Tuesday, October 29, 2019

देर-सवेर

बिखरे से अरमान
बिसरा सा समय
बिफरे से अपने
ख़्वाब अनचाहे
हालात से परेशान
फिर भी हो आस
जब तक रहेगी
सांस में सांस
यही तो है जीवन
बदलते रहते हैं
यहां सब कुछ
लोगों के नसीब
चाहे अनचाहे यहां
विरोधाभास भी हैं
अग़र हो इत्मीनान
सामंजस्य आयेगा
देर- सवेर ज़रूर 

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