Monday, June 25, 2018

अपनी दुनियां

इतनी भी बड़ी नहीं
जितनी कि सोचते हैं
दुनियां को कुछ लोग
मैंने देखा है लोगों को
अपनी-अपनी ही एक
छोटी सी दुनियां में
सिमटे, जीते, बसर करते
औरों से अनजान से
इनके लिए इन्हीं के हैं
कल, आज और कल भी
बाकी सब से बेख़बर
इतिहास, भूगोल, समाज
देश-परिवेश, अर्थ, विज्ञान
इन्हें सब बौने लगते हैं
इनकी उस छोटी सी
अपनी दुनियां के आगे

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