कल जिनका न था अपना कभी
उनका आज भी कल भी होगा
कल जिनका था चाहे आज नहीं
कल तो शायद उनका भी होगा
आज़ है जिनका सनद रहे उनको
कल क्या मालूम उनका न होगा
वक्त भुला भी देना चाहे सब कुछ
उसकी फ़ितरत में भूलना न होगा
ये पहिया वक्त का चलता रहेगा
जो समझ गया वही सुर्ख़रू होगा
उनका आज भी कल भी होगा
कल जिनका था चाहे आज नहीं
कल तो शायद उनका भी होगा
आज़ है जिनका सनद रहे उनको
कल क्या मालूम उनका न होगा
वक्त भुला भी देना चाहे सब कुछ
उसकी फ़ितरत में भूलना न होगा
ये पहिया वक्त का चलता रहेगा
जो समझ गया वही सुर्ख़रू होगा
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