ख़्वाबों की मस्ती दिखती है
मन के हर कोने में बसी
चाहत की बस्ती दिखती है
फूलों में कहीं कोंपलों में कभी
बाग़ों की बहार में दिखे कभी
अपनेपन की मस्ती रहती है
कभी देखूँ धरती को मैं
आसमाँ में कभी झाँकूँ
तारों में चंदा सूरज में
नदियों और पहाड़ों में
पेड़ों के पत्तों हर डाली में
एक कसक सी बसती है
मन के हर कोने में बसी
चाहत की बस्ती दिखती है
हमदम मेरे और हमसफ़र
सुख के मेरे दुःख के साथी
हर पड़ाव में हर प्रयास में
हर पल जीवन के लम्हों में
मेरी मुहब्बत हँसती रहती है
मन के हर कोने में बसी
चाहत की बस्ती दिखती है
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