झुर्रियाँ यूँ थके चेहरे ज्यों झलकायें
रात-दिन फिक्र में सब एक बन कर
वक़्त खो जाने का एहसास करायें
कर रही परिहास सब अट्टालिकायें
क्या तुम्हारा है ज़रा तुमको दिखायें
बस वही पाँच फुट है वास्ते तुम्हारे
जीते रहो या फिर लोग मर भी जायें
कल से कल की योजनायें ये तुम्हारी
औरों की हैं पर तुम्हारे काम न आयें
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