Saturday, October 5, 2019

बिखरे भाव

अब बिस्मृत से कुछ भाव
अन्यमयस्क क्रम के चलते
बिखरे हुए मेरे वो ज़ज्बात
यदा कदा प्रश्न पूछने लगते
मानो मेरी परीक्षा लेने को
प्राय: स्मृतियों को टटोलते
चाहे अनचाहे संस्कार भी
कभी बस बरबस चले आते
कुछ मतिभ्रम की मरीचिका
फिर भी विगत को दोहराते
अब सम-विषम में नहीं भेद
जीवन के प्रति समभाव लाते
कैसे कह दूं इनको मैं बिस्मृत
अब भी स्मृत बन आ हैं जाते 

No comments: