Monday, June 27, 2016

चंद लम्हे चुरा लायें

ज़िन्दगी से हैं शिकायतें जिनको
कुछ देर सब भूल कर आजमायें
अलग अलग रंग ज़िन्दगी के देखें
थोड़ी सी मुस्कुराहट दिखा जायें
चंद सवालात खुद से भी कर देखें
संजीदगी से खुद जबाब दे जायें
कोई खामोशियाँ गुजरें नाग़वार
खामोशियों के हुनर आजमायें
लोगों का क्या वो ऐसे ही होते हैं
ख़ुद को हम ख़ुद ही समझा जायें
ज़िन्दगी टुकड़ों-क़तरों में होती है
टुकड़ों में यूं शौक से जीते जायें
उम्र का क्या वो तो गुजर जाएगी
आज बस चंद लम्हे चुरा लायें


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