Tuesday, August 20, 2019

फिर न कहना


फिर न कहना आप आते नहीं
सपने में आकर भी सताते नहीं
तो क्या अग़र आप बुलाते नहीं
हम चले आए तो फिर जाते नहीं
हम कभी आने से कतराते नहीं
मज़बूरी कोई अपनी बताते नहीं
वादा कोई भी अपना  नहीं
अल्फ़ाज़ अपने लड़खड़ाते नहीं
वफ़ा अपनी कभी बिसराते नहीं
हक़ आपका कभी झुठलाते नहीं
यकीं रखते हैं शक़ जतलाते नहीं
फ़िक्र का जिक्र तक करते नहीं
आप वो आदत हम भुलाते नहीं
पर ख़ुद तो कभी आप आते नहीं 

Saturday, August 17, 2019

ग़ैर

हमसफर हो तो कोई ऐसा हो
सब को अपना बना चला गया
हम सोचते रहे अंधेरे हटाने की
वो जल कर उज़ाला कर गया
हमने बस की थी एक इब्तिदा
वो रहनुमाई कर के चला गया
रास्ते कई और होंगे उसके पास
वो रास्ता हमें दिखा चला गया
कोई ग़ैर किसी ग़ैर की ख़ातिर
अपना सब कुछ लुटा चला गया 

Monday, August 12, 2019

सिमटती दुनियां

संसार बदल गया
हम से मैं हो गया
घर अब मकान हैं
सुबह देर से होती है
दिन भर समय नहीं
सब व्यस्त हैं
अपनी अपनी तरह
रातें खामोश नहीं हैं
हर तरह का शोर
हर तरफ है
नियत समय नहीं
नींद का अब कोई
मेल-जोल केवल
मोबाइल व इंटरनैट सै
रिश्तों के नए स्वरूप
सब औपचारिक हैं
बात का समय लेना है
मशीनी युग है
आदमी गौण है
आदमियत लुप्तप्राय है
एकतरफा लगाव है
कहीं वो भी नहीं
सब कहते हैं
बड़ी तरक्क़ी हो गई
लेकिन यथार्थ में
दुनियां सिमट सी गई!






Friday, August 9, 2019

उम्र भर

उम्र तक नहीं सात जन्म साथी
हाथों में हाथ देकर ये कह दिया
बढ़ चला सिलसिला ज़िंदगी का
फ़र्क न कोई हम में था रह गया
थोड़ी नुक्ताचीनी हंसते टाल दी
अपने जेहन से तल्खी निकाल
ख़ुद की ही बस कोई मिसाल दी
रफ़्ता रफ़्ता वक़्त ये कटता गया
हर लम्हा ज़िंदगी हमारे साथ थी
साथ चलते ही अचानक एक दिन
मंज़ूर न अब साथ तेरा कह दिया
खेल क़िस्मत का असर यूं कर गया
उम्र भर का साथ पीछे रह गया  

Thursday, August 8, 2019

Turnaround

The turnaround
Of stakeholders
Makes them take
New turn and side
Trying to justify
When named they
If it were others
Vehemently say
Giving judgement
On those others
With all biases
In each situation
Objectivity is dead
Paving way here for
People's subjectivity 

और बात

तब बात और थी
सामने विरोधी था
जी भर कोसा था
धमकाया भी था
कई तरह से सबने
उसके शायराने पर
अब बात कुछ और
अपने की बात है
कानून करेगा काम
या देर सवेर हम भी
मामला ठंडा हो ले
तब वक्तव्य देंगे
सियासत में हैं हम
कहेंगे भाइयो-बहनो!

झूठे नीर

अब कायर भी वीर बताये जाते हैं
आंखों से झूठे नीर बहाये जाते हैं
बेहूदे लोग गम्भीर बताये जाते हैं
चंचल भी अब धीर बताये जाते हैं
झूठे अपनी तक़रीर बढ़ाये जाते हैं
सच कहो तो शरीर बताये जाते हैं
संजीदा सिर्फ लकीर बताये जाते हैं
छोटे चक्कू शमशीर बताये जाते हैं
बद अब नेकी की तस्वीर हो जाते हैं
अच्छे लकीर के फ़कीर कहलाते हैं
बातों के ही सब तीर चलाये जाते हैं
आंखों से झूठे नीर बहाये जाते हैं