Udaya Pant
US Pant
Udaya Shankar Pant
..... all my names:)
Thursday, March 27, 2014
शबनम की तरह
शबनम की तरह तुम आती हो
हर रात छाकर यूँ चली जाती हो
अपनी ही फितरत की तरह तुम
लोगों के ज़ज्बात नम करती हो
ठंडक का बस एहसास करा के
तन-मन में सिहरन ले आती हो
मेरे आस पास के ताने बाने से
तुम अपना स्वरुप बन आती हो
सुबह की पहली धूप के रंग दिखा
फिर बस उड़न छू हो जाती हो
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