Friday, August 9, 2019

उम्र भर

उम्र तक नहीं सात जन्म साथी
हाथों में हाथ देकर ये कह दिया
बढ़ चला सिलसिला ज़िंदगी का
फ़र्क न कोई हम में था रह गया
थोड़ी नुक्ताचीनी हंसते टाल दी
अपने जेहन से तल्खी निकाल
ख़ुद की ही बस कोई मिसाल दी
रफ़्ता रफ़्ता वक़्त ये कटता गया
हर लम्हा ज़िंदगी हमारे साथ थी
साथ चलते ही अचानक एक दिन
मंज़ूर न अब साथ तेरा कह दिया
खेल क़िस्मत का असर यूं कर गया
उम्र भर का साथ पीछे रह गया  

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