Saturday, March 29, 2014

कुछ खुद से कुछ यादों से

खुद से भी कुछ यादों से भी
कुछ उधार ले आया हूँ पल
कुछ बचपन से कुछ अब भी
आँखों में है माँ का आँचल
साथी सहपाठी इष्ट मित्र
जाने होँ ये कल के ही खेल
हमसफ़र के सँग सफ़र के
खट्टे मीठे जाने कितने पल
अनगिनत लोग सभी जिनसे
जीवंत हुआ मेरा प्रतिपल
कुछ माँगे से जीवन से मेरे
स्वप्न तथा उनके प्रतिफल
दृश्य श्रव्य सब अनुभव मेरे
अब भी करते मुझसे हैं छल
खुद से भी कुछ यादों से भी
कुछ उधार ले आया हूँ पल

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