Saturday, August 6, 2011

बहुत देर

पांचवीं तक पहुँचते पहुँचते
फीस को भी पैसे न बचे थे
माँ-बाप ने और पढ़ना चाहा
फिर विवश थे इस बात से
अब बेटे को भी तो पढ़ाना है
इसका क्या ये तो लड़की है!
अंतिम संस्कार तो वही करेगा
उसका विवाह कर दिया गया था
कई वर्ष बाद आयाम बदले
पुत्र ने नाता तोड़ा माँ-बाप से
माँ-बाप फटे हाल हो गए थे
बेटी अपने प्रयास व संघर्ष से
सफल गृहस्थी चला रही थी
बेटी ही अब अपनी ख़ुशी से
माँ-बाप का भी सहारा थी
किन्तु माँ-बाप को अब लगा
उनसे ही गलती हो गई थी
मगर अब बहुत देर हो गई थी

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