Wednesday, January 29, 2014

अनायास ही

फिर यहाँ मेरे पास
हवा का झोंका आया
सर्द एहसास की
दे गया सिहरन सी
फिर भी यूँ
गुदगुदा सा गया
बालों से मेरे ही
मेरे ही चेहरे को
मैं बरबस ही
सँभालने लगी
बालों को अपने
फिर छू कर
मेरे हाथ गालों से
करा गए एहसास
तुम्हारे हाथों का
मानो यादों थीं
चली आईं अनायास ही
कोई बिस्मृत सी

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