्दे से लूट अस्मत औरतों की तुम
मर्दानगी का यों अपनी हरदम ही इज़हार करते हो
शरम से सर झुके सबके हैं देख हैवानियत ऐसी
अपनी बेटियों सी बच्चियों का बलात्कार करते हो
जना और प्यार से पाला परोसा माँ ने तुम्हें होगा
उसी की आबरू क्यों यों हमेशा शर्मसार करते हो
सितम घर में ज़ुल्म बाहर यूँ अहसानफ़रोशी से
ज़माने भर के क्यों इतने तुम अत्याचार करते हो
तुम्हारी भी बहन होंगी और शायद बेटियाँ होंगी
किसी की ज़िन्दगी फिर यूँ क्यों बरबाद करते हो
नवाज़ा था मोहब्बत से दुआओं से सभी ने पर
उन्हीं को बददुआओं को बेबस लाचार करते हो
बहन बेटी और माँ अब सभी की बस दुआ होगी
सजा अपराध की हो यूँ मौत का इंतजार करते हो

रुख्सत / Depart

अब तो न जाने क्यों यूँ हमें लगने लगा है
कुछ हैं जो चाहते कहना कह नहीं सकते
जिन्हें चाहत है वो बयाँ कर दें वक़्त रहते
कहीं हम रुख्सत न हो जाएँ कहते कहते
Of late I have started to realize
Some people want to say but can’t
Those with any intent should reveal
Before from the scene I do depart

इन्किशाफ़ दर्याफ़्त / Discovery


इन्किशाफ़ दर्याफ़्त सही मेरी
लेकिन बड़ी माकूल सी बात है
बुलंदियों के ख्वाब टूटे लेकिन
गर्दिश में सही पर सितारे तो हैं
तमन्ना तक अब न रही बाक़ी
बिसरे हुए सही वो हमारे तो हैं
हम लाख भुलाये गए हों सही
उन ख़यालात में ख़ूब बसते हैं
बड़े ही बेपरवाह होकर भी सही
वो अब भी तो हमें याद करते हैं
May be it's my discovery
But a very plausible thing
Dream of heights is broken
Turning yet they are stars
Desires may have diminished
Forgotten but sure is mine
I may be a matter of oblivion
Yet I live in those thoughts
May be very carelessly too
I am remembered at all times!

बदलाव

बदलाव की बात
तुम्हें करते देखा है
वक़्त का क्या दोष
वो कल भी वही था
आज भी वही है
कल भी वही रहेगा
तुम्हारा भी था
तुम्हारा ही रहेगा
इसमें क्या शक़ है
बस एक तुम्हीं हो
जो बदल गए
और वक़्त पर
तुमको बदलते
हमने भी देखा है

Sunday, April 28, 2013

दिन-रात

इधर शाम ढल गई
कहीं सुबह की लाली है
ये चाँद -सूरज का खेल
दुनियाँ में यूँ ज़ारी है
सूरज का अपना रास्ता
चाँद का अपना क्रम है
एक का अपना उजाला तो
दूसरे का उधार का है
बस हमको ही यहाँ ये
दिन-रात का भ्रम है

इख्लाक़ / Courteousness

तुम्हारे जुमले बदले से लगते हमको
शायद तुमको कहीं कुछ बेपरवाही है
एहतराम की फ़िक्र नहीं हैं अब हमको
लेकिन तुम्हारे इख्लाक़ की परवाह है
Your utterances seem changed to me
Perhaps you do have some inattention
Your respectfulness is not worrying me
But your courteousness is the question

Saturday, April 27, 2013

किसी रोज़ / One Day

किसी रोज़ खुद से ही दीवाना बन जाऊंगा
हर हसीं दास्ताँ का मैं परवाना बन जाऊंगा
ज़माने के हर शख्स से बेगाना हो जाऊंगा
भूला सा इधर कोई अफसाना बन जाऊंगा
One day I would become frenetic myself
I would be vise to every beautiful story
Unfamiliar for each person in this World
I will become fiction of a forgotten story

ख़ुशबू माटी की

चलते चलते यहाँ
प्रायः दूर दूर सुदूर
मैं अनुभवजन्य
और स्मृतियों में
विवेचना करता हूँ
विशाल जगत की
पर खो जाता हूँ मैं
अनुभितियों में प्रायः
अपने बाल्यकाल
और युवावस्था की
मेरे बाल-सखा एवं
पारिवारिक जनों की
सलाल ह्रदय और
स्वछन्द और सरल
अविस्मरणीय पलों की
सहृदय व स्नेहशील
गाँव के सीधे-साधे
आत्मीयजनों की
विकसित शहर के
तथाकथिक सभ्य
और आधुनिक लोग
अलौकिक नैसर्गिक
कमी नहीं पाते कभी
भौतिक सुख संसर्ग की
किन्तु वंचित रखेंगे
अतुल्य अनुभूति उस
अनन्त आनन्द की
तन मन में समाई
ख़ुशबू उस माटी की

Friday, April 26, 2013

मर्ज़ी

हम भी किसी से कम न समझने वाले
हवा हुए वो आँखों से काज़ल चुराने वाले
अब हम हैं ज़िन्दगी को आजमाने चले
देखो तो चोरी हो गए हैं अब चुराने वाले
सकते में हैं यहाँ कल के आजमाने वाले
आजमाए जा रहे हैं सब आजमाने वाले
मर्ज़ी तेरी अपनी रो ले या हँस ले गा ले
वक़्त व नसीब हैं अब सब बदलने वाले

Thursday, April 25, 2013

Never Again


We accepted it’s over
In spirit of gentleman!
Make a commitment
We both should again!
At the end of the day
In losing also we gain!
Those were moments
Of a great joy not pain!
Say in our parting time
It actually isn't in vain!
Lend me your shoulder
Please, for once again!
After failing in my love
My sentiments are sane!
I want to cry out loud
For the follies I made!
Falling in love a mistake
And yes, never again!

वक़्त /Time

वक़्त ही नहीं था तब मेरे पास हर वक़्त भाग-दौड़ थी
अब तो वक़्त काटे नहीं कटता बस वक़्त ही वक़्त है
हम अपना वक़्त न निकाल पाए न इसे समझ पाए
वक़्त का मिज़ाज़ तो तब भी वही था आज भी वही है
I had no time then for ran around all the time
I have so much time now it's difficult to spend
Neither I found time for me nor understood time
Time had the same rhythm it possesses at present

Wednesday, April 24, 2013

पहली बार

पहली बार देखा था उनको
पहचाना सा आभास हो गया
कनखियों से देख कर भी
रुखसार का दीदार हो गया
बस नज़रें मिलीं थी उनसे
पर हाँ सब अंदाज़ हो गया
कुछ कहा तो न था उन्होंने
पर हमें सब मालूम हो गया
गुफ़्तगू कोई होने से पहले
मोहब्बत का एहसास हो गया
दिल को लाख संभाला हमने
वोअपने हाथ से निकल गया

इनक़ार / Rejection

तेरे इनक़ार का एहसास हो चला है लेकिन
एक उम्र बीत चुकी लम्बी यकीन होते होते
तेरे इक़रार में भी तस्दीक़ तेरे शुबहे की है
अब मैं थक गया हूँ बस सफाइयां देते देते
Finally I now have realized your rejection
But a long time passed being so sure about
Now I am too tired of giving the clarification
Your approval too is a recognition of doubt

Tuesday, April 23, 2013

Poison

कई लोग हमें जब नहीं समझ पाते हैं तो अब
ख़ुद को समझने की हसरत और बढ़ने लगी है
ज़माने का ज़हर पीने की आदत हो गई है अब
शायद इसीलिए ज़िन्दगी सब समझने लगी है
When people many didn't understand me so far
Urge for knowing oneself is growing more now
It's almost habit to face the poison of the World
Perhaps hence life has started knowing it all now

Our lives start from and end up in a zero

We don't know what exactly we want, where we want to reach; and what we actually want to achieve! To me, all calculations in our lives start from and end up in a zero!

We often dream, think and aim big to achieve the heights. After reaching the heights even mid-way we start getting feelers of having left the grounds away from us and wonder if the path we chose was actually right. The confusion of thoughts, dreams and aim advises us to keep going up; and doesn't ever guide to reach the state of the maximum!

People who are the beneficiaries of all our struggles and pursuits also stop thinking on advising us on this and we steadily reach the points of no-return. Now, the same people who aspired and admired us in all our pursuits brand us as overambitious and fools; those never balanced our life's needs and joy! Initially we laugh away all such criticism; but slowly start getting concerned about such criticisms.

Thee phase of introspection then steps in and we start getting empathetic with ourselves; a syndrome that recognizes that we never treated ourselves like 'us'!But then after all the introspection and loads of thinking and analysis we get confused further. When seek external advise we rarely get the true or honest and unequivocal advise from anyone. Here comes the helplessness we feel about ourselves and our future plans at that late stage in life.

Finally we conclude that there no point pondering over on all this and go on as we can anyways we chose our ways and paths ourselves; and there is no going back until it becomes impossible for whatever reasons. This is the static yet compulsive carrying on on the selected path at any consequences.We repent and convince ourselves at the same time about the chosen path, ways and unending destinations.

Go on but have no guilt feeling and don't repent. Everything in life gets balanced out and averaged out. Anyways the net result is zero; so why worry; do what you can do and feel best for you and yours! As long as you keep the 'zero' in minds,the feeling of contentment shall get you going and keep you happy all the time! Amen!

तुम / You

जो तुम कह दो वही सत्य
जो तुम देखो वही लाज़बाब
जो तुम जानो वही बेहतरीन
जो तुम चाहो वही बेमिसाल
हमें देखा चाहा जाना तुमने
हमारे बारे में भी कुछ सोचो!
What you say is the truth
What you see is fantastic
What you know is the best
What you liked is excellent
You saw, liked and knew me
Now you say about me too!

Monday, April 22, 2013

साथ साथ


संवेदना के तीन अक्षर रहे
बस पहला अक्षर खो देने से
इतना कुछ यहाँ बदल गया
सिर्फ़ एक अक्षर न होने से
पाषाण से हो गए औरों की
वेदना का आभास न होने से
मानो हमें क्या फ़र्क़ होना है
औरों पर अन्याय भी होने से
क्या अभीष्ट समाप्त हो गया
ये सब स्वयं पर न होने से
यूँ तो क्या बदल जाता है
किसी के संवेदना जताने से
लेकिन बहुत फ़र्क़ पड़ता है
किसी के साथ साथ खड़े होने से

Sunday, April 21, 2013

अजनबी / Strangers!

अजनबी तो हम भी थे कभी अब हम सब जानते हैं
इस शहर के सभी रास्तों को अब ख़ूब पहचानते हैं
वही शहर वही रास्ते वही सफ़र है वही मुसाफ़िर हैं
फ़िर ये अंदाज़ सब के अलग अलग से होते क्यों हैं
बहुत से लोग ज़माने से बेपरवाह नींद में ही रहते हैं
फ़िर हम किसकी फ़िक्र में यहाँ चैन से सोते नहीं हैं
मुक़ाम और मुल्क़ की परवाह ये लोग करते नहीं हैं
ऐसा भी नहीं ये तो बस अपनी चुप्पी लगाये बैठे हैं
उन्हें हमसे कोई उम्मीद हो या न हो नहीं जानते हैं
बस हम फ़िर भी इनसे उम्मीद इधर लगाये बैठे हैं

जीवन का सत्य

बिलकुल स्वप्नवत
कई इच्छाओं और
आकाँक्षाओं के बीच
भ्रमित मकड़जाल में
फँसा रहा था मैं भी
एकदम तुम्हारी तरह
अब कहाँ रह गया मैं
कहाँ रह गई आकांक्षाएँ
किन्तु ये भी तो सत्य है
कोई अंत नहीं है यहाँ
तृष्णा और पिपाशा का
बस ध्रुव सत्य एक है
वर्तमान व जिजीविषा का
अब यही स्वप्न है मेरा
यही इच्छा आकांक्षा भी
यही जीवन का सत्य भी

बेवकूफी / Stupidity

सूखे दरिया की ये हक़ीक़त देख कर
समंदर की तलाश में निकले थे हम
बरसात क्या हुई वहीँ पे समंदर देख
अपनी बेवकूफी पहचान गए थे हम
Observing reality of the small dry river
I did want to try out finding the ocean
I was embarrassed with my stupidity when
With rains it also turned like an ocean

Saturday, April 20, 2013

Dawn Awaited

This darkness is too long
The disturbed sleep here
By the noises of inhuman
Making it a far too longer
As if the light is vanished
From the Earth and minds
The birds are fast asleep
To comfort me by music
Of their melodious chirps
The cattle are dreaming
Of the lights of next day
Little kids are frightened
So are all the women too
By those acts barbarous
All suffering nightmares
Without actually the sleep
Darkness of night prevails
The dawn is still awaited

Friday, April 19, 2013

रंज-ओ-ग़म / Pips and Sorrow

सिर्फ़ जीने और गुज़र भर करने का नाम नहीं है
खुशियों की खान ज़िन्दगी गहराई में झाँका करो
रंज-ओ-ग़म भी कुछ कम नहीं हैं इस दुनियाँ में
कभी मायूसियों को भी तो गले लगा लिया करो
Not just to live and to make a living
Life is a mine of joy do delve deeper
Pips and sorrow as well abundant here
Embrace downcast moments also queer

मनचाहे / way we aspire

उकता चुके ज़माने से तो गहराई से सोचो ज़रा
साझा है हर सवाल ये थोड़ा तुम्हारा थोड़ा हमारा
बदलें भी ये हालात मनचाहे से तो भला कैसे जब
नसीहतें देना ही इधर ईमान जो बन गया हमारा
If frustrated with surroundings just think over
Every question is our joint one to ponder over
How will the events turnaround the way we aspire
When we all only try advising the others all over

Thursday, April 18, 2013

बहुत हुआ

बस बहुत हुआ
बहुत खेद है कहते
सीमा रेखा भी लाँघते
ग्लानि भी है कतिपय
फिर भी कहना है मुझे
तुम्हारे सम्भाषण अब
बड़े प्रकट चिर परिचित
और सत्य से कहीं परे हैं
बल्कि एकदम असत्य
तुम्हारे आत्मकथ्य

Wednesday, April 17, 2013

मायूस

इन दिनों बहुत मायूस हूँ मैं
आदत जो पड़ गई थी मुझे
तुम्हारी उन आलोचनाओं की
हर बात में हर चीज में मेरी
शायद बिना सोचे समझे भी
अब सब सूना लगता है मुझे
जब से देख रहा हूँ मैं इधर
नुख्स निकालना छोड़ दिया
तुमने मुझ में मेरी बातों में
बस तुम ही जानो किसलिए
तुम्हारा नजरिया बदल गया
मेरे लिए या फिर मेरी ओर
ये भी नहीं मान सकता हूँ मैं

Tuesday, April 16, 2013

अन्यथा

तुम्हें भी ज़रूरत है
झाँकने की बहुत
अपने अंतर्मन में
जहाँ मिलेगी तुम्हें
वस्तुगत विवेचना
विषयगत सोच से
एकदम अलग ही
कर देगी तुम्हें भी
अचम्भित अवश्य
बशर्ते की तुम
तुम्हारा अपना 'मैं'
अलग कर देखो
यूँ भी कठिन होगा
स्वयं से छिपाना
यदि न हो सोच तुम्हारी
बिलकुल अन्यथा

Monday, April 15, 2013

ख़ुद ब ख़ुद / Automatically

जब भी हम थे बहुत दूर की सोचते रहे
समय के साथ फ़ासले और भी बढ़ते रहे
अब क़रीब की भी बात जब करने लगे
फासले समय के ख़ुद ब ख़ुद मिटते रहे
Whenever I thought of the very long times
Distances with the times too kept increasing
Now that when I live in the immediate time
Gaps with times are automatically shrinking

Sunday, April 14, 2013

सर्वत्र अन्याय क्यों व्याप्त है?

मुझे सत्य की तलाश नहीं
हाँ सत्य का अपना स्थान है
मुझे व्यक्तिगत असत्य से
प्रायः कोई गुरेज़ भी नहीं है
ये तो मेरी दृष्टि में मात्र एक
व्यक्ति के चरित्र का द्योतक है
मुझे तलाश है बस न्याय की
हाँ मुझे अन्याय से नफरत है
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ
न्याय समानता का रक्षक है
न्याय की दृष्टि में श्रेष्ठ है कानून
समानता न्याय का आधार है
वह दोष-निर्दोष में भेद करता
किसी ने कहा कानून अँधा है
किन्तु न्यायमूर्ति तो सक्षम हैं
फिर सर्वत्र अन्याय क्यों व्याप्त है?

मुर्दा-दिल / pessimism

आसमान की ऊँचाइयों तक उड़ने वाले परिंदे
ज़मीन के दरख्तों में बसेरा कर चहचहाते हैं
ज़मीन के कई इंसान चाँद तारों की हसरत में
मुर्दा-दिल अपनी ज़िन्दगी हर रोज़ गँवाते हैं
Moving around everyday up to heights of these skies
Birds in make nests on trees chirping with happiness
People on the earth in aspiration for moon and stars
With their pessimism feel perceived miseries in lives

ग़ुरूर / Arrogance

अपने ग़ुरूर के चलते कुछ नहीं जहाँ में
इसे संभालिए वरना कहीं कुछ न मिले
बस चन्द मौक़े ही मिलते हैं ज़िन्दगी में
यूँ न हो कि अफ़सोस का मौक़ा न मिले
Arrogance brings you nothing in the World
Mind it else you may achieve nothing in life
Avoid situations when you can't even repent
Only few opportunities one gets here in life

Friday, April 12, 2013

अनदेखा / Ignore


लोगों के इरादों उनकी वफ़ा और ज़लन को देख कर दो अनदेखा
हमने तो अक्सर लोगों और उनकी फितरत को इसी रूप में देखा
एक अपना दिल रखना साफ़ तो यहाँ हमारे अपने ही वश में है
हमने औरों को हर वक़्त नादान समझ बस माफ़ करना है सीखा
Just ignore intents, loyalties and jealousy of the people
I had often found people and their nature just like that
It’s under my command and controls keep my heart clean
I learnt sympathize ignorant and always forgave like that

साझेदार

जितना चाहे कर लो
फूँककर बस हवा से
तुम्हारा ये कृत्रिम सा
चिर परिचित शंखनाद
अब नहीं फैलने वाला
ये भ्रामक संवाद और
विषाक्त शब्दजाल भी
मेरा विवेक मेरे साथ है
तुम्हारे वाक्पटु असत्य
और नीर क्षीर का अंतर
अब वह बताता है मुझे
मेरी ही भाँति और भी
अब भले बुरे का भेद
जानते व पहचानते हैं
हमें भरमाना छोड़
तुम भी यथासम्भव
सत्य का ही साथ दो
अपने निहित स्वार्थवश
हमारा इस्तेमाल तज
हमारे दुःख-सुख के
तुम साझेदार बनो

Thursday, April 11, 2013

सूखे दरिया / Dry Rivers

वक़्त के साथ बढ़ी तरक्क़ी से यहाँ
सूखे दरिया भी हैं समन्दर बन गए
पर दिलों में जहाँ बसा करते समंदर
अब सब सूखे हुए दरिया से हो गए
Along with the development in the times
Even dry rivers have turned into oceans
But where there were oceans in our hearts
They now have turned like the dry rivers

अप्रत्याशित

ये अपनापन यहाँ
अब पहले सा कहाँ
अब भी मिलता है
लेकिन अब फ़र्क़ है
अपना समझ नहीं
'अपना' सोच बयाँ
सब कुछ अपने लिए
सोच भी अपनत्व भी
कौन जाने कब कौन
अपने आ जाए यहाँ
अपने अब गिने चुने
जाओ अपने न भी हों
फिर भी लोग अब
ये समझेंगे कहाँ
'परायों' से अपनापन
'अपनों' से परायापन
प्रायः आज भी
मिल जाता है यहाँ
'अपने' से 'अपनों' की
बनती दूरियों एवं
नजदीकियों के आयाम
उलट-पुलट और
उलझ से गए हैं
अप्रत्याशित सही
यही दस्तूर है यहाँ
हर ओर हर वक़्त
भागते तलाशते हम
अपना अपना जहाँ

कुल मिलाकर / Overall

साल दर साल हम नया साल यूँ मनाते रहे
न तो नया ही हुआ न कुछ खास ही बदला
कुल मिलाकर बस यही हिसाब लगाते रहे
बस तारीख़ में हर बार ये नया साल बदला
Year after year we celebrate the new years
Neither substantial new nor was any change
Overall it all boiled down to the realizations
Just another year in history was the change

Wednesday, April 10, 2013

सनद रहे / Beware

जब ज़बाब मिलने की होने लगे क़िल्लत कभी
बेवजह वक़्त की बर्बादी है इंतज़ार की ख्वाहिश
उम्मीद ज़रूर क़ायम रखिये पर ये भी सनद रहे
वक़्त पर काम न आना भी है दुनियाँ की रवाइश
When you find hard to get your replies
Hope and wait may be the waste of time
Keep expectations alive but also beware
People do remain wanted in testing time

Tuesday, April 9, 2013

रहमत / Grace

इत्मीनान और फ़ख्र भी है हमें इस नसीब पर
ये भी रहमत है ख़ुदा की जो इतना कुछ मिला
उसके पास पहुँच क्या फर्क पड़ता है किसी को
कि किसी को क्या मिला और क्या नहीं मिला
Contentment and pride both I feel about
This too is grace of God to find as much
After reaching him it makes no difference
Who did not get what and who got how much

Monday, April 8, 2013

courtesy

सारे ज़माने का तो हमें नहीं है कुछ पता
हमसे तुम तहज़ीब से पेश कम ही आये
हम तो यूँ भी अपनी ही कहना चाहते हैं
ग़ैरों से बाक़ायदा पेश आये तो क्या आये
I don't know about the whole World's story
Bur seldom did you show any courtesy to me
Otherwise too I would talk about only myself
Strangers if treated well what's there for me

साफगोई / Transparent

इसीलिए बड़ी साफगोई से कही थी हमने बात अपनी
क्यों कि तुमने हमसे इस बात की गुज़ारिश जो की थी
तुम सच कभी नहीं सुनना चाहते थे हमें मालूम न था
शायद इसीलिए तुम्हें हमारी बात भी नागवार लगी थी
I had brought out my view very transparent way
Because you had wanted me to state it that way
I did’t realize you never wanted to hear the truth
Perhaps hence you never liked what I had to say

Sunday, April 7, 2013

मनुवां से मनोहर

कैसी प्यारी प्यारी न्यारी बातें कह तुमने
अपने काम का तरीका समझाया था हमको
सोचा था करोगे दूर मेरे सब दुःख सारे तुम
इसलिए समझ बूझ मेरा वोट डाला तुमको
सारे वादे ग़ुम ज्यों ही जीत मिली तुमको
अपनी संसद पहुँच भुलाया तुमने हमको
मेरे दुःख बढ़ते गए तुम कभी न आये कभी
झूठे वादे कर के था रुलाया तुमने हमको
इतना भी भूल गए क्या क्या कर हमने
मनुवां से मनोहर था बनाया हमने तुमको
मेरे से ग़रीब थे तुम मेरी जैसी बातें करते
अब कैसे यूँ अमीर बने पता है सब हमको
पाँच साल हमसे छुड़ाते रहे तुम पीछा रोज़
आज ये डगर हमारी लाये क्यूँ तुम खुद को
बोली में तुम अपनी मिसरी सी घोल घोल के
आज क्यूँ आये हो ये मालूम है सब हमको
अपना दुःख अपना सुख अपने ही हाथ है
अब न कोई बात हम बतायें कभी तुमको
बड़े पछता रहे हैं तुम्हें नेता अपना मानकर
अब न देंगे वोट अपना कभी हम तुमको

When..

When I was feeling lonely
There wasn’t any one around
I felt your presence all around me

When I was very and
Thoughts of togetherness came by
I felt your support was always with me

When I was very happy
I wanted to reach out the moon
I found you and your good words with me

When I was angry for whatever
I was yelling for no reasons too
Suppressing your ego you counseled me

When I was depressed temporarily
You left everything and took my care
I felt overwhelmed with kindness to me!

हिसाब


कैसे बेवकूफ निकले हम यहाँ सब की नज़र में
हमने कभी लगाया तक नहीं था अपना हिसाब
क्या करते हमें न आदत है न ज़रूरत ही समझी
यूँ भी बहुत कच्चा है हमारी तरह हमारा हिसाब
ये हमारी दरियादिली का ही तो नतीजा है मानो
आज तुम बड़े हक़ से माँग भी सकते हो हिसाब
इसमें कुछ ग़लत नहीं जो तुमने माँगा हिसाब
अब तो साँसें भी यहाँ माँगती हैं अपना हिसाब
बस दुआ करते रहो हम न माँगें कभी भी तुमसे
वरना मुश्क़िल हो जाएगी करते हमारा हिसाब

Saturday, April 6, 2013

Honesty / ईमानदारी

आज भी ईमानदारी बहुत है मुल्क में
ईमानदारी की एक नज़र तो डालो यारो
बाक़ी है अब भी उम्मीद कोई शक़ नहीं
अपने हिस्से की तुम भी निभाओ यारो
Even now there is abundance of honesty
You gauge it with the eye of your honesty
Still the hopes are very much alive here
You need to chip in your own bit in there

बेवकूफ़

बेवकूफ़ सही पर इतने नहीं कि कुछ नहीं समझते
उन्हें जब आता है हम पर कभी गुस्सा बस हँस देते
हैरान हैं हम वो हमारे तरीक़े अब भी नहीं समझते
मन में जो आया हम तो बस ज़ुबां से हैं निकाल देते
हमें गिला है कि वो हमारी मोहब्बत नहीं समझते
हमें फ़ख्र भी है वो हमें हमेशा ही अपना हैं समझते
उन्हें शिकायत भी है हम उनका ख्याल नहीं रखते
उन्हें शिकवा भी है हम कुछ ज़्यादा हैं ख्याल रखते
उनकी सोच अपनी जगह है हैं हम ये भी समझते
हमारी सोच पर वे कई सवालिया निशान लगा देते
अब तो बस यही समझ के हम हैं मुस्कुराते हैं जाते
कभी वो नहीं समझते तो कभी हम नहीं समझते

Friday, April 5, 2013

वक़्त वक़्त की बात 'time to time'

कल क़सीदे पढ़ते थे तुम हमारी रहनुमाई के
आज चुरा रहे हो नज़रें तुम करके बेवफ़ाई सी
न हम बदले न हमारी फितरत बदलेगी कभी
तुम्हारे लिए ये भी है वक़्त वक़्त की बात सी
Then you didn't get tired of praising my benevolence
Today you try ignoring me with such unfaithfulness
It my be a matter of 'time to time' for likes of yourself
Neither have I nor shall my nature change nonetheless

ख़ूब Well

हवाओं का रुख बदलने की चाहत रखते हैं हम
मगर हवा ने इधर आना जाना ही छोड़ दिया है
तुम्हें रूठा देख मना लेना तो ख़ूब जानते हैं हम
मगर न जाने क्यों तुमने रूठना ही छोड़ दिया है
I wish to change the course of the winds
But the winds have stopped coming at all
I know it how to please seeing you angry
But you have stopped getting angry at all

Wednesday, April 3, 2013

अब भी बहुत याद आते हो

हाँ अब भी बहुत याद आते हो
जब जब भी भुलाना था चाहा मैंने
तुम बस मेरे ख़्वाबों में चले आते हो
हाँ अब भी बहुत याद आते हो
ये हवायें और ये महकती फ़िज़ायें
हो ये रौशनी ये अँधेरा ये सवेरा
बिन तेरे यहाँ कुछ भी नहीं मेरा
निराशाओं में भी आशा जगाते हो
हाँ अब भी बहुत याद आते हो
न जाने तुम क्या सोचते होगे मुझे
कभी जब सामने मेरे तुम आ जाना
मेरी ख़ामोशी की ज़ुबां पढ़ जाना
मेरी आँखें मेरा चेहरा बस कह देगा
हाँ अब भी बहुत याद आते हो
मुझे मालूम है तुम्हारी मज़बूरी
अब दूरियाँ ही नज़दीकियां मेरी
सपनों में आते जाते रह कर भी
तुम मेरा हौसला बढ़ा जाते हो
हाँ अब भी बहुत याद आते हो

Tuesday, April 2, 2013

तारों भरी रात

तारों भरी रात ने मुझसे पूछा
ये चाँद कहाँ ग़ायब हुआ आज
मैंने कहा जो है उसमें रहो ख़ुश
इसमें कौन फर्क पड़ता है तुम्हें
आज गया होगा कहीं और माँगने
रौशनी की तलाश में ही भटकने
ताकि तुम्हें दिखा कर इतरा सके
वही अपनी उधार की ही रौशनी
तारों के प्रकाश में भी मस्त रहो
दूर सही तुम्हारे साथ हमेशा हैं
जितना पास है उनका अपना है
रौशनी में रंग भी कौन तुम्हारे हैं
कम रौशनी में ही तुम्हारी पूछ है