आज भी सब वैसे ही हैं
जैसे ये रहते थे यहाँ
लोग भी कमोवेश
सब वैसे ही तो हैं
खान-पान, पहनावा
आचार-विचार, व्यवहार
कुछ बदले तो हैं
लेकिन खास नहीं
जीने की ज़रूरतें
ज़रूर बदल गई हैं
वो भी वस्तुगत रूप में
वैसी ही हैं लगभग
समझ नहीं पाता हूँ
वक़्त परेशानी का है
या मैं परेशान हूँ
ध्यान अधिक है शायद
अनावश्यक पर यहाँ
जाने अनजाने
और कुछ न सही
हैरान ज़रूर हूँ
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