किस-किस का सच देखूं मैं
परिभाषा तो परिभाषाएँ हैं
पर सच में ही सच देखूं मैं
तेरा सच मेरा सच क्यों हो
सभी नज़र से सच देखूं मैं
जो सबूत अकाट्य देता हो
बस उसको ही सच मानूं मैं
सच जो झूठ के वस्त्र पहनता
अनावरण कर 'सच' देखूं मैं
तेरे 'सच' को झूठ कहा हो
कभी ऐसा सच ना बोलूं मैं
सच में ही सच खरा वही है
यूँ नग्न-सत्य जब देखूं मैं
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