कभी अचम्भा होता है
पहले कितना बड़ा था ये
अब संसार सिमट गया है
यत्र-तत्र-सर्वत्र की खबर
चुटकी भर में मिल जाती है
सन्देश, फोटो, वीडिओ
स्मार्ट फोन के अंदर सब है
इन सब के साथ-साथ
जीवन मूल्य बदल गए हैं
प्रवासी बंधु पहाड़ों के
मानो रास्ते भूल गए हैं
आगंतुकों का स्वागत नहीं
उनसे प्रायः कतराते हैं
पहाड़ का दर्द भी अब
सामाजिक मीडिया तक है
अब महानगरों से निकल
विदेश प्रवास के मन हैं
घरों में लगे तालों में भी
अब जंग लग गए हैं
खंडहर बने गाँव के घर
इतिहास की गवाही देते हैं
बचे खुचे लोग अब भी
जाने कितने आशावान हैं
उनके नाम परियोजनायें
कितनों को समृद्ध बनाती हैं
जीवन-संध्या में असहाय लोग
भाग्य के सहारे गुजर करते हैं
नई पीढ़ी के लोगों के पास
समय व श्रद्धा का अभाव है
दैनिक जीवन इन बुजुर्गों का
एक नए संघर्ष का दिन है
'पहाड़ों में जीवन स्वर्ग' है
लोग कहते हैं ये हँसते हैं
नरक और स्वर्ग में फ़ासला
बहुत ज्यादा नहीं होता है
पहाड़ में 'पहाड़ सी ज़िन्दगी'
अब सब से बड़ा सच है
खुद के अतिरिक्त भरोसा भी
अब उन्हें किसी पर नहीं है
ये चरितार्थ भी कर रहे हैं
कर्म व संघर्ष ही जीवन है
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