Thursday, April 28, 2011

मनभावन

समंदर के किनारे हवा का झोंका
जब मेरे बालों को छू जाता है
नदी की कल-कल की आवाज़
जब मुझे कर्णप्रिय लगती है
प्रातः पहले पंछी के स्वर की
मिठास जब कानों में गूंजती है
बादलों के बनते बिगड़ते स्वरुप
उनके नए रंग लुभाने लगते हैं
कलियों से झांकते फूलों के वो
मनभावन रंग जब प्रिय लगते हैं
मुझे तुम्हारे प्यार का तब तब
एक मीठा एहसास होने लगता है

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