Sunday, March 9, 2014

अंत-अनंत

तुम जानती हो
तुम्हारे हो सकते हैं
समय की गर्त में दबे
तुम्हारे वो सरमाये
अब पुकारते हैं तुम को
स्वयं करनी होगी पहल
प्रयास आरम्भ होगा
संघर्ष होगा उद्यम
नई परीक्षा होगी
नई परिभाषा होंगी
अपेक्षाओं की
अनवरत करनी होगी
आकाँक्षाओं की खोज
समय से लेना होगा
तुम को स्वयं ही
समय का प्रतिकार
तुम्हें समझना होगा
बंधनमुक्त कोई नहीं
कल बिसराना ही होगा
लालिमा के लिए
कल के भोर की
कड़वाहट भी होगी
परन्तु अंत होगा अनंत

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