अब गलत सही आँकी जाती है
गलती अपनी हो या किसी की
अब बस सफाई दी जाती है
अब किसी को भी यहाँ
कोई अफ़सोस नहीं होता
तब हरेक की टीस यहाँ
लोग अपनी सी समझते थे
परेशानी का हल न निकले
कोशिश ज़रूर करते थे
तब से अब में बड़ा फ़र्क़ है
अब कोई यहाँ पहले सा
औरों के लिए नहीं रोता
ख़ुद की परेशानी बड़ी है
दूसरे की किसको पड़ी है
हर कोई अपने में मगन है
हर दूसरा अब 'दूसरा' है
अब हर कोई अक्सर यहाँ
अपना ही दुखड़ा है रोता
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