मिठास भर ली थी
बातचीत के अन्दाज़ में
शायद मुझसे अपेक्षा थी
हाल में उसने की थी बात
बड़ी उपेक्षा व उलाहने से
तब कोई काम न था मुझसे
दोनों अवसरों पर मैंने
कोई प्रतिकार नही किया था
शायद जान बूझकर मैंने
जो भी कर सकता था
किया था अवश्य मैंने
वरना अपनी ही नज़र में
गिर गया होता मैं शायद
उसी के स्तर पर मैं भी
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