हवा का झोंका आया
सर्द एहसास की
दे गया सिहरन सी
फिर भी यूँ
गुदगुदा सा गया
बालों से मेरे ही
मेरे ही चेहरे को
मैं बरबस ही
सँभालने लगी
बालों को अपने
फिर छू कर
मेरे हाथ गालों से
करा गए एहसास
तुम्हारे हाथों का
मानो यादों थीं
चली आईं अनायास ही
कोई बिस्मृत सी
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