Thursday, February 4, 2016

वृत्त-चित्र

आगे बढ़ने के बाद प्रायः
भूलना चाहते हैं लोग
जीवन के उन क्षणों को
जो गुजर गए थे
किंचित अभाव में
परिस्थितिजनत्य
अथवा अन्यथा
किन्तु यह भी सत्य है
मन कहाँ रुकता है
यादें रह-रह आ जाती हैं
फिर सामन्जस्यस्वरूप
वही पल प्रतीत होते हैं
अविस्मरणीय,लुभावने से
स्थान, संगी, सखा, परिवेष
जीवन प्रसंग और सब कुछ
मानो समय वापस हो चला
फिर कोई टीस या आह
यदा-कदा सिसकियाँ
नम करती हुई आँखों को
भावनाओं की भिगो देती हैं
फिर वही सब लेखा-जोखा
जीवन भर का यहाँ
किसी वृत्त-चित्र सा !


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