तुम शायद सोच रहे थे
मैं आसमान छूना चाहता हूँ
या उसे झुकाना चाहता हूँ
तुमने कोशिश नहीं की
शायद ये जानने की
मेरे ये झुके हुए हाथ
बहुत थक गए थे
काम के बोझ से ये
एक ही अवस्था में झुके
बदलाव माँग रहे थे
मैं इन्हें उठाना चाहता हूँ
वो भी बस अपने लिए
फिर भी आश्वस्त हूँ
तुम्हें उम्मीद है मुझसे
कि मैं आसमान छूना
और झुकाना जानता हूँ
मैं तो ज़मीन पर खड़ा
बस अपना काम जानता हूँ
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